जयपुर. राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ बीते चार दिनों से धरने पर बैठी पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं को शनिवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद उन्हें शहीद स्मारक ले जाकर छोड़ दिया गया. दरअसल, सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ ये सभी वीरांगना राजभवन पहुंची थी, जहां अपनी मांगे पूरी नहीं होने से हताश शहीदों की पत्नियों ने राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की मांग की. सांसद मीणा ने बताया कि राज्यपाल ने वीरांगनाओं को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने का मशिवरा दिया था. जिसके बाद सभी राजभवन से मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ रही थी. लेकिन इस बीच पुलिस ने उन्हें सीएम आवास में दाखिल होने से रोक दिया और सभी को हिरासत में ले लिया गया. मीणा ने आरोप लगाया कि पुलिस ने इस दौरान शहीदों की पत्नियों से बदसलूकी की. जिससे शाहपुरा के शहीद की पत्नी मंजू जाट बदहवास हो गई. सांसद ने कहा कि इसके बाद मंजू जाट को सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है.
वीरांगनाओं की सरकार से है ये मांगे - 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के जत्थे पर घात लगाकर हुए हमले में प्रदेश के जवानों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. इनमें से जयपुर जिले के शाहपुरा के रोहिताश लांबा, कोटा के सांगोद से हेमराज मीणा, भरतपुर के नगर के जीतराम गुर्जर और साल 2018 में 13 जून को शहीद हुए बीएसएफ के सहायक कमांडेंट जितेंद्र सिंह की पत्नी सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने की गुहार लगा रही है. मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं होने से नाराज वीरांगना सांसद मीणा के साथ जयपुर के शहीद स्मारक पर धरने पर बैठ गई हैं.
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इनमें से शहीद जितेंद्र सिंह की पत्नी रेणु सिंह ने आरोप लगाया कि नियमों के तहत सरकार की ओर से उन्हें नायब तहसीलदार के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति काफी पहले ही दे देनी चाहिए थी. लेकिन सरकार की संवेदनहीनता और हठधर्मिता के चलते उनकी नियुक्ति की पत्रावली साल 2020 से अब तक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है. वहीं, शहीद जीतराम गुर्जर की पत्नी सुंदरी देवी ने आरोप लगाया कि उनके पति की शहादत के बाद मंत्री अशोक चांदना और ममता भूपेश ने कई वादे किए थे. जिनमें राजकीय महाविद्यालय, नगर का नामकरण शहीद पति के नाम पर करने, शहीद की स्मृति में स्मारक बनवाने और शहीद के भाई विक्रम सिंह को अनुकम्पा पर नौकरी देने की घोषणा की गई थी. लेकिन चार साल बीतने के बाद भी इनमें से एक भी घोषणा पर अमल नहीं हुआ है.
वहीं, शहीद हेमराज की पत्नी मधुबाला ने कहा कि मंत्री शांति धारीवाल, प्रमोद जैन भाया, रमेश मीणा और प्रतापसिंह खाचरियावास ने घोषणा की थी कि सरकार सांगोद में अदालत वाले चौराहे पर उनके पति की प्रतिमा स्थापित करेगी. उन्होंने आगे कहा कि उनके पति की शहादत के बाद एक स्थानीय नेता ने उनकी जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है. शहीद के नाम से बनने वाली दो किलोमीटर लंबी सड़क का आज तक कुछ नहीं हुआ और घोषणाएं सिर्फ इतिहास में दबकर रह गई.
इसी तरह से शाहपुरा के शहीद रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू जाट ने कहा कि उनके पति की अंत्येष्टि में भाग लेने आए मंत्री शांति धारीवाल, लालचंद कटारिया और प्रतापसिंह खाचरियावास ने शहीद के छोटे भाई को राज्य सरकार के नियमों में अनुकम्पा नियुक्ति दिलाने की घोषणा की थी. लेकिन नियुक्ति संबंधी पत्रावली पिछले चार सालों से जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के दफ्तर में धूल फांक रही है. गांव में शहीद के नाम पर सड़क बनाने की घोषणा हो या फिर स्मारक निर्माण की बात किसी पर भी अमल नहीं किया गया है.