जयपुर. प्रदेश में गुरुवार रात आए अंधड़ और तूफान के निशां अभी भी सामने आ रहे हैं. इस तूफान ने 17 लोगों को जान ले ली. करीब 150 पेड़ उखड़ गए. 2248 पोल टूट गए. 546 ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो गए और करीब 7.50 करोड़ का नुकसान हुआ. इसी तूफान में भगवान भोलेनाथ ने अपनी लीला भी दिखाई. जयपुर के नाहरगढ़ रोड स्थित जंगजीत महादेव मंदिर में सैकड़ों साल पुराना एक बरगद का पेड़ धराशाई हो गया. जिसकी चपेट में एक शिव मंदिर भी आ गया. मंदिर पूरी तरह ध्वस्त हो गया, लेकिन इस घटना में शिवलिंग सहित शिव परिवार पूरी तरह सुरक्षित रहा. एक शिला ने जंगजीत शिवलिंग को तूफान से जीत दिलाई.
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उत्तराखंड में 2013 में आई थी आपदाः आपको याद होगा 16 जून 2013, जब उत्तराखंड में आपदा आई थी तो उसने तबाही मचा दी थी. जल सैलाब ने केदारघाटी को उजाड़ कर रख दिया था. उस वक्त बाढ़ के साथ एक बड़ी चट्टान मंदिर की तरफ आई और मंदिर से कुछ दूरी पर रुक गई. उस चट्टान की मदद से बाढ़ का तेज पानी मंदिर के दोनों तरफ से बहकर निकल गया. इस घटना के ठीक 10 साल बाद राजधानी जयपुर में गुरुवार को आए तूफान में कुछ ऐसा ही मंजर नजर आया.
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शिला बनीं शिव परिवार का छत्रः गुरुवार रात राजस्थान की राजधानी में शहर भर में तेज अंधड़ से सैकड़ों पेड़ उखड़ गए. पिंकसिटी जयपुर की नाहरगढ़ रोड के दूसरे चौराहे पर भी सैकड़ों वर्ष पुराना एक बरगद का पेड़ अपनी जड़ें छोड़ धराशाई हो गया. ये पेड़ एक शिव मंदिर पर गिरा, लेकिन जिस तरह केदारनाथ में एक चट्टान मंदिर की ढाल बन गई थी. ठीक उसी तरह है यहां भी एक शिला शिव पंचायत के ऊपर छत्र की तरह आकर रुक गई और पूरा मंदिर ध्वस्त हो जाने के बावजूद भी शिव परिवार की कोई भी मूर्ति खंडित नहीं हुई.
स्थानीय लोग इस मान रहे भोलेनाथ का चमत्कारः स्थानीय लोगों ने इसे भोलेनाथ का चमत्कार बताते कहा कि पुराने बरगद के पेड़ के गिरने से आसपास के मकानों तक की दीवार गिर गईं. बावजूद इसके मंदिर में स्थापित शिवलिंग और शिव परिवार पूरी तरह सुरक्षित रहा. मंदिर पर गिरने वाले विशालकाय पेड़ को हटाने में नगर निगम की टीम और राहत दल को करीब 12 घंटे का समय लगा. अब इस वाकये को सुनने के बाद लोग ढूंढ़ते हुए उस मंदिर तक पहुंचने लगे हैं. वहीं सोशल मीडिया पर भी मंदिर के वीडियो वायरल हो रहे हैं.