जयपुर. देश में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. इस दिन का मकसद डॉक्टर्स के समर्पण और निस्वार्थ काम की सराहना करना है. डॉक्टर्स मरीजों को दूसरी जिंदगी तो देते ही हैं, लेकिन एक डॉक्टर ऐसी भी हैं जो राजस्थानी कला और संस्कृति को जीवित रखने के साथ ही उसे बढ़ावा देने की ओर अग्रसर हैं. राजस्थान की दंत चिकित्सक डॉ. अनुपमा सोनी ने देश ही नहीं विदेशों में भी राजस्थान की संस्कृति को पहुंचाया है.
युवा पीढ़ी को जोड़ने की कोशिश : डॉक्टर अनुपमा सोनी कहती हैं कि राजस्थानी संस्कृति पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचना रखती है. राजस्थान की बेटी होने के नाते राजस्थानी संस्कृति दिल के बहुत करीब है. यहां की संस्कृति मुझमें रची बसी है, इसलिए मेरी राजस्थानी संस्कृति के प्रति ज्यादा जिम्मेदारी है. जब डॉक्टर का पेशा मैंने चुना, उस समय मुझे समझ आया कि डॉक्टर होने के नाते मरीज का इलाज करने के साथ-साथ राजस्थानी संस्कृति के प्रति युवाओं को जागरूक करने के लिए अपना प्रयास जारी रखूंगी.
मन में राजस्थानी संस्कृति रची बसी : उन्होंने बताया कि वो फोक डांस करती हैं, इसमें भवाई, चरी, कालबेलिया और तेरहताली जैसे नृत्य करती हूैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा राजस्थानी मांडने को भी उकेरने का काम करती हूं. मांडना हमारे मूल कल्चर का एक बहुत बड़ा हिस्सा है. पहले गांव में हर तीज-त्योहार पर बनाए जाते थे, लेकिन वक्त के साथ यह भी लुप्त होने लगे है. ऐसे में कोशिश करती हूं कि मार्बल, टायल्स पर पेंट से राजस्थानी मांडने उकेरती रहूं. अनुपमा कहती हैं कि मन में राजस्थानी संस्कृति रची बसी है और उसके लिए छोटा सा प्रयास में लगातार कर रही हूं.
आधुनिकता में संस्कृति लुप्त नहीं हो : अनुपमा कहती हैं कि डॉक्टर के पास समय कम होता है. मेरा प्रोफेशन डॉक्टर ही है, लेकिन मेरा पैशन राजस्थानी संस्कृति को बढ़ावा देना है. राजस्थानी डांस सबसे डिफरेंट है और यह लोगों को अचंभित करता है. राजस्थानी डांस को देखकर दूसरे राज्य अट्रैक्ट होते हैं. राजस्थानी सबसे अलग तरह का कल्चर है और इस कल्चर को बढ़ावा देना जरूरी है, क्योंकि आज की युवा पीढ़ी आधुनिकता के दौड़ में इससे दूर होती जा रही है.
वेस्टर्न कल्चर में अपने कल्चर को भूलते जा रहे : अनुपमा कहती हैं कि आधुनिकता के साथ चलना और दूसरी संस्कृति को अपनाना बुरा नहीं है, लेकिन इसके लिए हम अपनी संस्कृति को भूल जाएं ये कैसे ठीक हो सकता है. अब हमारे घरों में पारम्परिक तरीके से तीज-त्योहार सेलिब्रेट नहीं होते, जिससे हमारी कला अब धीरे-धीरे लुप्त होने लगी है. वेस्टर्न कल्चर में हम अपने कल्चर को भूलते जा रहे हैं, इसलिए मैं राजस्थान संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए अपना छोटा से प्रयास कर रही हूं. मुझे अच्छा लगता है कि लोगों को मेरी वजह से राजस्थानी संस्कृति से जुड़ाव हो रहा है.
इंटरनेशनल लेवल पर भी किया परफॉर्म : अनुपमा सोनी ने पिछले 8 साल से लगातार अलग-अलग जगह पर अपनी परफॉर्मेंस दी है. राजस्थान के कमोबेश कई जिलों में प्रस्तुति दी है. इसके अलावा चेन्नई सहित इंटरनेशनल लेवल पर परफॉर्म किया है. थाईलैंड में मिसेज एशिया को रिप्रेजेंट करते समय राजस्थानी ट्रेडिशनल डांस किया था. सोनी ने कहा कि आप सफलता के किसी आयाम पर पहुंचे, लेकिन हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए. अगर हमने अपनी जड़े छोड़ दी तो हम अपना अस्तित्व खो देंगे. अनुपमा अपने थाईलैंड की परफॉर्मेंस को याद करती हुई बताती हैं कि उन्होंने जब वहां राजस्थानी में परफॉर्म किया तो लोगों ने काफी प्रोत्साहित किया था. तब मुझे एहसास हुआ कि मुझे इस काम को अभी और आगे बढ़ाना है.
मिसेज राजस्थान से मिसेज एशिया का सफर : अनुपमा सोनी डॉक्टर, राजस्थानी डांसर होने के साथ ही कई खिताब अपने नाम कर चुकी हैं. अनुपमा 2018 में सबसे पहले मिसेज राजस्थान, उसके बाद मिसेज इंडिया और उसके बाद मिसेज एशिया इंटरनेशनल की विनर रहीं. अनुपमा का दावा है कि वो राजस्थान की पहली महिला थीं, जिसने इंटरनेशनल लेवल पर क्राउन जीता है. उन्होंने बताया कि जब वो मिसेज एशिया इंटरनेशनल का खिताब जीतकर राजस्थान लौटी, तो उस समय सरकार और समाज ने उन्हें काफी सम्मान दिया. इसके बाद रोड सेफ्टी, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का ब्रांड एंबेसडर बनाया. अनुपमा मौजूदा वक्त में राज्य महिला नीति सिविल सोसाइटी की मेंबर भी हैं.