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Political Patangbaji in Rajasthan: कांग्रेस बनाम भाजपा की पतंगबाजी है Interesting! 'काय पो छे' कहने का मौका तलाश रहे कई

मकर संक्रांति की बात हो और पतंगबाजी का जिक्र न हो ये थोड़ा अटपटा जरूर लगता है. ठीक वैसे ही जैसे चुनावी साल हो और गाहे बगाहे माननीयों की रस्साकशी की चर्चा न हो. संक्रांति पर आइए करते हैं बात राजस्थान की सरजमीं पर हो रही सियासी पंतगबाजी की (Political Patangbaji in Rajasthan).

Political Patangbaji in Rajasthan
Political Patangbaji in Rajasthan
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Published : Jan 14, 2023, 11:31 AM IST

जयपुर. 7 जनवरी 2023 को सचिन पायलट बैठे-बैठे पतंग उड़ा रहे थे. ये तस्वीर बहुत खास थी. इसमें हंसते मुस्कुराते पायलट दिव्यांगनों को आराम से अपनी जगह से हिले बगैर कैसे पतंग उड़ाई जाती है और दूसरे की काटी जाती है इसके गुर सिखा रहे थे. एक वीडियो क्लिप भी सामने आया जिसमें वो अपने हाथ की डोर पास बैठ साथी को थमाते दिखे. वैसे तो ये आम सी बात है लेकिन यही आम इस सीजन में खास है. पायलट और गहलोत के बीच पतंगबाजी का अनदेखा सीन चल रहा है. जिसमें कांग्रेस की पतंग आसमान में तो उड़ रही है लेकिन नीचे चरखी को लेकर घमासान मचा है. डोर दोनों अपने हाथों में चाहते हैं.

अब देखते हैं भाजपा की पतंग का हाल. जो प्रधानमंत्री मोदी की याद दिला रहा है. 2014 में सिने स्टार सलमान खान के साथ गुजरात में पतंगबाजी की. अपनी अपनी फील्ड के धुरंधरों ने एक दूजे की तारीफ भी की लेकिन खुल कर कहने से बचते रहे थे. काय पो छे खूब सुना गया तब. ठीक उसी तर्ज पर यहां भी पतंगबाजों की टीम काय पो छे के जुगाड़ में है.

इन दो पतंगों के बीच तीसरी पतंग भी है जो सरसरा के ऊपर निकलने की जुगत में है. ये है RLP. एक क्षेत्रीय पार्टी जिसके मालिक हैं हनुमान बेनीवाल. गाहे बगाहे अपनी मौजूदगी का एहसास विरोधियों को कराते रहते हैं. जुज्जा लेकर बैठे हैं. जुज्जा यानी पतंग को नीचे से चालाकी से काटने के लिए पत्थर का इस्तेमाल. ये किसी को दिखता भी नहीं है और अपना काम भी आसानी से कर निकल जाता है.

Political Patangbaji in Rajasthan
ये तस्वीर कुछ कहती है, दिव्यांग जनों संग पतंग उड़ाते पायलट
पढ़ें-गहलोत बनाम पायलट- राजस्थान में सबसे बड़ी सियासी पतंगबाजी की लड़ाई तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट के बीच है. जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब आखिरी साल अपने कुर्सी बचाए रखने और 2023 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर उतरना चाहते हैं. दूसरी ओर सचिन पायलट हैं. ये 4 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी का इंतजार कर रहे हैं. टकटकी लगाए बैठे हैं. पतंग सुगमता से लहराए इसलिए जनता को अपनी टीम में शामिल करने निकल पड़े हैं. पतंग कितनी दूर तक जाएगी, काय पो छे या ये कटी वो कटी कह पाएंगे या फिर चरखी और डोर गहलोत को थमा देंगे ये देखना दिलचस्प होगा.

हालांकि जादूगर अशोक गहलोत भी पतंगबाजी के पुराने खिलाड़ी हैं. यही कारण है कि इस साल सचिन पायलट नहीं बल्कि भाजपा के साथ पतंगबाजी का खेल खेलना चाहते हैं. गहलोत पायलट के बीच हरीश चौधरी, रघु शर्मा और प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे भी पतंग बाज हैं जो चाहते हैं कि इन दोनों नेताओं की जगह अब वो पार्टी के प्रमुख पतंग बाज बनें, राजनीति के आकाश में अपना नाम लिखना चाहते हैं.

