जयपुर. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हमारे बीच नहीं रही. सुषमा स्वराज एक मजबूत राजनीतिक लीडर होने के साथ ही आम लोगों की मदद के लिए हमेशा खड़ी रहती थी. आम लोगों की मदद में हमेशा तत्पर रही सुषमा स्वराज को राजधानी जयपुर का एक माहेश्वरी परिवार कभी नहीं भूल पायेगा.
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हम बात कर रहे हैं जयपुर में रह रही एक पाकिस्तानी हिन्दू लड़की मशाल माहेश्वरी की. सुषमा स्वराज ने तीन साल पहले मशाल माहेश्वरी का मेडिकल कॉलेज में दाखिला करवाया था. मशाल ने12वीं साइंस में 91 प्रतिशत अंक हासिल किया था. उसका एक ही सपना था बेस्ट मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने. लेकिन मशाल ने जब मेडिकल फॉर्म भरना चाहा तो उसकी पाकिस्तानी नागरिकता आड़े आने लगी.मशाल की इस परेशानी को मीडिया ने भी प्राथमिकता से दिखाया था. मीडिया कवरेज को देखते हुए सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर ट्वीट करके मशाल को उसका दाखिले करवाने का भरोसा दिलवाया था.
आज सुषमा स्वराज के निधन के बाद मशाल ने भावुक होकर कहा कि सुषमा स्वराज धरातल से जुड़ी हुई थी. जब हम अपनी समस्या लेकर उनके पास पहुँचे. तो उन्होंने कभी ऐसा महसूस नहीं करवाया की उनके पास बहुत पावर है. मशाल ने कहा कि स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के बावजूद उन्होंने हमें समय दिया और काम को जल्द से जल्द करवाया. मशाल ने कहा कि आज सुषमा स्वराज जी की वजह से ही मुझे जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में दाखिल मिला है. सुषमा स्वराज ना सिर्फ बेहतर लीडर थी.बल्कि एक अच्छी इंसान भी थी, उन्होंने एक मां की तरह मेरी मदद की है.
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मशाल के पिता डॉ. अशोक माहेश्वरी पाकिस्तान छोड़कर जयपुर आए थे. मशाल के मेडिकल कॉलेज में दाखिले को लेकर पाकिस्तानी नागरिकता आड़े आ रही थी. उसके बाद सारी उम्मीदे खत्म हो गयी थी. लेकिन जब सुषमा स्वराज ने हमारी परेशानी को देखा और सुना तो उन्होंने हमको सांत्वना दी. इतना ही नहीं उन्होंने हमारे साथियों की भी मदद की थी. हमारा परिवार उनको कभी भुला नहीं पाएगा. वो हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगीं. डॉ. अशोक के कहा कि इस तरह की लीडर सदियों में पैदा होती है, वे 'मदर ऑफ यूनिवर्स' है.
धार्मिक उत्पीड़न की वजह से छोड़ा पाकिस्तान
मशाल के माता-पिता 2014 में धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान के सिंध छोड़ जयपुर आए थे. जयपुर आने के बाद मशाल ने दोबारा से कक्षा 11वीं में एडमिशन लिया और12वीं में 91 परसेंट प्राप्त किए. मशाल के माता -पिता का सपना था कि उनकी बेटी डॉक्टर बने. लेकिन देश में शरणार्थी होने के कारण एडमिशन नहीं हो पा रहा था. इन उसके बाद उस समय विदेश मंत्री रही सुषमा स्वराज ने मशाल की मदद की, और परिवार को बड़ी राहत दिलाई.