जयपुर. बारिश की आकस्मिक स्थितियों से निपटने के लिए नगर निगम प्रशासन के पास पर्याप्त संसाधन है या नहीं? क्या अभी भी नालों की सफाई नहीं होने से रिहायशी इलाकों में पानी भरने जैसी समस्या पैदा हो सकती है ? क्या नगर निगम प्रशासन ने इन आकस्मिक स्थितियों से निपटने के लिए आपातकालीन टीम गठित कर रखी है? ऐसे ही सवालों के जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत ने ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव से बातचीत की.
मानसून बीतने के बाद भी हैदराबाद में भारी बारिश होने से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. ऐसे में जयपुर में अगर ऐसे हालात बनते हैं तो नगर निगम प्रशासन की तैयारियों को लेकर आयुक्त दिनेश यादव ने कहा कि जयपुर में इस तरह की आपदा की संभावना तुलनात्मक रूप से कम है. पूर्व में जयपुर में इस तरह के हालात बन चुके हैं, ऐसे में राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग, जिला प्रशासन, जेडीए, नगर निगम और PWD की तरफ से जो व्यवस्था कर रखी है उससे नहीं लगता कि आम जनता को किसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
अतिवृष्टि जैसे हालातों से निपटने के लिए नगर निगम तैयार-
दिनेश यादव ने बताया है कि ऐसी स्थिति में सबसे प्रमुख काम लोगों को रेस्क्यू करने का होता है. इसके लिए शहर में जगहें आईडेंटिफाई हैं जहां रेस्क्यू करने के बाद जनहानि से बचा जा सकता है. इसके लिए तात्कालिक रूप से ऊंचाई वाले स्थान चाहे स्कूल हो या फिर सामुदायिक केंद्र उन्हें चिन्हित किया जा चुका है. वहीं इस स्थिति से निपटने के लिए तात्कालिक जरूरतों में शामिल मिट्टी के कट्टे, मड पंप और दूसरे संसाधनों का भी इंतजाम कर रखा है. निगम कमिश्नर ने कहा कि अतिवृष्टि से एक बार कठिनाई जरूर उत्पन्न होती है लेकिन लंबे समय तक की कोई कठिनाई जयपुर में नहीं होने दी जाएगी.
संवेदनशील इलाकों को चिन्हित किया गया-
कमिश्नर दिनेश यादव ने कहा कि 14 अगस्त को आई भीषण बारिश में जयपुर में कई ऐसे स्थान थे जहां जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. ऐसे में अब उन निचले इलाकों को भी चिन्हित किया गया है. इनमें परकोटे के क्षेत्र और द्रव्यवती नदी के आसपास के क्षेत्र प्रमुख हैं. वहीं कुछ कच्ची बस्ती ऐसी हैं जहां जल निकासी की व्यवस्था ही नहीं है. अगर अतिवृष्टि होती है तो सबसे पहले यहां से लोगों को शिफ्ट करना होगा. उसके बाद ही मशीनरी का इस्तेमाल कर पानी की निकासी की जा सकेगी.
उन्होंने कहा कि इस बार बाढ़ नियंत्रण कक्षों की संख्या भी बढ़ाई गई थी. लेकिन आयुक्त ने स्पष्ट किया कि ये व्यवस्था 20 सितंबर तक रखी गई थी. उसके बाद यहां नियमित स्टाफ बैठाने की व्यवस्था खत्म कर दी गई है. लेकिन इस व्यवस्था को तत्काल शुरू करने में प्रशासन सक्षम है. इस दौरान एक बार फिर नालों की सफाई के मुद्दे पर निगमायुक्त ने आम जनता में जागरूकता का अभाव बताया. उन्होंने कहा कि प्लास्टिक सामग्री को नालों में ना डाला जाए क्योंकि यदि ये सामग्री नालों में फंसती है तो वो बहते पानी को भी रोक देती हैं.
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वहीं उन्होंने दावा किया कि भले ही मानसून बीत गया हो लेकिन बारिश की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सभी जोन में नालों की सफाई के निर्देश जारी कर दिए गए हैं. ये काम शहर में निगम चुनाव को लेकर लगी आचार संहिता के हटने के बाद शुरू कर दिया जाएगा. बता दें कि नगर निगम के लाख दावे के बावजूद बीते दिनों मानसून के दौरान ये सभी व्यवस्थाएं नाकाम साबित हुई थी. राजधानी जयपुर की लाल डूंगरी इलाके में तो आफत की बारिश के निशां अभी भी बाकी है.