जयपुर. मौजूदा हालात में कोविड-19 के चलते एयर ट्रैफिक अभी कम है और विमानों को होल्ड पर रखने जैसी समस्या नहीं आ रही है, लेकिन कोविड- 19 से पहले अक्सर यह समस्या होती थी. लॉकडाउन से पहले ही जयपुर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से रोजाना 63 फ्लाइट का संचालन होता था. उस दौरान एक ही समय पर तीन से चार फ्लाइट की लैंडिंग या टेक ऑफ होने पर एयर ट्रैफिक कंजेशन होना आम बात हो जाती थी और इस दौरान एक फ्लाइट को लैंड कराते हुए दूसरी अन्य फ्लाइट को 10 से 15 मिनट तक होल्ड पर रख दिया जाता था. यानी इन विमानों को आसमान में चक्कर लगाने के लिए मजबूर किया जाता था. रूट क्लियर होने पर ही विमानों को लैंड कराया जाता था.
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इसी तरह डिपार्चर होने वाले विमान भी रनवे पर जाने से पहले 10 से 15 मिनट तक एप्रेन और टैक्सी वे पर खड़े रहते हैं. इस तकनीक से परेशानी को दूर करने के लिए जयपुर एयरपोर्ट प्रशासन ने दिल्ली एयरपोर्ट की तर्ज पर अपग्रेडेशन किया है. जयपुर से उड़ान भरने वाली फ्लाइट के लिए स्टैंडर इंस्ट्रूमेंट डिपार्चर सिस्टम लागू किया है. जबकि जयपुर से जाने वाली फ्लाइट के लिए स्टैंडर्ड टर्मिनल अराइवल रूट सिस्टम शुरू किया है. इन दोनों तकनीकी अपग्रेडेशन से एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के लिए विमानों का संचालन करना आसान होगा. वहीं, नई तकनीक अपग्रेडेशन एयरलाइंस के लिए भी मुफीद साबित होगी.
क्या है नए सिस्टम में...
डिपार्चर वाली फ्लाइट्स के लिए SIDE शुरू किया
फ्लाइट का पूरा प्रोसीजर डिसाइड रहेगा कि कितनी देर में विमान कितनी ऊंचाई पर होगा
प्रत्येक फ्लाइट का डिपार्चर तय समय पर होगा
जयपुर आने वाली फ्लाइट के लिए स्टार सिस्टम शुरू होगा
दूसरे एयरपोर्ट से उड़ान भरने से पहले जयपुर एयरपोर्ट ATC से अनुमति लेनी होगी
ATC आगमन वाली फ्लाइट को क्लेरेंस देगी तभी वहां से उड़ान भरेगी
इससे विमान जयपुर के आसमान में आने पर सीधा लैंड हो सकेगा होल्ड पर नहीं रखा जाएगा
डिपार्चर और अराइवल के लिए नए तकनीकी अपग्रेडेशन का फायदा यात्रियों को भी मिलेगा. दरअसल, जब भी किसी फ्लाइट को होल्ड पर रखा जाता है या उड़ान भरने से एप्रेन पहले अपन या टैक्सी वे पर रुका जाता है. उस दौरान यात्रियों के 10 से 15 मिनट तक का समय खराब होता है, लेकिन अब एयर ट्रैफिक कंजेशन की स्थिति में ऐसा नहीं होगा और यात्रियों के लिए समय की बचत होगी. इसका बड़ा फायदा एयरलाइंस को भी मिलेगा.
विमान की सीधी लैंडिंग होने से होल्ड पर रखे जाने के दौरान खर्च होने वाले इंर्धन भी बचेगा. वहीं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी राहत मिलेगी. विमान की ज्यादा देर आसमान में रहने से कार्बन एमिशन ज्यादा होता है. विमान के लैंडिंग और टेक ऑफ सीधी होने से कार्बन एमिशन भी कम होगा. जयपुर एयरपोर्ट प्रशासन ने यह दोनों अपग्रेडेशन गुरुवार से लागू कर दिए हैं. सर्दियों में जब पर्यटन सीजन शुरू होगा तो बड़ी हुई फ्लाइट के दौरान इसे देखने को मिलेंगे.