जयपुर. ओपीएस के अध्ययन के लिए कर्नाटक सरकार के एक दल के राजस्थान आने की खबर सुर्खियों में है. बताया जा रहा है कि ओल्ड पेंशन स्कीम का अध्ययन करने के लिए कर्नाटक सरकार एक दल राजस्थान भेज रही है. बीजेपी शासित राज्य कर्नाटक में ओपीएस लागू करने को लेकर हो रहे इस अध्ययन के बाद अब सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है.
हालांकि, राजस्थान में आने वाले विधानसभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर बीजेपी ने अभी अपना कोई भी रुख स्पष्ट नहीं किया है. कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है. उन्होंने यह जरूर कहा कि हर राज्य के अपने मुद्दे होते हैं और सरकार उसी के अनुसार अपने फैसले लेती है.
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सरकारें अपने-अपने तौर से करती हैं समीक्षा : कॉमर्स कॉलेज में छात्रसंघ कार्यालय के उद्घाटन के के बाद मीडिया से से बातचीत के दौरान इस संबंध में सवाल पर सतीश पूनिया ने कहा है कि मैंने भी अखबार में पढ़ा है और यह कोई नई बात नहीं है. अलग-अलग प्रांतों में जितनी योजनाएं हैं उनकी समीक्षा दूसरे प्रदेश की सरकारें अपने-अपने तौर से करती हैं. क्योंकि राज्य में बहुत सारे ऐसे मसले होते हैं जिसका अनुसरण दूसरे राज्य करते हैं और सीखते-समझते भी हैं.
देशभर में जिन मुद्दों पर चर्चा होती है. मैंने अखबार में पढ़ा है. पार्टी का तो नहीं, लेकिन सरकारी तौर पर हो सकता है सरकार ने इस तरीके से उचित समझा होगा कि उनकी टीम इसका अध्ययन करे. आने वाले समय में बहुत सारे राज्यों में चुनाव होने हैं और चुनाव से ताल्लुक बहुत सारे मुद्दे होते हैं, जिन पर पार्टी समाधान की दिशा में जाए. इस नाते हो सकता है सरकार ने पहल की हो और वे यहां जानकारी या पर्यवेक्षण के तौर पर आएं.
अब तक भाजपा बताती रही है ओपीएस के नुकसान : बता दें कि अभी तक भाजपा ओल्ड पेंशन स्कीम को देश के लिए नुकसानदेह बताती आई है. लेकिन कर्नाटक की भाजपा शासित सरकार ने पहली बार ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की तैयारी में है. ओपीएस के अध्ययन के लिए टीम राजस्थान भेजने के कदम को वहां भी ओपीएस लागू करने के कदम से जोड़कर देखा जा रहा है.
वीरांगनाओं का धरना हटाना दुर्भाग्यपूर्ण : पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं का धरना हटाने के मामले में भी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी और सच बात को कहने का हक सबको है. एक लोक कल्याणकारी सरकार को चाहिए कि जितने मुद्दे सरकार के समक्ष आते हैं, उसमें उदारता से, निरपेक्षता से कम से कम एक पहल की जाए.
दुर्भाग्य है कि राजस्थान की सरकार ने इस पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की और सिर्फ बयानबाजी तक सीमित रहे. उनकी जो जायज मांगें थीं, जो बुनियादी मांगें थीं, जिसकी घोषणा वहां पर सरकार के मंत्रियों ने की. मुझे लगता है कि वो क्रियान्वित करने देते और करके दिखाते तो बेहतर होता. इसलिए जो कुछ भी घटनाक्रम हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है. मुझे यह लगता है कि सरकार को संज्ञान लेना चाहिए था.