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न्यायिक अधिकारी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज, सामूहिक अवकाश पर हैं कर्मचारी

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Published : Dec 12, 2022, 4:45 PM IST

न्यायिक अधिकारी के घर में कोर्ट कर्मचारी की जलकर मौत के मामले में (murder case filed against judicial officer) सोमवार को न्यायिक अधिकारी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. अन्य मांगों को लेकर कर्मचारियों का सामूहिक अवकाश फिलहाल जारी है.

न्यायिक अधिकारी के खिलाफ हत्या का मुकदमा
न्यायिक अधिकारी के खिलाफ हत्या का मुकदमा

जयपुर. न्यायिक अधिकारी के घर कोर्ट कर्मचारी की जलकर मौत मामले में भांकरोटा थाना पुलिस ने न्यायिक अधिकारी कृष्ण स्वरूप चलाना के खिलाफ हत्या, बलात श्रम कराना, बंधक बनाना और एससी, एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज (murder case filed against judicial officer) कर लिया है. हालांकि पुलिस ने गत दिनों घटना को आत्मदाह बताया था. वहीं दूसरी ओर न्यायिक कर्मचारियों ने कहा है कि अन्य मांगों पर निर्णय होने तक सामूहिक अवकाश जारी रहेगा.

मृतक सुभाष मेहरा की बहन की ओर से दर्ज रिपोर्ट में कहा गया है कि एनडीपीएस कोर्ट में पदस्थापित भाई सुभाष को इस कोर्ट के न्यायाधीश अपने घर पर बंधक बनाकर रखते थे और उससे जबरन घरेलू काम करवाते थे. वहां से परेशान होकर सुभाष कुछ दिनों पहले उसके घर आकर रुका था, लेकिन इस बीच पुलिसकर्मी फिर उसे जबरन उठाकर ले गए. गत दस नवंबर को एक पुलिसकर्मी ने फोन कर सुभाष की तबीयत खराब होने की बात बताई और जल्दी आने के लिए कहा. पुलिसकर्मी परिजनों को न्यायाधीश चलाना के घर ले गए जहां तीसरी मंजिल पर सुभाष का जला हुआ शव (court staff death in Judicial officer home) पड़ा था. शव की अंतड़ियां तक बाहर निकली हुई थीं.

पढ़ें. कर्मचारी आत्मदाह मामला: कर्मचारी संघ ने जज पर लगाए गंभीर आरोप, मामले की सीबीआई जांच को लेकर याचिका दायर

रिपोर्ट में कहा गया है कि घर पर एफएसएल टीम और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी पहले से ही मौजूद थे. इस दौरान जज चलाना ने उन्हें कहा कि वह पावरफुल व्यक्ति हैं और उनके सारे काम और कर्ज माफ करवा देगा. उन्हें सुभाष का बिना सिम लगा मोबाइल लौटाया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि न्यायाधीश कृष्ण स्वरूप चलाना और उनके परिजनों ने मिलकर सुभाष की हत्या की है. ऐसे में मामले की सीबीआई जांच कराई जाए.

पढ़ें. चुतर्थ श्रेणी कर्मचारी आत्मदाह मामला: कर्मचारियों की सीजे से हुई वार्ता, सामूहिक अवकाश जारी

गौरतलब है कि एनडीपीएस मामलों की विशेष कोर्ट में पदस्थापित कर्मचारी सुभाष मेहरा ने 10 नवंबर को न्यायिक अधिकारी के घर की छत पर जलने से मौत हो गई थी. न्यायिक कर्मचारियों का कहना है कि सुभाष की हत्या हुई है. इसलिए मामले की सीबीआई जांच करवाई जानी चाहिए. इसके साथ ही कर्मचारी न्यायिक अफसर को एपीओ करने, मृतक के परिजनों को पचास लाख रुपए मुआवजा सहित एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर बीते 18 नवंबर से कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर हैं.

जयपुर. न्यायिक अधिकारी के घर कोर्ट कर्मचारी की जलकर मौत मामले में भांकरोटा थाना पुलिस ने न्यायिक अधिकारी कृष्ण स्वरूप चलाना के खिलाफ हत्या, बलात श्रम कराना, बंधक बनाना और एससी, एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज (murder case filed against judicial officer) कर लिया है. हालांकि पुलिस ने गत दिनों घटना को आत्मदाह बताया था. वहीं दूसरी ओर न्यायिक कर्मचारियों ने कहा है कि अन्य मांगों पर निर्णय होने तक सामूहिक अवकाश जारी रहेगा.

मृतक सुभाष मेहरा की बहन की ओर से दर्ज रिपोर्ट में कहा गया है कि एनडीपीएस कोर्ट में पदस्थापित भाई सुभाष को इस कोर्ट के न्यायाधीश अपने घर पर बंधक बनाकर रखते थे और उससे जबरन घरेलू काम करवाते थे. वहां से परेशान होकर सुभाष कुछ दिनों पहले उसके घर आकर रुका था, लेकिन इस बीच पुलिसकर्मी फिर उसे जबरन उठाकर ले गए. गत दस नवंबर को एक पुलिसकर्मी ने फोन कर सुभाष की तबीयत खराब होने की बात बताई और जल्दी आने के लिए कहा. पुलिसकर्मी परिजनों को न्यायाधीश चलाना के घर ले गए जहां तीसरी मंजिल पर सुभाष का जला हुआ शव (court staff death in Judicial officer home) पड़ा था. शव की अंतड़ियां तक बाहर निकली हुई थीं.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि घर पर एफएसएल टीम और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी पहले से ही मौजूद थे. इस दौरान जज चलाना ने उन्हें कहा कि वह पावरफुल व्यक्ति हैं और उनके सारे काम और कर्ज माफ करवा देगा. उन्हें सुभाष का बिना सिम लगा मोबाइल लौटाया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि न्यायाधीश कृष्ण स्वरूप चलाना और उनके परिजनों ने मिलकर सुभाष की हत्या की है. ऐसे में मामले की सीबीआई जांच कराई जाए.

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गौरतलब है कि एनडीपीएस मामलों की विशेष कोर्ट में पदस्थापित कर्मचारी सुभाष मेहरा ने 10 नवंबर को न्यायिक अधिकारी के घर की छत पर जलने से मौत हो गई थी. न्यायिक कर्मचारियों का कहना है कि सुभाष की हत्या हुई है. इसलिए मामले की सीबीआई जांच करवाई जानी चाहिए. इसके साथ ही कर्मचारी न्यायिक अफसर को एपीओ करने, मृतक के परिजनों को पचास लाख रुपए मुआवजा सहित एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर बीते 18 नवंबर से कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर हैं.

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