ETV Bharat / state

8वें दिन गया जी में विष्णुपद की 16 वेदियों पर पिंडदान करने से शिवलोक की होती है प्राप्ति

पिंडदान पवित्र मन से करना चाहिए. साफ मन से पिंडदान करने से ही पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दौरान एक बार भोजन करना चाहिए और पृथ्वी पर सोना चाहिए. इन नियमों का पालन करने से ही गया तीर्थ का फल मिलता

eighth day of Pinddaan, Vishnupad Temple, जयपुर लेटेस्ट न्यूज, विष्णुपद स्थित 16 वेदियों jaipur news, gaya ji pooja news
author img

By

Published : Sep 20, 2019, 10:01 AM IST

गया/ जयपुर. मोक्ष की नगरी गया में आठवें दिन का महत्व 16 वेदियों पर है. विष्णुपद स्थित 16 वेदियों पर 8वें दिन पिंडदान करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है. गया में श्राद्ध करने से सात गोत्र और 101 कुल का उद्धार होता है.

eighth day of Pinddaan, Vishnupad Temple, जयपुर लेटेस्ट न्यूज, विष्णुपद स्थित 16 वेदियों  jaipur news, gaya ji pooja news
पिंडदान करने से पूर्वजों को होती है मोक्ष की प्राप्ति

कहा जाता है कि दूसरे स्थानों पर पितर आह्वान करने पर आते हैं, लेकिन गया में अपने पुत्र को आया हुआ देखकर वह स्वयं आ जाते हैं. गया तीर्थ पिंडदान करने का फल हर कोई चाहता है. इस क्रिया को क्रोध और लोभ को त्याग कर करना चाहिए. जिनके घर में कुत्ते पाले जाते हैं. उनके घर का जल भी पितर ग्रहण नहीं करते हैं.

पढ़ें- पहले खुद पर ही हर प्रयोग करते थे गांधी

पवित्र मन से करना चाहिए पिंडदान

पिंडदान करने के समय ब्रह्मचारी रहना चाहिए. इस दौरान एक बार भोजन करना चाहिए. पृथ्वी पर सोना चाहिए और सच बोलना चाहिए. साथ ही पवित्र रहना चाहिए. इतना काम करने से ही गया तीर्थ का फल मिलेगा. जिनके घर में कुत्ते पाले जाते हैं उनका जल भी पितर ग्रहण नहीं करते हैं.

8वें दिन गया जी में 16 वेदियों पर पिंडदान

पढ़ें- बुलेट ट्रेन: भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 120 से अधिक याचिकाएं खारिज

शिवलोक की होती है प्राप्ति

पिंडदान के आठवें दिन 16 वेदी नामक तीर्थ पर अवस्थित अगस्त पद, क्रौंच पद, मतंगपद, चंद्रपद, सूर्यपद, कार्तिकपद में श्राद्ध करने से पितरों को शिवलोक की प्राप्ति होती है. वहीं शास्त्र ने 16 वेदी के अंतिम कर्मकांड में रोगग्रस्त श्रद्धालुओं को कुछ खाकर दान करने का आदेश दिया है. आठवां दिन पिंडदान करने से पहले नित्यकर्म कर, पूर्वजों को मन में रखकर 16 वेदियों के पास स्थल पर बैठकर पिंडदान आरंभ करना चाहिए. 16 वेदी का स्थल देव स्थल है, जहां 16 देवता स्थान ग्रहण करते हैं. पिंडवेदी स्तंभ पर पिंड साटने की परंपरा नहीं है. यहां सभी पिंडों के भांति पिंड अर्पित कर सकते हैं.

eighth day of Pinddaan, Vishnupad Temple, जयपुर लेटेस्ट न्यूज, विष्णुपद स्थित 16 वेदियों  jaipur news, gaya ji pooja news
शिवलोक की प्राप्ति का स्रोत है पिंडदान

सात गोत्र इस प्रकार है:

  • पिता का गोत्र
  • माता का गोत्र
  • पत्नी का गोत्र
  • बहन का गोत्र
  • बेटी के पति का गोत्र
  • बुआ का गोत्र
  • मौसी का गोत्र

पढ़ें- ममता की मोदी-शाह से मुलाकात पर विजयवर्गीय का तंज, 'आया ऊंट पहाड़ के नीचे'

101 कुल इस प्रकार है:

  • पिता के 24
  • माता के 20
  • पत्नी के 16
  • बहन के 12
  • बेटी के पति के11
  • बुआ के 10
  • मौसी के 8

गया/ जयपुर. मोक्ष की नगरी गया में आठवें दिन का महत्व 16 वेदियों पर है. विष्णुपद स्थित 16 वेदियों पर 8वें दिन पिंडदान करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है. गया में श्राद्ध करने से सात गोत्र और 101 कुल का उद्धार होता है.

eighth day of Pinddaan, Vishnupad Temple, जयपुर लेटेस्ट न्यूज, विष्णुपद स्थित 16 वेदियों  jaipur news, gaya ji pooja news
पिंडदान करने से पूर्वजों को होती है मोक्ष की प्राप्ति

कहा जाता है कि दूसरे स्थानों पर पितर आह्वान करने पर आते हैं, लेकिन गया में अपने पुत्र को आया हुआ देखकर वह स्वयं आ जाते हैं. गया तीर्थ पिंडदान करने का फल हर कोई चाहता है. इस क्रिया को क्रोध और लोभ को त्याग कर करना चाहिए. जिनके घर में कुत्ते पाले जाते हैं. उनके घर का जल भी पितर ग्रहण नहीं करते हैं.

