जयपुर. जिले की पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को 10 साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. मामले में पीड़िता, उसकी मां और एफआईआर दर्ज कराने वाला मामा पक्षद्रोही हो गए थे. इसके अलावा अदालत को पीड़िता और अभियुक्त के विवाह करने की जानकारी भी दी गई थी, लेकिन अदालत ने चिकित्सकीय साक्ष्य पर अभियुक्त को सजा सुनाई है.
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक विजया पारीक ने अदालत को बताया कि 22 जून, 2020 को पीड़िता के मामा ने अमरसर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें बताया गया कि एक वर्ष पूर्व उसके पिता की मौत के दौरान अभियुक्त ने उनके घर में टेंट लगाने का काम किया था. इसके बाद से अभियुक्त और उसकी भांजी आपस में बात करने लगे. 14 जून को पीड़िता अपनी बहन के घर गई हुई थी. इस दौरान उसकी बहन और बहनोई पीड़िता को घर में अकेला छोड़कर किसी रिश्तेदार के यहां चले गए थे. इस दौरान रात को अभियुक्त ने वहां जाकर पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया.
रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. सुनवाई के दौरान पीड़िता, उसकी मां और शिकायतकर्ता मामा ने दुष्कर्म की घटना ने इनकार कर दिया. मामा ने कहा कि वह अभियुक्त के घर अपनी भांजी का रिश्ता लेकर गया था. उनकी ओर से शादी के लिए मना करने पर आपस में लड़ाई-झगड़ा हो गया और उसने आवेश में आकर रिपोर्ट दर्ज करा दी. वहीं डीएनए रिपोर्ट में पीड़िता के कपड़ों पर अभियुक्त का डीएनए पाया गया. इस आधार पर अदालत ने अभियुक्त को सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि मेडिकल साक्ष्य से साबित होता है कि अभियुक्त ने 17 साल पांच माह की पीड़िता के साथ संबंध बनाए थे. नाबालिग के साथ संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में आता है, क्योंकि नाबालिग की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है.