भरतपुर. 25 दिसंबर को भरतपुर संस्थापक महाराजा सूरजमल का बलिदान दिवस है. इसे जाट समाज बलिदान दिवस और संघर्ष दिवस के रूप में मनाने जा रहा है. इस तारीख से जाट समाज भरतपुर धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में ओबीसी वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर महापड़ाव शुरू करने का ऐलान किया है.
पत्रकारों से बात करते हुए भरतपुर और धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह ने कहा कि भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में ओबीसी वर्ग में आरक्षण की मांग काफी समय से की जा रही है. इस मांग के लिए 20 दिन पहले जाट महापंचायत आयोजित की गई थी. जिसमें सरकार को 20 दिन का समय दिया गया था. राजस्थान सरकार ने दोनों जिले के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिलाने के लिए नहीं सोचा और ना ही केंद्र को सिफारिश करते हुए चिट्ठी भेजी इसलिए अब हम आंदोलन की राह पर जा रहे हैं.
पहला महापड़ाव आगरा-जयपुर नेशनल हाईवे के पास शुरू करने की बात कही गई है. जाट नेताओं का कहना है कि महापड़ाव के जरिए पूरे प्रदेश में आंदोलन शुरू किया जाएगा. इस दौरान रेलमार्ग और सभी प्रकार के नेशनल स्टेट हाईवे जाम किए जाएंगे. यह आंदोलन की आग पूरे उत्तर भारत में फैलेगी. जाट नेताओं ने समाज से अपील की है कि 25 दिसंबर को भरतपुर रियासत के संस्थापक महाराजा सूरजमल का बलिदान दिवस है. बलिदान दिवस को मनाएंगे और फिर उसके बाद इस दिन को संघर्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा. महापड़ाव में समाज के सभी लोगों को शामिल होने के लिए कहा गया है ताकि सरकार के साथ लड़ाई लड़ी जा सके.
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आंदोलन के लिए एकजुट रहने की अपील...
बता दें कि विगत महापंचायत के बाद पूरे जिले में गांव-गांव नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गई है और समाज के लोगों को आंदोलन के लिए एकजुट रहने की अपील की गई है. भरतपुर और धौलपुर जिले के जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह ने कहा कि वे 2017 में हुई जाट आंदोलन समझौते के दौरान राज्य सरकार ने जाटों को वायदा किया था कि दोनों जिले के जाटों को केंद्र में आरक्षण के लिए राज्य सरकार चिट्ठी लिखेगी. साथ ही समाज के लोगों पर दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाएगा और चयनित अभ्यार्थियों को नियुक्ति दी जाएगी. लेकिन सरकार ने मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया.