जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2022 की लिखित परीक्षा में जांचे गए विवादित उत्तरों के मामले में शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित कर्मचारी चयन बोर्ड से दो सप्ताह में जवाब मांगा है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश कुलदीप सिंह की याचिका पर (Petition in PTI recruitment 2022) दिए. इसके अलावा कोर्ट ने शहीद नेवी अधिकारी की विधवा को 20 साल का सम्मान भत्ता नहीं देने पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर के मामले की सुनवाई बुधवार को नहीं हो पाई. अब गुरुवार को सुनवाई तय की गई है.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने गत 21 अक्टूबर को पीटीआई भर्ती की लिखित परीक्षा का परिणाम जारी किया था. इसमें करीब आधा दर्जन सवालों के जवाब गलत जांचे गए थे और कुछ प्रश्न डिलीट किए गए थे. याचिका में मान्यता प्राप्त पुस्तकों को पेश कर कहा गया कि बोर्ड की ओर से मनमाने रूप से सवाल गलत जांचे गए. याचिका में कहा गया कि अभ्यर्थियों को न्यूनतम 40 अंक लाने जरूरी थे, लेकिन गलत तरीके से प्रश्न जांचने के चलते याचिकाकर्ता के कम अंक आए और उनका चयन नहीं हुआ. ऐसे में विशेषज्ञ कमेटी गठित कर विवादित प्रश्नों की जांच की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.
पढ़ें: Rajasthan Highcourt: अदालती आदेश के बावजूद ओबीसी आरक्षण नहीं देने पर अवमानना नोटिस
राजस्थान हाईकोर्ट ने शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद नेवी ऑफिसर की विधवा को 20 साल का सम्मान भत्ता नहीं देने पर राज्य सरकार व अन्य से जवाब मांगा है. अदालत ने इनसे पूछा है कि शहीद की वीरांगना को यह सम्मान भत्ता क्यों नहीं दिया गया. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश मीना यादव की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सैनी ने बताया कि याचिकाकर्ता के पति महिपाल यादव नेवी में पेटी पद पर तैनात थे और सैनिक ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए. केन्द्र सरकार ने शहीद यादव को 1996 में शौर्य चक्र देकर सम्मानित किया था. वहीं राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर वीरांगनाओं को 1998 से राजस्थान युद्ध विधवा शहीद सम्मान भत्ता देने की घोषणा की, लेकिन घोषणा के बाद भी राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता को शहीद सम्मान भत्ता नहीं दिया.
पढ़ें: दस्तावेज सत्यापन के बाद भी विधवा को नियुक्ति क्यों नहीं: हाई कोर्ट
हालांकि कई बार प्रतिवेदन देने के बाद राज्य सरकार ने अगस्त 2018 से उसे भत्ता मंजूर कर दिया, लेकिन 1998 से 2018 तक के बकाया भत्ते का भुगतान नहीं किया. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि राज्य सरकार के पास शहीद के संबंध में पूरी जानकारी मौजूद है, लेकिन फिर भी शहीद की वीरांगना को सम्मान भत्ते से वंचित रखा जा रहा है और यह उसके अधिकारों का उल्लंघन है. इसलिए याचिकाकर्ता को 20 साल का बकाया शहीद सम्मान भत्ता दिलवाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.
पढ़ें: पीटीआई भर्ती: अभ्यर्थियों के खिलाफ आदेश पारित करने पर हाई कोर्ट की रोक
राजस्थान हाईकोर्ट में बुधवार को नगर निगम ग्रेटर की पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर को मेयर पद से हटाने, छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य करने और वार्ड में उप चुनाव करवाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई नहीं हो पाई. सौम्या की याचिका पर जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ में सुनवाई होनी थी, लेकिन नंबर नहीं आने के चलते सुनवाई नहीं हो पाई. जिस पर सौम्या के अधिवक्ता ने अदालत से आग्रह किया कि मामले में सुनवाई होना जरूरी है. ऐसे में अदालत ने सुनवाई गुरुवार को रखी है.
याचिका में सौम्या ने उसे मेयर पद से हटाने व चुनाव लड़ने से अयोग्य करने वाली राज्य सरकार की कार्रवाई को रद्द करने और याचिका के निस्तारित नहीं होने तक उसके वार्ड में उप चुनाव नहीं कराए जाने का आग्रह किया है. याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने 13 अक्टूबर को प्रदेश के निकायों की खाली सीटों पर उप चुनाव करवाए जाने के लिए पत्र लिखा है. इन वार्ड में प्रार्थिया का वार्ड भी शामिल है. उसके वार्ड में उप चुनाव हुए तो उसके अधिकार प्रभावित होंगे. इसलिए याचिका निस्तारण तक उसके वार्ड में उप चुनाव नहीं करवाएं. गौरतलब है कि ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर व तत्कालीन आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह देव के बीच हुए विवाद के बाद सौम्या सहित तीनों पार्षद अजय सिंह चौहान, शंकर शर्मा और पारस जैन को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया था.