जयपुर. बीते 3 दिन से राजधानी सहित प्रदेश के विभिन्न नगरीय निकायों में सड़कों पर झाड़ू नहीं लगी. मुख्य मार्ग से लेकर गलियों तक सड़के कचरे के ढेर से अटी हुई हैं. हालांकि, राज्य सरकार की ओर से सफाई कर्मचारियों की भर्ती को स्थगित किया गया है. इस पर सीएम अशोक गहलोत ने भी दोबारा रूपरेखा तैयार कर विज्ञप्ति जारी करने और इंटरव्यू के साथ-साथ प्रैक्टिकल करवाए जाने की बात कही है. उधर, सफाई श्रमिक संघ में कहा है कि 5 सूत्री मांगों पर जब तक सीएम से वार्ता नहीं होती, तब तक वो अपनी हड़ताल जारी रखेंगे.
बीकानेर दौरे पर रहे सीएम अशोक गहलोत ने गुरुवार को सफाई कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की. इस दौरान सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि डीएलबी सेक्रेटरी जोगाराम को फोन करके भर्ती रुकवा दी है. विज्ञप्ति दोबारा बनाने के लिए कहा है और अब सिर्फ इंटरव्यू नहीं लेंगे, प्रैक्टिकल करवाया जाएगा. कचरे के ढेर उठवाएंगे, सड़क और नाले साफ करवाए जाएंगे. उनमें से यदि दो परसेंट ये काम करने के लिए तैयार हो गए तो आप उनका वेलकम करना, हमारी बिरादरी में आ गए आप लोग.
उधर, राजधानी के एमआई रोड, किशनपोल, चांदपोल जैसे मुख्य बाजार भी कचरे के ढेर से हटे हुए हैं, जो बीमारियों को न्योता देते दिख रहे हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो 3 दिन से शहर भर में कचरे के ढेर बढ़ते जा रहे हैं. पूरा शहर सड़ रहा है. कचरे के ढेर लगते जा रहे हैं और अब बदबू भी आने लगी है. जबकि पहले सुबह दुकान खोलने से पहले ही कचरे के ढेर उठ जाया करते थे. सफाई व्यवस्था चाक-चौबंद थी. ऐसे में उन्होंने कहा कि सफाई कर्मचारियों की जो भी जायज मांग है, उनको राज्य सरकार पूरा कर उनकी हड़ताल खत्म करवाएं.
वहीं, वाल्मीकि समाज सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने कहा कि पहले स्वायत्त शासन भवन में सचिव और निदेशक स्तर पर ज्ञापन दिया था. उन्होंने समझौता भी किया, लेकिन समझौते के विपरीत भर्तियां निकाली गईं. उन्होंने अपनी मांगे दोहराते हुए कहा कि सफाई भर्ती में आरक्षण पद्धति लागू ना हो. 2018 से पहले जिन लोगों ने बीट, मस्टररोल पर सफाई का कार्य किया, उन्हें प्राथमिकता दी जाए. परंपरागत जो सफाई का कार्य करते हुए आ रहे हैं. ऐसे वाल्मीकि समाज के लोगों को भर्ती में प्राथमिकता और जिनके कोर्ट केस न्यायालय में निस्तारित हो चुके हैं, उन्हें प्राथमिकता देते हुए भर्ती 30 हजार पदों पर हो.
उन्होंने कहा कि डीएलबी निदेशक तक वार्ता की जा चुकी है. निदेशक ने लिखित में आश्वासन दिया था, समझौता किया. लेकिन वो समझौते पर अडिग नहीं रहे तो अब उनसे वार्ता करने का कोई औचित्य नहीं है. अब सीधे सीएम से वार्ता होगी और जहां तक सीएम अशोक गहलोत के बयान में इंटरव्यू के साथ-साथ प्रैक्टिकल की बात है तो वो भी चाहते हैं कि प्रैक्टिकल हो. लेकिन एक दिन नहीं, करीब 3 से 6 महीने तक हो. जिस वर्ग के लोग सफल हों, उन्हें नौकरी मिले.