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ज्ञानवापी मस्जिद मामला: 'शिवलिंग' पाए जाने वाले क्षेत्र का ASI सर्वे कराने की याचिका, मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग पाए जाने वाले क्षेत्र के ASI सर्वे के लिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी से 17 दिसंबर 2024 तक जवाब मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 22, 2024, 5:11 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति से हिंदू पक्ष की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें शिवलिंग मिलने वाले क्षेत्र का एएसआई सर्वे कराने की मांग की गई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के अंदर के क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया था, जहां मई 2022 में कोर्ट द्वारा आदेशित सर्वे के दौरान मस्जिद वुजू खाने में कथित तौर पर शिवलिंग पाया गया था. मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने हिंदू पक्ष की याचिका पर नोटिस जारी किया और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी की प्रबंध समिति से 17 दिसंबर, 2024 तक जवाब मांगा. हिंदू पक्ष की याचिका में कहा गया है कि सील किए गए क्षेत्र के बाहर, जहां शिवलिंग पाया गया था, उसका पहले ही सर्वे किया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट से उस क्षेत्र के सर्वे की अनुमति देने के लिए अपने पिछले आदेश को संशोधित करने का आग्रह किया जहां शिवलिंग पाया गया था.

सभी मुकद्दमें एक साथ लाने पर सुप्रीम कोर्ट की सहमति
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के ऊपर मस्जिद के निर्माण के दावे के संबंध में वाराणसी की निचली अदालतों में लंबित सभी मुकदमों को एक साथ लाने के हिंदू पक्ष की याचिका के साथ इस मामले की सुनवाई करने पर भी सहमति जताई. पीठ ने कहा कि मुकदमों को एक निचली अदालत, जिला न्यायाधीश के समक्ष एक साथ लाना बेहतर होगा, जहां मुख्य मुकदमा लंबित है.

पीठ ने कहा कि सील किए गए क्षेत्र के एएसआई सर्वे और मुकदमों की स्थिरता सहित सभी मुद्दों पर, जिनके बारे में मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वे पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत वर्जित हैं, अदालत साप्ताहिक या पाक्षिक आधार पर सुनवाई कर सकती है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर में तय की है.

उल्लेखनीय है कि मामले में सुनाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ज्ञानवापी मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व किया, जबकि हिंदू पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन पेश हुए.

मुस्लिम पक्ष के वकील ने नहीं जताई आपत्ति
सुनवाई के दौरान पीठ ने अहमदी से हिंदू पक्ष द्वारा दायर आवेदन पर जवाब दाखिल करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि मुख्य मामले और आवेदन दोनों को अगली सुनवाई में एक साथ सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. इस पर अहमदी ने कहा, "जहां तक ट्रांसफर ऐप्लीकेशन का सवाल है, मुझे कोई आपत्ति नहीं है. अगर सभी मामलों की सुनवाई एक ही कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा की जाए."

अहमदी ने कहा कि जहां तक हाई कोर्ट का सवाल है, वह इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 17 समान प्रकृति के मुकदमे लंबित हैं, और जहां समान मुद्दे आएंगे. उन्होंने कहा कि मैंने मूल रूप से आग्रह किया था कि यह मुकदमा पूजा स्थल अधिनियम के तहत वर्जित है.

वहीं, मामले में जस्टिस कांत ने कहा, "हम सभी मामलों को एक ही तारीख पर सूचीबद्ध कर सकते हैं और संभवतः अगर आप दोनों सहमत हों, तो पहले उन आइटम पर सुनवाई कर लेते हैं, जिनपर आप सहमत हों. हम इन आइटम पर तदनुसार एक-एक करके सुनवाई करेंगे और फिर शायद इसे हम साप्ताहिक आधार पर या पाक्षिक आधार पर जारी रख सकते हैं...".

अहमदी ने सुझाव दिया कि दूसरे पक्ष को सभी हस्तक्षेप आवेदनों और लंबित विशेष अनुमति याचिकाओं की सूची प्रदान करनी चाहिए और इसे अपने सहयोगी के साथ आदान-प्रदान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम उन मामलों की एक सूची देंगे जिन्हें सूचीबद्ध करने की आवश्यकता है....

17 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि अहमदी याचिकाकर्ता की ओर से नोटिस स्वीकार करते हैं. इस पर दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर किया जा सकता है और मामले को 17 दिसंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

हिंदू पक्ष ने अधिवक्ता जैन के माध्यम से दायर आवेदन में एएसआई को संबंधित संपत्ति के सीलबंद क्षेत्र का सभी संभव वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके सर्वे करने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदान किए गए समय के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग की गई.

आवेदन में शीर्ष अदालत से 11 नवंबर 2022 को पारित अपने आदेश को संशोधित करने का आग्रह किया गया, जिसमें एएसआई को संबंधित संपत्ति के सीलबंद क्षेत्र में सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी.

हिंदू पक्ष द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है, "यह प्रस्तुत किया गया है कि सीलबंद क्षेत्र के भीतर मंदिर से संबंधित महत्वपूर्ण साक्ष्य और मटैरियल हैं और वे मामले के निर्णय के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं. संबंधित इमारत के हिस्से का भी एएसआई ने उसी तरह सर्वे किया जाना आवश्यक है जैसे कि संबंधित इमारत के शेष क्षेत्र का विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों से सर्वे किया गया है."

आवेदन में कहा गया है कि चूंकि मस्जिद के एक हिस्से को 20 मई, 2022 के अंतरिम आदेश द्वारा सील कर दिया गया था, जिसकी पुष्टि 11 नवंबर, 2022 के आदेश द्वारा की गई थी. इसलिए एएसआई सीलबंद क्षेत्र का सर्वे नहीं कर सकता.

