जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. ऐसे में दोनों नेताओं के बीच तेजी से बढ़ रही तल्खी को खत्म कराने और पार्टी को संभावित नुकसान से बचाने के लिए राजस्थान में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ की एंट्री कराई है. साथ ही उन्हें गहलोत-पायलट के बीच जारी विवाद को किसी भी तरह से खत्म करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
दरअसल, कमलनाथ नहीं चाहते हैं कि सचिन पायलट किसी भी कारण से पार्टी से अलग हों. इसके पीछे वजह यह है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस अभी मजबूत स्थिति में मानी जा रही है और सचिन पायलट का भी इसमें असर है. अगर पायलट कांग्रेस से दूरी बनाते हैं तो मध्य प्रदेश में पार्टी को नुकसान हो सकता है. यही कारण है कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से 29 मई को हुई गहलोत और पायलट की बातचीत से पहले भी कांग्रेस आलाकमान ने कमलनाथ को पायलट के मामले में समझाइश के लिए केसी वेणुगोपाल के साथ काम सौंपा था.
वहीं, उसका असर यह हुआ कि कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत से बातचीत कर दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने की कोशिश की. अब एक बार फिर राजस्थान में सियासी उठापटक जारी है और यह कहा जा रहा है कि सचिन पायलट 11 जून को अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि के दिन कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. ऐसे में पायलट को रोकने के लिए कमलनाथ की राजस्थान में एंट्री कराई गई है.
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भले ही कहने को सचिन पायलट रविवार को मध्य प्रदेश में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तनखा के निजी कार्यक्रम में भाग लेने और मां शारदा मंदिर में दर्शन पूजन के लिए पहुंचे थे. लेकिन जानकारों का कहना है कि पायलट का मध्य प्रदेश जाने का मुख्य कारण कमलनाथ के जरिए अपनी बात आलाकमान तक पहुंचाने की थी. अब पायलट की मध्य प्रदेश यात्रा के बाद कहा जा रहा है कि कमलनाथ इस मामले पर बीच बचाव करते दिखाई देंगे और वैसे भी कमलनाथ हर संभव कोशिश करेंगे कि पायलट पार्टी में बने रहे. ताकि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा मिल सके.
सबकी नजर 8 जून पर, राहुल करेंगे सुनवाई - भले ही राजस्थान में इस बात की चर्चा चल रही हो कि 11 जून को सचिन पायलट अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं. लेकिन अब सभी को 8 जून का बेसब्री से इंतजार है. राहुल गांधी अमेरिका दौरे से लौटकर संभवतः पायलट को लेकर कोई निर्णय लेंगे. वैसे भी सचिन पायलट ने अपनी सरकार को दिए अल्टीमेटम की तारीख 31 मई गुजर जाने के बाद भले ही मीडिया में यह बात कही हो कि वह अपने मुद्दों पर अडिग हैं, बावजूद इसके उन्होंने किसी आंदोलन की घोषणा नहीं की है.
ऐसे में अब भी पार्टी में पायलट के बने रहने की पूरी संभावना है. साथ ही अब इंतजार इस बात का है कि पायलट को पार्टी में मान-सम्मान देकर उनकी मांगों पर कोई उचित कार्रवाई होती है या फिर पायलट कांग्रेस से अलग होकर कोई दूसरा रास्ता अख्तियार करते हैं.