जयपुर. राजस्थान में सरकार और वीरांगनाओं के बीच शहीद के परिजन की नौकरी के बीच चर्चा में आई चूड़ा प्रथा सुर्खियों में है. किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद छोटे भाई या नजदीकी रिश्तेदार के साथ मृतक की पत्नी को चूड़ा पहनाकर नाता जोड़ने की पुरानी और प्रचलित प्रथा को लेकर समाज में हमेशा दो राय रही है. ऐसे में राजस्थान की एक महिला सरपंच ने महिला सशक्तिकरण का बीड़ा उठाते हुए चूड़ा प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई है. झुंझुनूं जिले में बुहाना तहसील के लंबी अहीर गांव की सरपंच नीरू यादव ने अपनी इस आवाज को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए फिल्मों को माध्यम चुना है. उनकी इस मुहिम में राजस्थानी फिल्मों में महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने वाले निर्देशक अरविंद चौधरी का साथ मिला है.
महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा: नीरू यादव कई तरह की पहल कर ग्रामीण महिलाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहती हैं. हाल ही में नीरू ने गांव की लड़कियों को हॉकी में ट्रेंड करने के लिए स्वयं की सैलरी डोनेट कर दी और एक स्टेट लेवल की टीम बनाई. उन्होंने PMKVY योजना के तहत 10 लड़कियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया और सभी लड़कियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी दिलाने में मदद की. इस सफल परियोजना के बाद करीब 15 और लड़कियां कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए नीरू यादव से जुड़ गई हैं और जल्द ही एक नया बैच शुरू होगा.
![Lady Sarpanch Neeru Yadav stood against chuda pratha](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/sarpanchonsociety_13032023221345_1303f_1678725825_204.jpg)
सरपंच नीरू यादव के साथ जुड़ी 40 साल की संतोष जांगिड़ ने कहा कि हमने अपने गांव में इस तरह की कुरीतियां देखी हैं. पहले पति ने उसे छोड़ दिया. इसके बाद देवर से उसका दूसरा विवाह देवर से कर दिया गया. इसके बाद भी उसका विवाह दूसरे देवर से जबरन करवा दिया गया. इससे उसकी स्थिति दयनीय हो गई और स्वास्थ्य खराब होने के चलते वह कोमा में चली गई. वहीं 50 साल की विमला यादव कहती हैं कि चूड़ा प्रथा का प्रकोप राजस्थान के कई गांवों में जारी है. महिलाओं को काम करने की परमिशन भी नहीं दी जाती है.
![Lady Sarpanch Neeru Yadav stood against chuda pratha](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/sarpanchonsociety_13032023221345_1303f_1678725825_551.jpg)
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शॉर्ट फिल्म के जरिए जागरूकता का पैगाम: हॉकी वाली सरपंच के नाम से पुकारे जाने वाली नीरू ने फिल्म गांव में महिला जागरूकता लाने के लिए डॉयरेक्टर अरविंद चौधरी के साथ तीन मूवीज की स्क्रीनिंग आयोजित की. अरविंद चौधरी सालों से महिला सशक्तिकरण के लिए फिल्में बना रहे हैं. उन्होंने नीरू यादव के साथ मिलकर ग्रामीण स्तर महिलाओं के अधिकार पर जागरूकता के लिए उनके मुद्दों से जुड़ी फिल्मों को प्रदर्शित किया.
वहीं गांव की महिलाओं ने भी परी, बींदणी और हथ रपिया जैसी फिल्में देखने के बात समाज के मिथक और कुरीतियों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की प्रेरणा ली. इन महिलाओं ने खास तौर पर हथ रपिया जैसी 'चूड़ा प्रथा' पर बनी फिल्म को देखने के बाद जागरूकता का संदेश लिया. राजस्थानी फिल्म हथ रपिया में भी गर्भवती विधवा महिला को चूड़ा प्रथा से जूझता हुआ दिखाया गया है.
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हाथ रपिया फिल्म बनाने वाले निर्देशक अरविंद चौधरी ने कहा कि उनकी बहन भी चूड़ा प्रथा का शिकार हो गई थी. उसे जेल की तरह चारदीवारी में बंद कर दिया गया था. उसे अपनी मर्जी से जिंदगी जीने की इजाजत भी नहीं थी. ऐसे में उन्होंने अपने निजी जिंदगी के अनुभव के आधार पर महिलाओं के बीच जागरूकता पैदा करने के मकसद से उनसे जुड़े विषयों पर फिल्में बनाना शुरू किया. लघु फिल्म हथ रपिया के माध्यम से गर्भवती विधवा की पीड़ा और 'चूड़ा प्रथा' को फिल्मी पर्दे पर उतारा गया है. जयपुर में आयोजित 9वें राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इसे बेस्ट शॉर्ट फिल्म का अवॉर्ड मिल चुका है. इस मूवी की पृष्ठभूमि झुंझुनू के पिलानी और भावठडी से संबंधित है.