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लोकसभा में जौनापुरिया ने ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट का उठाया मुद्दा...कहा केंद्र इसे अपनी योजना में शामिल कर जल्द करें काम पूरा

टोंक-सवाई माधोपुर सीट से सांसद सुखवीर सिंह जौनापुरिया ने ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को केंद्र की योजनाओं में शामिल करने की मांग की.

Jaunpuria raised issue of Eastern Rajasthan Canal Project in the House
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Published : Jul 31, 2019, 6:14 PM IST

नई दिल्ली/जयपुर. अंतर्राज्यिक नदी जल विवादों की न्याय प्रक्रिया को सरल और कारगर बनाने व वर्तमान विधिक और संस्थगत संरचना को संतुलित बनाने के उद्देश्य वाला अंतर्राज्यिक नदी जल विवाद संशोधन विधेयक-2019 बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश हुआ. जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने यह विधेयक पेश किया.

पढ़ें: निकाय चुनाव में होगा मल्टी पोस्ट सिंगल वोट EVM का उपयोग, मशीन की कमी को देखते हुए निकाला हल

विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए आरोप लगाया कि इस बारे में राज्यों से विचार विमर्श नहीं किया गया. जिस पर शेखावत ने कहा कि 2013 में राज्यों से विचार विमर्श किया गया था और 2017 में संबंधित विधेयक लाया गया था. इसके बाद विधेयक स्थायी समिति को भेजा गया. इस विधेयक के मसौदे पर भी चर्चा हुई लेकिन 16वीं लोकसभा की अवधि समाप्त होने पर इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका.

पढ़ें: 'तीन तलाक' पर ज्ञानदेव आहूजा का विवादित बयान...

शेखावत ने कहा कि जल विवादों से संबंधित नौ अलग-अलग न्यायाधिकरण हैं. इनमें से चार न्यायाधिकरण को फैसला सुनाने में 10 से 28 वर्ष लगे. न्यायाधिकरण के आदेश पारित करने के संबंध में कोई समय सीमा तय नहीं है.

लोकसभा में जौनापुरिया ने ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट का उठाया मुद्दा

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, बीजद के भतृहरि माहताब और द्रमुक के टी आर बालू ने विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि जल राज्य सूची का विषय है और इस बारे में राज्यों से विचार विमर्श नहीं किया गया.

पढ़ें: सेना का भूतपूर्व जवान बता कर OLX पर युवक से की रॉयल इनफिल्ड मोटरसाइकिल सौदे में ठगी

वहीं राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर सीट से सांसद सुखवीर सिंह जौनापुरिया ने इस बिल का समर्थन किया. साथ उन्होंने राजस्थान में विधानसभा चुनावों के दौरान घोषित की गई ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को केंद्र की योजनाओं में शामिल करने की मांग की.

नई दिल्ली/जयपुर. अंतर्राज्यिक नदी जल विवादों की न्याय प्रक्रिया को सरल और कारगर बनाने व वर्तमान विधिक और संस्थगत संरचना को संतुलित बनाने के उद्देश्य वाला अंतर्राज्यिक नदी जल विवाद संशोधन विधेयक-2019 बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश हुआ. जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने यह विधेयक पेश किया.

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विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए आरोप लगाया कि इस बारे में राज्यों से विचार विमर्श नहीं किया गया. जिस पर शेखावत ने कहा कि 2013 में राज्यों से विचार विमर्श किया गया था और 2017 में संबंधित विधेयक लाया गया था. इसके बाद विधेयक स्थायी समिति को भेजा गया. इस विधेयक के मसौदे पर भी चर्चा हुई लेकिन 16वीं लोकसभा की अवधि समाप्त होने पर इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका.

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शेखावत ने कहा कि जल विवादों से संबंधित नौ अलग-अलग न्यायाधिकरण हैं. इनमें से चार न्यायाधिकरण को फैसला सुनाने में 10 से 28 वर्ष लगे. न्यायाधिकरण के आदेश पारित करने के संबंध में कोई समय सीमा तय नहीं है.

लोकसभा में जौनापुरिया ने ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट का उठाया मुद्दा

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, बीजद के भतृहरि माहताब और द्रमुक के टी आर बालू ने विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि जल राज्य सूची का विषय है और इस बारे में राज्यों से विचार विमर्श नहीं किया गया.

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वहीं राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर सीट से सांसद सुखवीर सिंह जौनापुरिया ने इस बिल का समर्थन किया. साथ उन्होंने राजस्थान में विधानसभा चुनावों के दौरान घोषित की गई ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को केंद्र की योजनाओं में शामिल करने की मांग की.

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टोंक-सवाई माधोपुर सीट से सांसद सुखवीर सिंह जौनापुरिया ने इस बिल का समर्थन किया. साथ उन्होंने राजस्थान में विधानसभा चुनावों के दौरान ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को केंद्र की योजनाओं में शामिल करने की मांग की.

नई दिल्ली/जयपुर. अंतर्राज्यिक नदी जल विवादों की न्याय प्रक्रिया को सरल और कारगर बनाने व वर्तमान विधिक और संस्थगत संरचना को संतुलित बनाने के उद्देश्य वाला अंतर्राज्यिक नदी जल विवाद संशोधन विधेयक-2019 बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश हुआ. जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने यह विधेयक पेश किया.

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विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए आरोप लगाया कि इस बारे में राज्यों से विचार विमर्श नहीं किया गया. जिस पर शेखावत ने कहा कि 2013 में राज्यों से विचार विमर्श किया गया था और 2017 में संबंधित विधेयक लाया गया था. इसके बाद विधेयक स्थायी समिति को भेजा गया. इस विधेयक के मसौदे पर भी चर्चा हुई लेकिन 16वीं लोकसभा की अवधि समाप्त होने पर इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका.

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शेखावत ने कहा कि जल विवादों से संबंधित नौ अलग-अलग न्यायाधिकरण हैं. इनमें से चार न्यायाधिकरण को फैसला सुनाने में 10 से 28 वर्ष लगे. न्यायाधिकरण के आदेश पारित करने के संबंध में कोई समय सीमा तय नहीं है.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, बीजद के भतृहरि माहताब और द्रमुक के टी आर बालू ने विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि जल राज्य सूची का विषय है और इस बारे में राज्यों से विचार विमर्श नहीं किया गया. 

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