जयपुर. राजस्थान विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) ने अब प्रदेश में ही ऑडियो रिकॉर्डिंग या वॉइस सैंपल की जांच की तकनीक ईजाद कर ली है. पहले इस तरह के सैंपल चंडीगढ़ भेजे जाते थे. अब जयपुर स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला में ही ऑडियो रिकॉर्डिंग या वॉइस सैंपल की जांच हो रही है. इस तकनीक से एफएसएल ने ऑडियो की जांच भी शुरू कर दी है. इस तकनीक से पहला वॉइस सैंपल एसओजी की निलंबित एएसपी दिव्या मित्तल का जांचा गया है.
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दिव्या मित्तल की 3 ऑडियो रिकॉर्डिंग की हुई जांचः भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने एएसपी दिव्या मित्तल को इस साल जनवरी में दो करोड़ रुपए की घूस मांगने के मामले में गिरफ्तार किया था. दिव्या मित्तल की तीन ऑडियो रिकॉर्डिंग एसीबी ने 15 मार्च को फॉरेंसिक जांच को भेजी थी. एफएसएल ने 7-8 दिन में ऑडियो की जांच कर रिपोर्ट एंटी करेंप्शन ब्यूरो (ACB) को सौंप दी. एफएसएल के निदेशक डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि अभी तक वॉइस परीक्षण के लिए हमारे पास जो सुविधाएं उपलब्ध थी. उनसे केवल आवाज का मिलान करना संभव था. हमारे पास आवाज में कांट-छांट, एडिटिंग या अल्ट्रेशन है या नहीं. यह पता करने की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. इस तरह के प्रकरणों के लिए सैंपल को राज्य से बाहर चंडीगढ़ की लैब में जांच के लिए भेजना पड़ता था. इसकी जरूरत महसूस करते हुए हमने नया सॉफ्टवेयर और तकनीकी उपकरण राज्य सरकार के सहयोग से खरीदे हैं.
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पता चल जाएगा ऑडियो ओरिजिनल या एडिटेडः एफएसएल के निदेशक डॉ. अजय शर्मा बताते हैं कि इससे किसी भी वॉइस सैंपल में एडिटिंग, अल्ट्रेशन, कांट-छांट आदि की पड़ताल की जा सकती है. जांच के बाद बता सकते हैं कि किस स्थान पर कांट-छांट या एडिटिंग की गई है. यह देश की सबसे एडवांस तकनीक है. इस समय यह तकनीक केवल चंडीगढ़ और जयपुर में ही उपलब्ध है. यह तकनीक इतनी एडवांस और सटीक है कि किसी भी आवाज को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर उसका डिटेल एनालिसिस स्पेक्टोग्राफ डेवलप किया जाता है. जिस जगह पर कांट-छांट का जरा भी अंदेशा होता है, तो तकनीक के आधार पर यह पता कर लेते हैं कि यहां कांट-छांट हुई है. ऐसे में डिटेल एनालिसिस के आधार पर यह रिपोर्ट दी जाती है.
एसीबी के लिए बेहद खास है यह तकनीकः उनका कहना है कि खास तौर पर एसीबी के लिहाज से यह रिपोर्ट काफी अहम होती है. जहां संदिग्ध या आरोपी की रिकॉर्डिंग होती है. चाहे पैसे के लेनदेन की हो या अन्य किसी तरीके की. ऐसे केस में कोर्ट में यह सुबूत वैज्ञानिक साक्ष्य के तौर पर मान्य होता है. इस तकनीक को स्थापित करने के बाद हमारे वैज्ञानिक चंडीगढ़ जाकर ट्रेनिंग लेकर आए हैं. इस तकनीक की मदद से जांच के लिए सबसे पहला प्रकरण दिव्या मित्तल का लिया गया है. यह मामला एसीबी ने एफएसएल को भेजा था. जिसके परीक्षण में करीब 7-8 दिन लगे. इसकी रिपोर्ट एसीबी को सौंप दी गई है. आगे एसीबी यह जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी. जो इस मुकदमे में उनके लिए काफी सहयोगी साबित होगी.
तीन ऑडियो में यह बोल रही है दिव्या मित्तलः
- 'मेरे अकेले के हाथ में नहीं है. ऊपर भी देना होता है. ये कोई बनिए की दुकान नहीं है. तुम भी समझो, यह दाग जीवनभर के.'
- 'बारगेनिंग मत करो. पहले तय हो चुका है. वही देना होगा.'
- 'पहले वालों को भी समझाया था. लेकिन वह नहीं समझा और गिरफ्तार होना पड़ा.'
दिव्या मित्तल की बढ़ सकती है मुश्किलेंः एफएसएल ने दिव्या मित्तल के तीनों ऑडियो की जांच कर रिपोर्ट एसीबी को सौंप दी है. बताया जा रहा है कि इसमें किसी तरह की कांट-छांट या एडिटिंग नहीं पाई गई है. ऐसे में कहा यह जा रहा है कि इस रिपोर्ट से एसीबी का पक्ष मजबूत होगा और दिव्या मित्तल की मुश्किलें बढ़ेंगी. यह रिपोर्ट कोर्ट में बतौर अहम साक्ष्य पेश की जाएगी. दरअसल, अजमेर पुलिस ने करीब 11 करोड़ रुपए की नशीली दवाएं पकड़ी थी. जिसकी जांच SOG की अजमेर चौकी प्रभारी दिव्या मित्तल को दी गई थी. केस से नाम हटाने की एवज में दवा कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की घूस मांगी गई थी.
एसीबी ने दर्ज किया आय से अधिक संपत्ति का केसः नशीली दवाओं की तस्करी के मामले में तफ्तीश में ढील के बदले दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित एसओजी की एएसपी दिव्या मित्तल और दलाल सुमित के खिलाफ एसीबी ने पिछले दिनों आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज किया है. एसीबी ने दिव्या मित्तल और सुमित के छह जिलों में ठिकानों पर छापेमारी की और संपत्ति के दस्तावेज सहित अन्य सुबूत जुटाए थे.
एसीबी ने किया था गिरफ्तार, 100 दिन जेल में रही थीः यह पूरा मामला नशीली दवाओं की तस्करी के मामले को लेकर दर्ज मुकदमों की जांच से जुड़ा है. अजमेर में 11 करोड़ रुपए की नशीली दवाएं जब्त की गईं और देहरादून की हिमालय मेडिटेक के डायरेक्टर सुनील नंदवानी के खिलाफ अजमेर में तीन मुकदमें इस संबंध में दर्ज हुए. जिनकी जांच एसओजी की एएसपी दिव्या मित्तल को सौंपी गई. इन मामलों की जांच में ढील के बदले दिव्या ने दो करोड़ की रिश्वत मांगी और एक करोड़ रुपए बतौर रिश्वत लिए. इसके चलते सुनील नंदवानी को 15 दिन में जमानत मिल गई. एसीबी ने दिव्या मित्तल को इस साल 16 जनवरी को अजमेर से हिरासत में लिया था और जयपुर लाकर गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद वह करीब 100 दिन जेल में रही और 31 मार्च को उसकी जमानत हुई.