जयपुर. मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, महानगर प्रथम ने एक मामले में कहा है कि वाहन चालक (Motor Accident Claims Tribunal court decision) की उपेक्षा और लापरवाही साबित करने का भार याचिकाकर्ता पर होता है. वाहन चालक की असावधानी व लापरवाही साबित किए बिना याचिकाकर्ता को क्षतिपूर्ति को प्राप्त करने का हक नहीं है. कोर्ट ने यह आदेश जयराम की 30.61 लाख रुपए की क्लेम याचिका खारिज करते हुए दिए.
याचिका में कहा गया था कि 19 जून 2017 को प्रार्थी सांवलपुरा से अजमेरी गांव गया था. वापस पैदल लौटते समय दोपहर दो बजे उसे पीछे से एक ट्रैक्टर ने तेज गति और लापरवाही से टक्कर मारी. इस दौरान वह सड़क पर गिर गया और ट्रैक्टर का टायर उसके बांए हाथ के ऊपर से निकल गया जिससे उसका हाथ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. वहीं बाद में ऑपरेशन के बाद चिकित्सकों ने उसके हाथ को कंधे से काट दिया. यह एक्सीडेंट वाहन चालक की लापरवाही से हुआ है. इसलिए उसे बीमा कंपनी व अन्य से क्षतिपूर्ति दिलाई जाए.
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वहीं राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती-2021 के सभी विज्ञापित पद नहीं भरने और अन्य अनियमितता बरतने पर गृह सचिव, कार्मिक सचिव और डीजीपी सहित अन्य से जवाब मांगा है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश रेणुका चौधरी की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने जोधपुर कमिश्नरेट के लिए 374 पदों के लिए भर्ती निकाली. इसके बावजूद सिर्फ 365 अभ्यर्थियों को ही नियुक्ति दी गई. भर्ती में ओबीसी वर्ग के लिए 14 पद आरक्षित रखे गए थे, लेकिन इनमें से भी सिर्फ 11 पदों को ही भरा गया. याचिका में यह भी कहा गया कि विभाग ने चयन सूची में अंक व वर्ग सार्वजनिक नहीं किए जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.