जयपुर. राजस्थान में इस साल के आखिरी महीने में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. भारतीय जनता पार्टी ने लगभग 1 साल पहले से तय रणनीति के मुताबिक राजस्थान की सियासी जमीन पर कमल फिर से खिलाने की तैयारी कर ली है. दिल्ली में आयोजित कोर कमेटी की बैठक में यह तय हो गया था कि आने वाले चुनाव में क्षेत्रीय क्षत्रपों की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही मुख्य चेहरा होंगे. लिहाजा राजस्थान में मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा के लिए अब रण में खुद प्रधानमंत्री नजर आ रहे हैं. ऐतिहासिक रूप से प्रधानमंत्री मोदी बीते पांच महीने के अंदर ही राजस्थान के चार दौरे कर चुके हैं. मोदी का छोटे अंतराल में राजस्थान आना काफी कुछ जाहिर कर देता है और इसका इशारा हाल में पीएम दौसा दौरे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी बात में नाराजगी जाहिर करते हुए कर चुके हैं.
चार संभाग नाप चुके हैं मोदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के मौजूदा दौरों में अब तक 4 संभाग कवर कर चुके हैं. सबसे पहले जोधपुर संभाग से सिरोही आए थे, इसके बाद उन्होंने उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा का दौरा किया. फिर अजमेर की भीलवाड़ा और हाल ही में जयपुर संभाग के दौसा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी रही. पीएम मोदी की यह सक्रियता जाहिर करती है कि फिलहाल फोकस पर राजस्थान है और राजस्थान का रण भारतीय जनता पार्टी के लिए आने वाले वक्त में उम्मीद के मुताबिक आसान नहीं होने वाला है. इसमें भले ही एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को बीजेपी सत्ता वापसी की एक वजह मानती है, लेकिन राजस्थान में बीएसपी, आम आदमी पार्टी, ओवैसी और आरएलपी की मौजूदगी इस बार कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाएगी, जोकि एक रोचक पहलू होगा.
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आदिवासी, गुर्जर और मीणा समाज साध चुके हैं मोदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीते 5 महीने के राजस्थान के दौरे पर गौर किया जाए, तो इसकी शुरुआत 30 सितंबर 2022 को सिरोही जिले से हुई थी. मूलत पिछड़ी आदिवासी जातियों के बाहुल्य वाले इस जिले में मोदी ने सभा की थी, जबकि मौका था राजस्थान की सरहद पर गुजरात में स्थित अंबा माता मंदिर में दर्शन का. तब गुजरात में चुनाव थे लेकिन इस बहाने राजस्थान में मोदी ने आदिवासियों के बीच चुनावी बिगुल बजने से पहले ही एंट्री ले ली थी.
इसके बाद 2022 में 1 नवंबर को पीएम मोदी बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम पहुंचे, जहां पर आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों की कड़ी में अंग्रेजी हुकूमत के दौर में हुए गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राजस्थान के सरहदी इलाके में मौजूद आदिवासी समुदाय को संबोधित किया. इसी साल जनवरी में 28 तारीख को पीएम मोदी भीलवाड़ा के आसींद में मौजूद देवनारायण मंदिर पहुंचे. देशभर के गुर्जर समाज की आस्था के केंद्र इस मंदिर पर मत्था टेक कर मोदी ने एक जनसभा को भी संबोधित किया. मोदी के इस कार्यक्रम को भी राजनीतिक हितों से जोड़कर देखा गया.
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गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में गुर्जर समाज ने भारतीय जनता पार्टी से मुंह मोड़कर सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था. जिसका खामियाजा बीजेपी को मिला और एक भी गुर्जर विधायक पूरे राजस्थान में कमल के निशान पर जीत हासिल नहीं कर पाया. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दौसा में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस हाइवे के सोहना लालसोट खंड का उद्घाटन किया था. मूल रूप से पूर्वी राजस्थान के इस हिस्से में गुर्जर के साथ-साथ मीणा समुदाय का भी बाहुल्य है और भरतपुर संभाग से यह क्षेत्र सटा हुआ है.
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जयपुर संभाग के अलवर और दौसा के अलावा प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम में भरतपुर संभाग से भरतपुर, करौली और धौलपुर के कार्यकर्ता भी पहुंचे थे. ऐसे में समझा जा सकता है कि अपने चार दौरों के जरिए प्रधानमंत्री अब तक आधे राजस्थान को कवर कर चुके हैं. आने वाले वक्त में मोदी के साथ-साथ अमित शाह और जेपी नड्डा की सक्रियता भी राजस्थान में इस बात का इशारा कर रही है कि भारतीय जनता पार्टी अब पूरी तरह से चुनावी माहौल में रंग चुकी है और मिशन राजस्थान पर मोदी ने अपने प्लान को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है. मोदी अपनी सभाओं के जरिए राजस्थान में टर्निंग प्वाइंट माने जाने वाली गुर्जर मीणा और आदिवासी जातियों को भी साध चुके हैं.