पढ़ें- Sachin Pilot Tour: कांग्रेस आलाकमान को 'ताकत' दिखाने को पायलट तैयार, जनता के बीच जाने का किया ऐलान

सतीश पूनिया काटना चाहते वसुंधरा की पतंग लेकिन...- कांग्रेस में तो गहलोत पायलट के बीच कुर्सी की जंग साफ तौर पर दिखाई देती है लेकिन भाजपा में भी कमोबेश हालात यही है जहां मुख्यमंत्री के कई दावेदार है. इस चुनावी साल में जहां सतीश पूनिया किसी तरह से प्रदेश अध्यक्ष पद बचाकर 2023 के चुनाव में उतरना चाहते हैं, तो वहीं दो बार मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे जानती है कि उन्हें कब सक्रिय होना है. ऐसे में अब गहलोत सरकार के पांचवें साल वसुंधरा राजे जबरदस्त तरीके से एक्टिव होंगी और उनकी पतंगबाजी के आगे जहां पहले बड़े-बड़े नेता अपनी पतंग हाथ में से कटवा चुके हैं, उनसे सतीश पूनिया अपनी पतंग बचा पाते हैं या नहीं यह देखने की बात होगी. भाजपा में केवल सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे ही नहीं बल्कि गजेंद्र सिंह शेखावत ,राजेंद्र राठौड़ ,किरोड़ी लाल मीणा, और अश्वनी वैष्णव जैसे पतंगबाज भी है जो इन दोनों की पतंग के बीच अपनी पतंग सबसे ऊपर करना चाहते हैं.

Political Patangbaji in Rajasthan
जब सलमान के साथ उड़ाई थी पीएम मोदी ने पतंग

रेफरी पीएम मोदी और राहुल- कांग्रेस और भाजपा के नेता भले ही अपने अपने नेताओं की पतंग काटने की तैयारी कर रहे हों, लेकिन हकीकत यह है की कांग्रेस और भाजपा दोनों के पतंग की डोर वाली चरखी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी लिए खड़े हैं. यह देख रहे हैं कि किसकी पतंग सामने वाली पार्टी की पतंग को काट सकती है. जिस नेता को डोर देनी होगी उसी को डोर मिलेगी. बाकी बचे नेता भले ही खुद को बड़ा पतंगबाज क्यों ना मानते हो उनकी चरखी की डोर समाप्त कर दी जाएगी.

जयपुर. 7 जनवरी 2023 को सचिन पायलट बैठे-बैठे पतंग उड़ा रहे थे. ये तस्वीर बहुत खास थी. इसमें हंसते मुस्कुराते पायलट दिव्यांगनों को आराम से अपनी जगह से हिले बगैर कैसे पतंग उड़ाई जाती है और दूसरे की काटी जाती है इसके गुर सिखा रहे थे. एक वीडियो क्लिप भी सामने आया जिसमें वो अपने हाथ की डोर पास बैठ साथी को थमाते दिखे. वैसे तो ये आम सी बात है लेकिन यही आम इस सीजन में खास है. पायलट और गहलोत के बीच पतंगबाजी का अनदेखा सीन चल रहा है. जिसमें कांग्रेस की पतंग आसमान में तो उड़ रही है लेकिन नीचे चरखी को लेकर घमासान मचा है. डोर दोनों अपने हाथों में चाहते हैं.

अब देखते हैं भाजपा की पतंग का हाल. जो प्रधानमंत्री मोदी की याद दिला रहा है. 2014 में सिने स्टार सलमान खान के साथ गुजरात में पतंगबाजी की. अपनी अपनी फील्ड के धुरंधरों ने एक दूजे की तारीफ भी की लेकिन खुल कर कहने से बचते रहे थे. काय पो छे खूब सुना गया तब. ठीक उसी तर्ज पर यहां भी पतंगबाजों की टीम काय पो छे के जुगाड़ में है.