पढ़ें- पहले खुद पर ही हर प्रयोग करते थे गांधी

पवित्र मन से करना चाहिए पिंडदान

पिंडदान करने के समय ब्रह्मचारी रहना चाहिए. इस दौरान एक बार भोजन करना चाहिए. पृथ्वी पर सोना चाहिए और सच बोलना चाहिए. साथ ही पवित्र रहना चाहिए. इतना काम करने से ही गया तीर्थ का फल मिलेगा. जिनके घर में कुत्ते पाले जाते हैं उनका जल भी पितर ग्रहण नहीं करते हैं.

8वें दिन गया जी में 16 वेदियों पर पिंडदान

पढ़ें- बुलेट ट्रेन: भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 120 से अधिक याचिकाएं खारिज

शिवलोक की होती है प्राप्ति

पिंडदान के आठवें दिन 16 वेदी नामक तीर्थ पर अवस्थित अगस्त पद, क्रौंच पद, मतंगपद, चंद्रपद, सूर्यपद, कार्तिकपद में श्राद्ध करने से पितरों को शिवलोक की प्राप्ति होती है. वहीं शास्त्र ने 16 वेदी के अंतिम कर्मकांड में रोगग्रस्त श्रद्धालुओं को कुछ खाकर दान करने का आदेश दिया है. आठवां दिन पिंडदान करने से पहले नित्यकर्म कर, पूर्वजों को मन में रखकर 16 वेदियों के पास स्थल पर बैठकर पिंडदान आरंभ करना चाहिए. 16 वेदी का स्थल देव स्थल है, जहां 16 देवता स्थान ग्रहण करते हैं. पिंडवेदी स्तंभ पर पिंड साटने की परंपरा नहीं है. यहां सभी पिंडों के भांति पिंड अर्पित कर सकते हैं.

eighth day of Pinddaan, Vishnupad Temple, जयपुर लेटेस्ट न्यूज, विष्णुपद स्थित 16 वेदियों  jaipur news, gaya ji pooja news
शिवलोक की प्राप्ति का स्रोत है पिंडदान

सात गोत्र इस प्रकार है:

  • पिता का गोत्र
  • माता का गोत्र
  • पत्नी का गोत्र
  • बहन का गोत्र
  • बेटी के पति का गोत्र
  • बुआ का गोत्र
  • मौसी का गोत्र

पढ़ें- ममता की मोदी-शाह से मुलाकात पर विजयवर्गीय का तंज, 'आया ऊंट पहाड़ के नीचे'

101 कुल इस प्रकार है:

  • पिता के 24
  • माता के 20
  • पत्नी के 16
  • बहन के 12
  • बेटी के पति के11
  • बुआ के 10
  • मौसी के 8
Intro:गया जी मे पिंडदान का आठवां दिन का महत्व 16 वेदियों पर है।16 पिंडवेदी के आखिर के सभी पिंडवेदी पर आज पिंडदान हो रहा है। विष्णुपद स्थित 16 वेदियो पर आखिर दिन पिंडदान करने से शिवलोक की प्राप्ति होता हैं।


Body:गया श्राद्ध करने में सात गोत्र 101 कुल का उद्धार होता है वह सात गोत्र और एक सौ कुल इस प्रकार है पिता का गोत्र,माता का गोत्र, पत्नी का गोत्र,बहन का गोत्र,बेटी के पति का गोत्र,बुआ का गोत्र, मौसी का गोत्र,यह सात गोत्र तथा पिता के 24 ,माता के 20,पत्नी के 16, बहन के 1, बेटी के पति के11,बुआ के 10 और मौसी के आठ इस प्रकार 101 कुल हुए।

दूसरे स्थानों पर पितर आह्वान करने से आते हैं किंतु गया में अपने पुत्र को आया हुआ देखकर स्वयं आ जाते हैं। गया तीर्थ पिंडदान करने का फल आदि कोई चाहता है तो काम ,क्रोध तथा लोभ को त्याग कर इस क्रिया को करना चाहिए।पिंडदान करने के समय ब्रह्मचारी रहना चाहिए ,एक बार भोजन करना चाहिए ,पृथ्वी पर सोना चाहिए,सच बोलना चाहिए तथा पवित्र रहना चाहिए इतना काम करने से ही गया तीर्थ का फल मिलेगा। जिनके घर में कुत्ते पाले जाते हैं उनका जल भी पितर ग्रहण नही करते हैं।

पिंडदान के आठवें दिन 16 वेदी नामक तीर्थ पर अवस्थित अगस्त पद,क्रौंच पद,मतंगपद, चंद्रपद, सूर्यपद, कार्तिकप में श्राद्ध करने से पितरों को शिवलोक की प्राप्ति होती है।

16 वेदी के अंतिम कर्मकांड में रोगग्रस्त श्रद्धालुओं को शास्त्र ने कुछ खाकर करने का आदेश दिया है।


Conclusion:आठवां दिन पिंडदान करने से पहले नित्यकर्म कर, पूर्वजो के मन मे रखकर 16 वेदियो के समीप स्थल पर बैठकर पिंडदान आरंभ करना चाहिए। 16 वेदी का स्थल देव स्थल है जहां 16 देवता स्थान ग्रहण किये हो। पिंडवेदी स्तंभ पर पिंड साटने का परंपरा नही है , यहां सभी पिंडो के भांति पिंड अर्पित कर सकते हैं। य
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.