जयपुर. राजधानी में वन्य जीव आबादी वाले इलाके में पहुंचने लगे हैं. इन दिनों अजमेर रोड से सटे वैशाली नगर विस्तार वाले इलाके में खाली प्लॉट पर नीलगाय का डेरा देखा गया है. स्थानीय लोगों के मुताबिक रोजाना सुबह मॉर्निंग वॉक के वक्त घरों के आसपास इन नील गायों को देखा जा सकता है. इसके कारण दुर्घटना का भी खतरा बढ़ गया है. ये नीलगाएं घरों के बाहर लगे पौधों को भी नुकसान पहुंचा रही हैं.
स्थानीय भाषा में नील गायों को रोजड़ा कहा जाता है, जो आमतौर पर खेती वाले क्षेत्र में या जंगलों में निवास करती है. फिलहाल जिस तरह से शहरीकरण हो रहा है, उसके बाद अजमेर रोड से सटे इलाकों में खेत खत्म हो रहे हैं. ऐसे में इन नील गायों के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है. लिहाजा खाने और पानी की तलाश में यह नीलगाय बस्तियों का रुख कर रही हैं.
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मूवमेंट से बेखबर वन विभाग : जयपुर के क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी से जब ईटीवी भारत ने आबादी वाले इलाके में नीलगाय की मौजूदगी को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने बताया कि वन विभाग को इस सिलसिले में कोई सूचना नहीं मिली है. अगर किसी वन्यजीव के शहर में दाखिल होने की खबर मिलती है, तो नियमानुसार विभाग जीव को रेस्क्यू करने के बाद वाइल्डलाइफ के हवाले कर देता है. उन्होंने हाल ही में जयपुर के किसी क्षेत्र में नीलगाय मौजूद होने की बात से इनकार किया. हालांकि ईटीवी भारत की ओर से कैद किए गए वीडियो से सिरसी रोड और वैशाली नगर विस्तार से सटी कॉलोनियों में नील गायों की मौजूदगी प्रमाणित हो रही है.
भोजन की तलाश में बाहर निकल रही नीलगाय : वन्यजीव विशेषज्ञ रोहित गंगवाल बताते हैं कि अक्सर जंगलों से सटे इलाकों में नीलगाय भोजन की तलाश में बाहर आ जाती है. फिर उसी इलाके में अपनी टेरिटरी तलाशने की कोशिश करती है. इसका एक कारण वन्य क्षेत्र में अतिक्रमण भी है. लकड़ी या अन्य सामान की तलाश में जंगलों का रुख नहीं करना चाहिए. अगर कोई वन्यजीव आबादी वाले क्षेत्र में दाखिल हो जाता है, तो संबंधित विभाग की रेस्क्यू टीम को सूचना देनी चाहिए. गंगवाल ने बताया कि फिलहाल लोगों की लापरवाही के कारण नीलगाय जैसे वन्यजीव आबादी वाले इलाकों का रुख करने लगे हैं. ये जानवर भोजन की तलाश में बाहर निकलते हैं और यहां प्लास्टिक जैसे प्रदूषित आहार ग्रहण कर रहे हैं.