यह भी पढ़ें- CPS मामले में सुक्खू सरकार को 'सुप्रीम' राहत, SC ने हाइकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति से हिंदू पक्ष की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें शिवलिंग मिलने वाले क्षेत्र का एएसआई सर्वे कराने की मांग की गई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के अंदर के क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया था, जहां मई 2022 में कोर्ट द्वारा आदेशित सर्वे के दौरान मस्जिद वुजू खाने में कथित तौर पर शिवलिंग पाया गया था. मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने हिंदू पक्ष की याचिका पर नोटिस जारी किया और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी की प्रबंध समिति से 17 दिसंबर, 2024 तक जवाब मांगा. हिंदू पक्ष की याचिका में कहा गया है कि सील किए गए क्षेत्र के बाहर, जहां शिवलिंग पाया गया था, उसका पहले ही सर्वे किया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट से उस क्षेत्र के सर्वे की अनुमति देने के लिए अपने पिछले आदेश को संशोधित करने का आग्रह किया जहां शिवलिंग पाया गया था.

सभी मुकद्दमें एक साथ लाने पर सुप्रीम कोर्ट की सहमति
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के ऊपर मस्जिद के निर्माण के दावे के संबंध में वाराणसी की निचली अदालतों में लंबित सभी मुकदमों को एक साथ लाने के हिंदू पक्ष की याचिका के साथ इस मामले की सुनवाई करने पर भी सहमति जताई. पीठ ने कहा कि मुकदमों को एक निचली अदालत, जिला न्यायाधीश के समक्ष एक साथ लाना बेहतर होगा, जहां मुख्य मुकदमा लंबित है.

पीठ ने कहा कि सील किए गए क्षेत्र के एएसआई सर्वे और मुकदमों की स्थिरता सहित सभी मुद्दों पर, जिनके बारे में मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वे पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत वर्जित हैं, अदालत साप्ताहिक या पाक्षिक आधार पर सुनवाई कर सकती है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर में तय की है.

उल्लेखनीय है कि मामले में सुनाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ज्ञानवापी मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व किया, जबकि हिंदू पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन पेश हुए.

मुस्लिम पक्ष के वकील ने नहीं जताई आपत्ति
सुनवाई के दौरान पीठ ने अहमदी से हिंदू पक्ष द्वारा दायर आवेदन पर जवाब दाखिल करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि मुख्य मामले और आवेदन दोनों को अगली सुनवाई में एक साथ सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. इस पर अहमदी ने कहा, "जहां तक ट्रांसफर ऐप्लीकेशन का सवाल है, मुझे कोई आपत्ति नहीं है. अगर सभी मामलों की सुनवाई एक ही कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा की जाए."

अहमदी ने कहा कि जहां तक हाई कोर्ट का सवाल है, वह इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 17 समान प्रकृति के मुकदमे लंबित हैं, और जहां समान मुद्दे आएंगे. उन्होंने कहा कि मैंने मूल रूप से आग्रह किया था कि यह मुकदमा पूजा स्थल अधिनियम के तहत वर्जित है.

वहीं, मामले में जस्टिस कांत ने कहा, "हम सभी मामलों को एक ही तारीख पर सूचीबद्ध कर सकते हैं और संभवतः अगर आप दोनों सहमत हों, तो पहले उन आइटम पर सुनवाई कर लेते हैं, जिनपर आप सहमत हों. हम इन आइटम पर तदनुसार एक-एक करके सुनवाई करेंगे और फिर शायद इसे हम साप्ताहिक आधार पर या पाक्षिक आधार पर जारी रख सकते हैं...".

अहमदी ने सुझाव दिया कि दूसरे पक्ष को सभी हस्तक्षेप आवेदनों और लंबित विशेष अनुमति याचिकाओं की सूची प्रदान करनी चाहिए और इसे अपने सहयोगी के साथ आदान-प्रदान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम उन मामलों की एक सूची देंगे जिन्हें सूचीबद्ध करने की आवश्यकता है....

17 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि अहमदी याचिकाकर्ता की ओर से नोटिस स्वीकार करते हैं. इस पर दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर किया जा सकता है और मामले को 17 दिसंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

हिंदू पक्ष ने अधिवक्ता जैन के माध्यम से दायर आवेदन में एएसआई को संबंधित संपत्ति के सीलबंद क्षेत्र का सभी संभव वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके सर्वे करने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदान किए गए समय के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग की गई.

आवेदन में शीर्ष अदालत से 11 नवंबर 2022 को पारित अपने आदेश को संशोधित करने का आग्रह किया गया, जिसमें एएसआई को संबंधित संपत्ति के सीलबंद क्षेत्र में सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी.

हिंदू पक्ष द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है, "यह प्रस्तुत किया गया है कि सीलबंद क्षेत्र के भीतर मंदिर से संबंधित महत्वपूर्ण साक्ष्य और मटैरियल हैं और वे मामले के निर्णय के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं. संबंधित इमारत के हिस्से का भी एएसआई ने उसी तरह सर्वे किया जाना आवश्यक है जैसे कि संबंधित इमारत के शेष क्षेत्र का विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों से सर्वे किया गया है."

आवेदन में कहा गया है कि चूंकि मस्जिद के एक हिस्से को 20 मई, 2022 के अंतरिम आदेश द्वारा सील कर दिया गया था, जिसकी पुष्टि 11 नवंबर, 2022 के आदेश द्वारा की गई थी. इसलिए एएसआई सीलबंद क्षेत्र का सर्वे नहीं कर सकता.

यह भी पढ़ें- CPS मामले में सुक्खू सरकार को 'सुप्रीम' राहत, SC ने हाइकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

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