जयपुर. ग्रेटर नगर निगम में कार्यरत महिला कर्मचारी, अधिकारी और पार्षदों का मातृत्व अब उनके काम के आड़े नहीं आएगा. ग्रेटर नगर निगम प्रदेश का पहला नगरीय निकाय होगा जहां जल्द क्रेच (शिशु गृह) की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. खास बात ये है कि निगम के अलावा आसपास की कामकाजी महिलाएं भी अपने बच्चों को देखभाल के लिए यहां छोड़ सकेंगी. बुधवार को महापौर ने नींव के पत्थर पर राम लिखकर इसका शिलान्यास किया.
राम नाम के पत्थर से शिलान्यास : ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने महिला दिवस पर निगम मुख्यालय पर क्रेच खोलने की घोषणा की थी. इस घोषणा को मूर्त रूप देने के लिए बुधवार को महापौर ने नींव के पत्थर पर राम लिखकर शिलान्यास किया. महापौर ने बताया कि निगम जैसी संस्थान में क्रेच जैसी सुविधा होनी ही चाहिए. इस संबंध में कामकाजी महिलाओं के लिए क्रेच की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार की गाइडलाइन भी है. इससे महिलाओं का मातृत्व उनके काम में बाधा नहीं बनेगा.
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भोजन, रखरखाव और प्लेइंग जोन की भी व्यवस्था : मेयर ने बताया कि शिशु गृह या क्रेच में बच्चों के रखरखाव के लिए केयरटेकर, बच्चों के दोपहर के भोजन की व्यवस्था और प्लेइंग जोन भी विकसित किया जाएगा. मेयर ने क्रेच बनने के साथ ही एक विज्ञप्ति जारी करते हुए आसपास की कामकाजी महिलाओं को भी ये सुविधा उपलब्ध कराई जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि यहां प्राइवेट क्रेच से कम और नॉमिनल चार्जेज लिए जाएंगे.
इंदिरा रसोई की भी रखी नींव : मेयर ने बताया कि विजिटर रजिस्टर उठाकर देखें तो निगम में हर दिन सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं. ऐसे में यहां पहुंचने वाले लोगों को कम दर में, अच्छी सुविधा के साथ, पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए बुधवार को इंदिरा रसोई की भी नींव रखी गई है. उन्होंने कहा कि यहां क्वालिटी के साथ किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी. इस पर निगरानी रखने के लिए वो खुद भी यहां से कभी-कभी भोजन मंगवाया करेंगी.
35 नए हूपर को हरी झंडी : इससे पहले शहर में डोर टू डोर कचरा संग्रहण व्यवस्थाओं को मजबूत करने के क्रम में जगतपुरा जोन में 35 नए हूपर को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. यहां हूपर के ड्राइवर के साथ हेल्पर की भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. हेल्पर और ड्राइवर दोनों का ड्रेस कोड भी निर्धारित किया गया है. मेयर ने बताया कि अब जल्द विद्याधर नगर जोन को भी हूपर उपलब्ध कराए जाएंगे.
क्या है क्रेच या शिशु गृह : बता दें कि शिशु गृह एक ऐसी सुविधा है, जहां कामकाजी माता-पिता अपने वर्किंग आवर में बच्चों को छोड़कर जा सकते हैं. यहां बच्चों के समग्र विकास के लिए उचित वातावरण प्रदान किया जाता है. यहां 6 महीने से 6 साल तक के बच्चे, जिन्हें दिन के दौरान अपने घर से दूर देखभाल, मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण की जरूरत होती है, उन्हें इस शिशु गृह में सामूहिक देखभाल प्रदान की जाती है.