चाकसू (जयपुर). नगर पालिका के द्वारा कराए जा रहे घटिया निर्माण की पोल एक बार खुल गई गई है. जिसका ताजा उदहारण वार्ड-13 और 14 के मध्य से नीलकंठ बालाजी रोड आराधना स्कूल के पास वाले पुलिया पर देखने को मिला. जहां बरसाती नाले का मलबा सड़क पर निगम ने डालकर छोड़ दिया है. जिससे मोहल्लेवासियों और राहगीरों का जीना दुश्वार हो गया है.
जबकि यही एक मुख्य रास्ता है, जो नीलकंठ मन्दिर, कोटखावदा मोड़, सब्जी मंडी तहसील और सरकारी हॉस्पिटल तक जाता है, लेकिन पिछले चार दिनों से रास्ते के बीच बरसाती नाले की सफाई करने के बाद निगम सफाई ठेकाकर्मियों ने पुलिया के रास्ते में ही मलबा डालकर छोड़ दिया है. जिससे यहां से आने-जाने वाले वाहन चालक और पैदल राहगीर गन्दगी से परेशान है. आलम यह है कि इस रास्ते पर पड़े मलबे से छिटकर उनके कपड़े तक खराब हो रहे है.
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हर साल की तरह इस बार भी विधायक वेदप्रकाश सोलंकी और उपखंड अधिकारी ओपी सहारण ने मानसून से पूर्व नालों की सफाई व्यवस्थाएं करने के लिए संबधित जिम्मेदार विभागीय अधिकारी को सुधार के आदेश दिए थे, लेकिन बावजूद इसके पालिका प्रशासन ने नालों की सफाई देर से शुरू कर आदेश को हवा-हवाई कर दिया.
पालिका के कार्यों को कोस रही जनता, मानसून आया तो याद आई नालों की सफाई
मानसून आने को है. ऐसे में नगर पालिका ने ना तो अबतक कोई सफाई की है, ना ही रोड पर पड़े कीचड़ को हटाया है. जिसके बाद आक्रोषित लोग स्थानीय नगरपालिका को जम कर कोस रहे हैं. लोगों ने बताया कि जहां पूरे देश में कोविड-19 का दौर चल रहा है. ऐसे में सरकार लगातार लोगों को सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने की हिदायत दे रही है. ऐसे में यह गंदगी साफ तौर पर नगर पालिका अध्यक्ष, पालिका ईओ प्रशासन की अकर्मण्यता को दर्शाता है. जिसका फल जनता को भोगना पड़ रहा है.
हाइटेक युग में चल रही सफाई की पुरातन व्यवस्था
जहां आज दुनिया का हर काम हाइटेक हो रहा है और शहरों की हर व्यवस्था को हाइटेक बनाया जा रहा है. वहीं चाकसू कस्बे में कोविड-19 के बीच जनता की सेहत का ख्याल नहीं रखकर नाले और नालियां साफ करने का सैकड़ों साल पुराना वही पुरातन तरीका चल रहा है.
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जिसमें नाले और नालियों का कीचड़ निकालकर सड़क पर डाल दिया जाता है और हफ्तों बाद भी सूखने पर उसे उठाके फेंक दे, यह भी कम संभव है. वहीं देश में कोरोना का संक्रमण फैला हुआ है, इसके बीच नालों की सड़न से आसपास की जनता दुखी है.