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Tamasha in Jaipur : परंपरागत तमाशा का हुआ मंचन, कलाकारों ने पेपर लीक पर जमकर कसा तंज

सात पीढ़ियों से परंपरा का निर्वहन कर रहे कलाकारों ने सोमवार को होली के मौके पर एक बार फिर तमाशा के रंग बिखेरे. ब्रह्मपुरी के छोटे अखाड़े में लोकनाट्य तमाशा रांझा-हीर का मंचन हुआ, जिसमें प्रदेश में हो रहे पेपर लीक के प्रकरणों पर जमकर कटाक्ष किया गया.

Traditional Folk Theatre in Rajasthan
परंपरागत तमाशा का हुआ मंचन
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Published : Mar 6, 2023, 6:28 PM IST

परंपरागत तमाशा का हुआ मंचन

जयपुर. सवाई जयसिंह की बसाई नगरी जयपुर की लोकनाट्य परंपरा होली के मौके पर एक बार फिर साकार हुई. राजशाही के समय से मनोरंजन का प्रमुख साधन रहा तमाशा का मंचन ब्रह्मपुरी क्षेत्र में हुआ, जहां रांझा-हीर की कहानी को शास्त्रीय संगीत का तड़का लगाते हुए पेश किया. कलाकारों ने हारमोनियम और तबले की धुन पर इस कहानी को गीतों की माला में पिरोया. बिना किसी सजावट के खुले मंच पर हुए इस पारंपरिक लोकनाट्य में सिर पर भगवा वस्त्र धारण किए हुए, कलंगी वाला मुकुट, हाथ में मोर पंख, पैरों में घुंघरू बांधे रांझा ने हीर के प्यार में फिरते हुए बीते एक साल को बारहमासी के रूप में पेश किया.

राजनेताओं पर ली चुटकी : इस दौरान कलाकारों ने व्यंग्यात्मक लहजे में राजस्थान के पेपर लीक प्रकरण पर भी तंज कसा. चितरंगा बने कलाकार ने रांझा के साथ संवाद करते हुए कहा कि प्रशासन को लगता है कि पेपर सिर्फ नेट की वजह से आउट हो रहा है. उन्हें समझ नहीं आ रही कि पेपर लीक को कैसे रोके और माफिया को कैसे पकड़े. जिस पर रांझा ने तंज कसते हुए कहा कि समरथ को नहिं दोष गुसाईं. साथ ही शास्त्रीय संगीत के साथ गाते हुए कलाकारों ने कहा कि 'अपने घर में होगा मोदी सबसे बड़ा खिलाड़ी, राहुल गांधी बोले मेरी भी तो लंबी दाढ़ी'. 'कोई प्लंबर हमें बताओ काम करे जो ठीक, राजस्थान के पेपर हरदम हो जाते हैं लीक'. वहीं, गहलोत पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि 'नया-नया ये सचिन पायलट मैंने कुछ नहीं माना, मैं तो असेंबली में भी पढ़ता हूं बजट पुराना'.

पढ़ें : Bikaner Folk Art : होली की रम्मत में महंगाई, बेरोजगारी और पेपर लीक पर कटाक्ष

सदियों से चली आ रही जयपुर की तमाशा शैली आज भी जन जुड़ाव का एक सशक्त माध्यम बनी हुई है. इसे लेकर पूर्व उपमहापौर मनोज भारद्वाज ने कहा कि सरकार को स्थानीय कला संस्कृति को बरकरार रखने के लिए पहल करते हुए जयपुर की इस पहचान को संरक्षण दिया जाना चाहिए. आपको बता दें कि करीब 295 साल से तमाशा का मंचन होता आया है, जिसमें रांझा हीर के अलावा राजा गोपीचंद, जोगी जोगन, छैला पणिहारी और लैला मजनू सहित 52 तरह के तमाशे आयोजित होते आए हैं. कलाकार भट्ट परिवार की सात पीढ़ियां और इसी तरह स्थानीय दर्शकों की भी सात पीढ़ियां इस तमाशा कार्यक्रम से जुड़ी हुई हैं, जो जयपुर की सभ्यता और संस्कृति को आज भी जीवंत किए हुए हैं.

परंपरागत तमाशा का हुआ मंचन

जयपुर. सवाई जयसिंह की बसाई नगरी जयपुर की लोकनाट्य परंपरा होली के मौके पर एक बार फिर साकार हुई. राजशाही के समय से मनोरंजन का प्रमुख साधन रहा तमाशा का मंचन ब्रह्मपुरी क्षेत्र में हुआ, जहां रांझा-हीर की कहानी को शास्त्रीय संगीत का तड़का लगाते हुए पेश किया. कलाकारों ने हारमोनियम और तबले की धुन पर इस कहानी को गीतों की माला में पिरोया. बिना किसी सजावट के खुले मंच पर हुए इस पारंपरिक लोकनाट्य में सिर पर भगवा वस्त्र धारण किए हुए, कलंगी वाला मुकुट, हाथ में मोर पंख, पैरों में घुंघरू बांधे रांझा ने हीर के प्यार में फिरते हुए बीते एक साल को बारहमासी के रूप में पेश किया.

राजनेताओं पर ली चुटकी : इस दौरान कलाकारों ने व्यंग्यात्मक लहजे में राजस्थान के पेपर लीक प्रकरण पर भी तंज कसा. चितरंगा बने कलाकार ने रांझा के साथ संवाद करते हुए कहा कि प्रशासन को लगता है कि पेपर सिर्फ नेट की वजह से आउट हो रहा है. उन्हें समझ नहीं आ रही कि पेपर लीक को कैसे रोके और माफिया को कैसे पकड़े. जिस पर रांझा ने तंज कसते हुए कहा कि समरथ को नहिं दोष गुसाईं. साथ ही शास्त्रीय संगीत के साथ गाते हुए कलाकारों ने कहा कि 'अपने घर में होगा मोदी सबसे बड़ा खिलाड़ी, राहुल गांधी बोले मेरी भी तो लंबी दाढ़ी'. 'कोई प्लंबर हमें बताओ काम करे जो ठीक, राजस्थान के पेपर हरदम हो जाते हैं लीक'. वहीं, गहलोत पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि 'नया-नया ये सचिन पायलट मैंने कुछ नहीं माना, मैं तो असेंबली में भी पढ़ता हूं बजट पुराना'.

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सदियों से चली आ रही जयपुर की तमाशा शैली आज भी जन जुड़ाव का एक सशक्त माध्यम बनी हुई है. इसे लेकर पूर्व उपमहापौर मनोज भारद्वाज ने कहा कि सरकार को स्थानीय कला संस्कृति को बरकरार रखने के लिए पहल करते हुए जयपुर की इस पहचान को संरक्षण दिया जाना चाहिए. आपको बता दें कि करीब 295 साल से तमाशा का मंचन होता आया है, जिसमें रांझा हीर के अलावा राजा गोपीचंद, जोगी जोगन, छैला पणिहारी और लैला मजनू सहित 52 तरह के तमाशे आयोजित होते आए हैं. कलाकार भट्ट परिवार की सात पीढ़ियां और इसी तरह स्थानीय दर्शकों की भी सात पीढ़ियां इस तमाशा कार्यक्रम से जुड़ी हुई हैं, जो जयपुर की सभ्यता और संस्कृति को आज भी जीवंत किए हुए हैं.

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