जयपुर. केंद्र की ओर से प्रस्तावित नई शिक्षा नीति पर राजस्थान के शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने दिल्ली में अपने सुझाव दिए. शिक्षा मंत्री डोटासरा ने पाठ्यक्रम में बदलाव पर सवाल खड़े करते हुए कहा की राजस्थान में पिछली बीजेपी सरकार ने इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास किया. इससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था. इसलिए प्रदेश सरकार ने एनसीआरटी को लागू करने का कार्य शुरू कर दिया है. वहीं, सरकार के इस निर्णय की बोर्ड ने सराहना की.
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्यों ने राजस्थान में बाल सभा और अंग्रेजी माध्यम स्कूल, बस्ते का बोझ कम करने के कार्यों की प्रशंसा की. प्रदेश में विद्यालयों में प्रत्येक माह अमावस्या के दिन गांव की चौपाल पर बालसभा आयोजित की जा रही है. शिक्षा मंत्री ने सलाहकार बोर्ड के समक्ष प्री प्राइमरी शिक्षा को अनिवार्य करने की मांग की. जिसमें केंद्र की ओर से सहयोग सिर्फ दस हजार ही मिल रहा है. जिसको बढ़ाने की आवश्यकता है.
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साथ ही उन्होंने ने कहा की इसके लिए प्रशिक्षित अध्यापक की नियुक्ति होने की आवश्यकता है. केंद्र सरकार को जीडीपी का छह प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करना चाहिए. मंत्री ने कहा की शिक्षा नीति के तहत नए स्कूल बनाने की नीति है लेकिन स्कूल के निर्माण के लिए बजट की आवश्यकता होगी और एनडीए सरकार ने 60:40 का रेश्यो दे रखा है.
जो यूपीए सरकार में 90:10 का था. मंत्री ने कहा की 60:40 के रेश्यो में राज्य सरकार के पास सीमित बजट होता है. ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में केंद्र सरकार को बजट देना चाहिए. मंत्री ने कहा की वर्ष 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जो शिक्षा नीति लाये थे. उसको ही कुछ बदलाव के साथ ये प्रस्ताव बनाया गया था. लेकिन इसमें प्रदेश को संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए प्रावधान नहीं है. मंत्री ने स्कूलों में खेल को बढ़ावा देने के लिए भी बोर्ड में बात रखी जिसके बाद बोर्ड ने उच्च माध्यमिक स्कूलों को खेलों के लिए 25 हजार और प्राथमिक स्कूलों को पांच हजार का बजट दिया गया.