जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रताप नगर के डी-मार्ट में बीते दिनों महिला न्यायिक अधिकारी की लज्जा भंग और उसके परिजनों से मारपीट के मामले में आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. अवकाशकालीन न्यायाधीश प्रवीर भटनागर की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी लोकेश, संजय कुमार और नरेंद्र शर्मा की जमानत याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिए हैं.
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याचिकाकर्ता लंबे समय से जेल में बंद थाः जमानत याचिकाओं में अधिवक्ता सीसी रत्नु और सुरेश गुर्जर ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया गया है. वहीं सह आरोपी मनीषा को पूर्व में जमानत पर रिहा किया जा चुका है. इसके अलावा मामले में शिकायतकर्ताओं को कोई जानलेवा चोट नहीं आई है. इसके साथ ही याचिकाकर्ता लंबे समय से जेल में बंद है. इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार और शिकायतकर्ता के वकीलों ने कहा कि आरोपियों ने महिला न्यायिक अधिकारी की लज्जा भंग व मारपीट की है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने तीनों आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.
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गत 21 मई को डी-मार्ट में हुई थी घटनाः गौरतलब है कि परिवादी जितेंद्र विजय ने गत 21 मई को प्रतापनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि वह अपनी पत्नी और सास-ससुर के साथ डी-मार्ट गया था. यहां एक महिला लिफ्ट रोककर खड़ी थी. जब उसने महिला को हटने के लिए कहा तो उसने गाली-गलौच शुरु कर दी. वहीं महिला के पति के आने के बाद उसने धक्का-मुक्की की. इस दौरान जब वे दूसरी मंजिल पर गए तो वहां भी उनके साथ मारपीट की गई.
निचली अदालत ने पूर्व में भेज दिया था जेलः रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि दो लोगों ने उन्हें जमीन पर गिरा दिया और न्यायिक अधिकारी पत्नी की लज्जा भंग करते हुए सास-ससुर से भी मारपीट की. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया था. जहां से अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया था. मामले में पूर्व में निचली अदालत में जमानत अर्जी पेश की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने महिला आरोपी को जमानत पर रिहा करते हुए तीनों याचिकाकर्ताओं की जमानत अर्जी को खारिज कर दी थी.