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जयपुर: ठाकुरजी के कपाट भी 'अनलॉक'...लेकिन फूल-माला और प्रसाद विक्रताओं के धंधे अभी भी लॉक - श्री गोविंददेवजी के कपाट खुले

छोटी काशी के आराध्य देव श्री गोविंद देवजी के कपाट साढ़े आठ महीनों के बाद आखिरकार आज अनलॉक हो गए. लेकिन मंदिरों की रोजी-रोटी पर निर्भर रहने वाले परिवारों के द्वार अभी भी बंद है.

Sellers trouble in coronavirus, shri govinddevji temple jaipur open
गोविंददेवजी के कपाट आज अनलॉक हो गए.
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Published : Dec 1, 2020, 2:47 PM IST

जयपुर. छोटी कांशी के आराध्य देव श्री गोविंददेवजी के कपाट साढ़े आठ महीनों के बाद आखिरकार आज अनलॉक हो गए. लेकिन, मंदिरों की रोजी-रोटी पर निर्भर रहने वाले परिवारों के द्वार अभी भी बंद है. क्योंकि, मंदिरों में इष्टदेव को फूल-मालाएं और प्रसाद भेंट करने पर रोक है. ऐसे में मंदिर के बाहर फूल-मालाएं और प्रसाद बेचने वाले दुकानदार चिंतित है.

फूल-मालाएं और प्रसाद बेचने वाले दुकानदार चिंतित है

यह भी पढ़ें: बीकानेर :ACB ने सहकारी समिति के कनिष्ठ सहायक को रिश्वत लेते दबोचा

धार्मिक नगरी छोटी काशी के कई मंदिरों के बाहर लगने वाली दुकानों और थड़ी वालों के परिवार मंदिर में आने वाले भक्तों पर निर्भर रहते है. जहां उनका गुजारा श्रदालु के प्रसाद खरीदने और भगवान के आगे फूल-मालाओं की भेंट चढ़ाने से चलता है. राज्य सरकार ने मंदिरों के कपाट तो खोल दिए, लेकिन इन दुकानदारों की रोजी-रोटी को अभी भी लॉक रखा है. जिसके चलते इनकी माली हालत पहले से ज्यादा बिगड़ती जा रही है.

यह भी पढ़ें: गरीबों का राशन डकार गए साहब...अब 1,700 से अधिक सरकारी कर्मचारियों से हो रही वसूली

दुकानदारों का कहना है कि मंदिर प्रबंधन ने कपाट खोलने का निर्णय अच्छा लिया है, लेकिन अब उनके रोजगार के रास्ते खोलने लिए भी कोई रास्ता निकाले. फिलहाल उनके काम धंधे बिल्कुल चौपट है और साढ़े आठ माह से हाथ पर हाथ धरे बैठे है. मंदिर में भक्त आते है और बिना प्रसाद लिए चले जाते है. उनका कहना है कि जब मंदिर खोले है तो प्रसाद बेचने की भी व्यवस्था की जाएं, ताकि उनके परिवार को भी दो वक्त की रोटी नसीब हो. हालांकि, प्रसाद व फूल-मालाएं जरूर भक्त ले रहें है. लेकिन, मंदिर के लिए नहीं बल्कि अपने घर के ठाकुरजी के भोग श्रृंगार के लिए.

जयपुर. छोटी कांशी के आराध्य देव श्री गोविंददेवजी के कपाट साढ़े आठ महीनों के बाद आखिरकार आज अनलॉक हो गए. लेकिन, मंदिरों की रोजी-रोटी पर निर्भर रहने वाले परिवारों के द्वार अभी भी बंद है. क्योंकि, मंदिरों में इष्टदेव को फूल-मालाएं और प्रसाद भेंट करने पर रोक है. ऐसे में मंदिर के बाहर फूल-मालाएं और प्रसाद बेचने वाले दुकानदार चिंतित है.

फूल-मालाएं और प्रसाद बेचने वाले दुकानदार चिंतित है

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दुकानदारों का कहना है कि मंदिर प्रबंधन ने कपाट खोलने का निर्णय अच्छा लिया है, लेकिन अब उनके रोजगार के रास्ते खोलने लिए भी कोई रास्ता निकाले. फिलहाल उनके काम धंधे बिल्कुल चौपट है और साढ़े आठ माह से हाथ पर हाथ धरे बैठे है. मंदिर में भक्त आते है और बिना प्रसाद लिए चले जाते है. उनका कहना है कि जब मंदिर खोले है तो प्रसाद बेचने की भी व्यवस्था की जाएं, ताकि उनके परिवार को भी दो वक्त की रोटी नसीब हो. हालांकि, प्रसाद व फूल-मालाएं जरूर भक्त ले रहें है. लेकिन, मंदिर के लिए नहीं बल्कि अपने घर के ठाकुरजी के भोग श्रृंगार के लिए.

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