जयपुर. प्रदेश में तमाम प्रयासों के बावजूद एनएसयूआई कि करारी हार हुई है. एनएसयूआई किसी भी विश्वविद्यालय में नहीं जीता है. वहीं चुनाव मंत्री टि्वटर फेसबुक पर प्रचार करते रह गए. उनके क्षेत्र में एनएसयूआइ हार गई. एनएसयूआइ जयपुर में 19 में से 10 विधायक कांग्रेस के हैं जिनमें से चार मंत्री हैं और 3 कांग्रेस समर्थक हैं. फिर भी ये एनएसयूआई को जीत नहीं दिला पाए. बता दें कि राजस्थान विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों का नतीजा आ गया है. इसके नतीजे एनएसयूआई के लिए किसी भी तरह से अच्छे नहीं कहे जा सकते हैं. इनकी सरकार होने के बावजूद किसी बड़ी यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई का अध्यक्ष नहीं बन पाया.
राजस्थान विश्वविद्यालय से जहां एनएसयूआई की बागी पूजा वर्मा ने जीत दर्ज की. वहीं एसजीएस बीकानेर में निर्दलीय सरवन राम सुखाड़िया विश्वविद्यालय में, एबीवीपी के निखिल राज जेएनवीयू जोधपुर में, निर्दलीय रविंद्र सिंह एमडीएस अजमेर में, रामेश्वर छाबा एबीवीपी के बृज विश्वविद्यालय भरतपुर में, एबीवीपी की कविता फौजदार रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर में, एबीवीपी के विजय शर्मा एमपी यूआईटी उदयपुर में, एबीवीपी के पवन जाट बीकानेर की वेटरनरी विश्वविद्यालय में, निर्दलीय निखिल पाल कृषि विश्वविद्यालय में, निर्दलीय धर्मेंद्र कोटा के कृषि विश्वविद्यालय में भरत लाल अध्यक्ष बने.
यह भी पढ़ें. अलवर : आर आर कॉलेज में रिकाउंटिंग की मांग कर रहे छात्रों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज
हालांकि कोटा यूनिवर्सिटी में एडमिशन के आरोपों के चलते चुनाव नहीं हुआ. लेकिन ये जो नतीजे आए हैं. यह नतीजे साफ कहते हैं कि इसके बाद कांग्रेस को निकाय चुनाव को लेकर चिंता करने की जरूरत है क्योंकि जिस तरीके से यूनिवर्सिटी में चुनाव के नतीजे में एनएसयूआई का सफाया हुआ है. अगर ऐसे ही नतीजे आगे होने वाले निकाय चुनाव में आए तो लोकसभा के बाद कांग्रेस के लिए यह फिर से बड़ी दिक्कत आ जाएगी.
यह भी पढ़ें. जापानी कंपनियों को राज्य में निवेश के लिए पूरा सहयोग करेगी सरकार: गहलोत
खास बात यह है कि जिन यूनिवर्सिटी में वहां के मंत्रियों ने भी अपना पूरा जोर लगाया था लेकिन इसके बावजूद जीत नहीं मिल सकी. जयपुर में 19 में से 10 कांग्रेस के विधायक जिनमें से चार मंत्री तीन निर्दलीय कांग्रेस समर्थक हैं लेकिन फिर भी एनएसयूआई को जीत नहीं मिली. बात करें जयपुर की तो जयपुर जिले में कुल 19 विधायक हैं. इन 19 विधायकों में से 10 कांग्रेस के विधायक हैं तो तीन निर्दलीय कांग्रेस के समर्थक हैं. खास बात यह है कि इनमें से प्रताप सिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया, महेश जोशी, राजेंद्र यादव चार तो मंत्री हैं लेकिन नतीजे एनएसयूआई के लिए खराब आए हैं.
यह भी पढ़ें. जयपुर : दही हांडी कार्यक्रम में दो पक्षों में पथराव, पुलिस की पीसीआर भी आई चपेट में
जोधपुर जो कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है. वहां से निर्दलीय ने जीत दर्ज की है. वहीं बीकानेर के एमजीएस विश्वविद्यालय में भी एनएसयूआई को हार का मुंह देखना पड़ा है. जबकि बीकानेर से भंवर सिंह भाटी जो खुद उच्च शिक्षा मंत्री हैं और खुद एनएसयूआई के पक्ष में प्रचार करते हुए दिखाई दिए थे. इसके बावजूद भी एनएसयूआई नहीं जीत सकी. बीकानेर से ही दूसरे मंत्री बीडी कल्ला भी हैं. इसके साथ ही अजमेर से विधायक रघु शर्मा ने भी अपने स्तर पर एनएसयूआई का जमकर प्रचार किया था. लेकिन अजमेर के एमडीएस में एबीवीपी ने कब्जा जमाया. इसी तरीके से भरतपुर से विश्वेंद्र सिंह, सुभाष गर्ग, भजन लाल जाटव तीन मंत्री हैं. उसके बावजूद भी भरतपुर के बृज विश्वविद्यालय में एबीवीपी ने जीत दर्ज की है. ऐसे में साफ है कि जिस तरीके से मंत्रियों के तमाम प्रयासों के बावजूद एनएसयूआई इन छात्र संघ चुनाव में जीत नहीं दर्ज कर सकी. उससे चिंता की लकीरें कांग्रेस आलाकमान के सामने फिर आ खड़ी हुई है.