जयपुर. चुनाव नजदीक आने के साथ ही चुनावों में लगी कर्मचारियों की ड्यूटी को कैंसिल कराने के आवेदनों की भी भरमार आने लग जाती है. लेकिन इस बार निर्वाचन विभाग ने खासा सख्त रुख अपनाया है.निर्वाचन विभाग पहले ही इस बात के आदेश जारी कर चुका है कि कोई भी कर्मचारी गंभीर रूप से बीमार होने पर या फिर स्वयं का विवाह होने पर ही छुट्टी कैंसिल कराने के लिए आवेदन कर सकता है.लेकिन अब जो आदेश जारी किए जा रहे हैं उस आदेश के तहत अगर कोई भी कर्मचारी चुनाव में लगी ड्यूटी को कैंसिल कराने के लिए अगर अपनी गंभीर बीमारी का हवाला देता है तो वह इससे थोड़ा सावधान हो जाएं , क्योंकि उससे चुनाव ड्यूटी से छुट्टी नहीं बल्कि अपनी नौकरी से स्थाई रूप से भी छुट्टी मिल सकती है.
जी हां, ऐसा इसलिए है क्योंकि निर्वाचन विभाग ने कर्मचारियों से छुट्टी के लिए आवेदन करते वक्त अपने पिछले 6 महीने के मेडिकल सर्टिफिकेट की डिटेल भी मांगी है, अगर कर्मचारी अपने 6 महीने की बीमारी का सर्टिफिकेट दे देता है तो उससे नौकरी के लिए अस्वस्थ मानते हुए जबरन सेवानिवृत्त किया जा सकता है, निर्वाचन विभाग का फरमान चुनाव ड्यूटी कैंसिल कराने से पहले 6 महिने का मेडिकल सट्रिफिकट देना होगा ताकि विभाग संबंधित मेडिकल बोर्ड से इसका स्वास्थ्य परीक्षण करवा सके.
अगर कोई भी कर्मचारी का स्वास्थ्य परीक्षण में यह पाया जाता है कि वह काफी समय से रोग ग्रस्त है औरस्वास्थ्य कारणों से राज्य कार्य निष्पादन में कठिनाई का अनुभव करते हैं , तो ऐसे कर्मचारियों को नियमानुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी यानी कि मेडिकल रिपोर्ट में कोई भी कर्मचारी 6 महीने से अधिक बीमार पाया जाता है तो उससे जबरन रिटायरमेंट दे दिया जाएगा.दरअसल पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने एक आदेश निकाला था जिसके तहत जो कर्मचारी लंबे समय से बीमार है और वह राज कार्य को करने में सक्षम नहीं है तो सरकार उन्हें जबरन सेवानिवृत्ति कर सकती है , अब निर्वाचन विभाग भी जो कर्मचारी बीमारी का बहाना करके चुनाव ड्यूटी से बचने की कोशिश करते हैं उनके ऊपर इस आदेश का हवाला देकर सख्ति कर दी है.