जयपुर. राजस्थान में सियासी टेंपरेचर हाई है. 5 महीने के इंतजार और दो बार खुद सचिन पायलट की ओर से सवाल उठाने के बाद महेश जोशी ने इस्तीफा दे दिया है. माना जा रहा है कि 25 सितंबर की समानांतर विधायक दल की बैठक बुलाने पर ये कार्रवाई हुई है, लेकिन हकीकत यह है कि महेश जोशी के इस्तीफे से न तो सचिन पायलट जीते हैं और न ही अशोक गहलोत हारे हैं. क्योंकि महेश जोशी के पास राजस्थान विधानसभा में मुख्य सचेतक और जलदाय मंत्री की दोहरी जिम्मेदारी थी और कांग्रेस ने उदयपुर चिंतन शिविर में यह तय किया था कि एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू होगा. ऐसे में महेश जोशी को अपने एक पद से इस्तीफा देना था, जो उन्होंने दे दिया. वहीं, सियासी हलकों में चर्चा है कि अगर पार्टी कार्रवाई करती तो आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ और शांति धारीवाल पर भी एक्शन होता.
अब आगे क्या ? : महेश जोशी ने एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर अपना पद छोड़ दिया. आने वाले दिनों में मंत्री शांति धारीवाल भी अपना दूसरा हाउसिंग बोर्ड चेयरमैन का पद छोड़ सकते हैं. हालांकि, धारीवाल के पास यूडीएच मंत्री के साथ ही विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री का भी चार्ज है, लेकिन संसदीय कार्य का काम वैसे भी किसी मंत्री के पास दोहरी जिम्मेदारी के तौर पर ही होता है. ऐसे में अगर शांति धारीवाल संसदीय कार्य मंत्री का काम भी छोड़ देते हैं, तो भी इसे कोई कार्रवाई नहीं मानी जा सकती. वहीं, धर्मेंद्र राठौड़ के पास वर्तमान में केवल आरटीडीसी चेयरमैन पद की जिम्मेदारी है. धर्मेंद्र राठौड़ को अपना पद छोड़ना पड़ा तो वह साफ तौर पर यह दिखाएगा कि कार्रवाई 25 सितंबर की घटना के कारण हुई है. इसलिए अब इंतजार है कि धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़ को लेकर पार्टी क्या निर्णय करती है ?
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तीन नेताओं को मिला था कारण बताओ नोटिस : 25 सितंबर की घटना को लेकर अकेले महेश जोशी नहीं, बल्कि मंत्री शांति धारीवाल और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को भी एआईसीसी की ओर से कारण बताओ नोटिस मिला था. अगर कार्रवाई होती तो तीनों नेताओं के खिलाफ होती, लेकिन इस्तीफा अकेले महेश जोशी का हुआ है. वह भी केवल एक पद से इस्तीफा लिया गया है.
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2 विधायक बन सकते हैं नए मुख्य सचेतक : राजस्थान विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी के इस्तीफे के बाद अब यह पद खाली हो गया है. माना जा रहा है कि उपमुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी का प्रमोशन कर मुख्य सचेतक बनाया जा सकता है. वहीं, दूसरा फार्मूला यह भी हो सकता है कि पायलट कैंप के किसी नेता को मुख्य सचेतक बना दिया जाए, लेकिन ऐसा होने की संभावना कम है. उधर, कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा में बीते 4 साल से विधानसभा उपाध्यक्ष भी नहीं बनाया है. ऐसे में उम्मीद है कि इसी सत्र में पार्टी विधानसभा उपाध्यक्ष भी बना दे.