इन दो पतंगों के बीच तीसरी पतंग भी है जो सरसरा के ऊपर निकलने की जुगत में है. ये है RLP. एक क्षेत्रीय पार्टी जिसके मालिक हैं हनुमान बेनीवाल. गाहे बगाहे अपनी मौजूदगी का एहसास विरोधियों को कराते रहते हैं. जुज्जा लेकर बैठे हैं. जुज्जा यानी पतंग को नीचे से चालाकी से काटने के लिए पत्थर का इस्तेमाल. ये किसी को दिखता भी नहीं है और अपना काम भी आसानी से कर निकल जाता है.

Political Patangbaji in Rajasthan
ये तस्वीर कुछ कहती है, दिव्यांग जनों संग पतंग उड़ाते पायलट
पढ़ें-गहलोत बनाम पायलट- राजस्थान में सबसे बड़ी सियासी पतंगबाजी की लड़ाई तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट के बीच है. जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब आखिरी साल अपने कुर्सी बचाए रखने और 2023 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर उतरना चाहते हैं. दूसरी ओर सचिन पायलट हैं. ये 4 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी का इंतजार कर रहे हैं. टकटकी लगाए बैठे हैं. पतंग सुगमता से लहराए इसलिए जनता को अपनी टीम में शामिल करने निकल पड़े हैं. पतंग कितनी दूर तक जाएगी, काय पो छे या ये कटी वो कटी कह पाएंगे या फिर चरखी और डोर गहलोत को थमा देंगे ये देखना दिलचस्प होगा.

हालांकि जादूगर अशोक गहलोत भी पतंगबाजी के पुराने खिलाड़ी हैं. यही कारण है कि इस साल सचिन पायलट नहीं बल्कि भाजपा के साथ पतंगबाजी का खेल खेलना चाहते हैं. गहलोत पायलट के बीच हरीश चौधरी, रघु शर्मा और प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे भी पतंग बाज हैं जो चाहते हैं कि इन दोनों नेताओं की जगह अब वो पार्टी के प्रमुख पतंग बाज बनें, राजनीति के आकाश में अपना नाम लिखना चाहते हैं.

पढ़ें- Sachin Pilot Tour: कांग्रेस आलाकमान को 'ताकत' दिखाने को पायलट तैयार, जनता के बीच जाने का किया ऐलान

सतीश पूनिया काटना चाहते वसुंधरा की पतंग लेकिन...- कांग्रेस में तो गहलोत पायलट के बीच कुर्सी की जंग साफ तौर पर दिखाई देती है लेकिन भाजपा में भी कमोबेश हालात यही है जहां मुख्यमंत्री के कई दावेदार है. इस चुनावी साल में जहां सतीश पूनिया किसी तरह से प्रदेश अध्यक्ष पद बचाकर 2023 के चुनाव में उतरना चाहते हैं, तो वहीं दो बार मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे जानती है कि उन्हें कब सक्रिय होना है. ऐसे में अब गहलोत सरकार के पांचवें साल वसुंधरा राजे जबरदस्त तरीके से एक्टिव होंगी और उनकी पतंगबाजी के आगे जहां पहले बड़े-बड़े नेता अपनी पतंग हाथ में से कटवा चुके हैं, उनसे सतीश पूनिया अपनी पतंग बचा पाते हैं या नहीं यह देखने की बात होगी. भाजपा में केवल सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे ही नहीं बल्कि गजेंद्र सिंह शेखावत ,राजेंद्र राठौड़ ,किरोड़ी लाल मीणा, और अश्वनी वैष्णव जैसे पतंगबाज भी है जो इन दोनों की पतंग के बीच अपनी पतंग सबसे ऊपर करना चाहते हैं.

Political Patangbaji in Rajasthan
जब सलमान के साथ उड़ाई थी पीएम मोदी ने पतंग

रेफरी पीएम मोदी और राहुल- कांग्रेस और भाजपा के नेता भले ही अपने अपने नेताओं की पतंग काटने की तैयारी कर रहे हों, लेकिन हकीकत यह है की कांग्रेस और भाजपा दोनों के पतंग की डोर वाली चरखी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी लिए खड़े हैं. यह देख रहे हैं कि किसकी पतंग सामने वाली पार्टी की पतंग को काट सकती है. जिस नेता को डोर देनी होगी उसी को डोर मिलेगी. बाकी बचे नेता भले ही खुद को बड़ा पतंगबाज क्यों ना मानते हो उनकी चरखी की डोर समाप्त कर दी जाएगी.

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