जयपुर. राजस्थान की जेलों में जेलकर्मी भूखे रहकर इन दिनों ड्यूटी कर रहे हैं. जिसके चलते कई जेलकर्मियों की तबीयत बिगड़ रही है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया जा रहा है. दरअसल, वेतन विसंगति दूर करने की अपनी सालों पुरानी मांग को लेकर छह साल पहले सरकार से हुए समझौते को लागू करने की मांग को लेकर बीते 6 दिन से प्रदेश की 100 से अधिक जेलों में तैनात 3000 से ज्यादा जेल प्रहरी और मुख्य प्रहरी मैस का बहिष्कार कर भूखे रहकर ड्यूटी कर रहे हैं. ऐसे में 640 कर्मियों की तबीयत बिगड़ने लगी है और बीमार जेलकर्मियों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है.
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि जेलकर्मियों ने सोमवार को लगातार छठे दिन मैस का बहिष्कार किया और भूखे रहकर जेलकर्मी ड्यूटी कर रहे हैं. इसके चलते प्रदेश की 75 जेलों से 640 से ज्यादा जेलकर्मियों को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. इनमें सबसे ज्यादा 83 जेल कर्मचारी अजमेर सेंट्रल जेल के हैं. जबकि जयपुर सेंट्रल जेल के 76 और अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल से 45 बीमार कर्मचारियों को अस्पताल पहुंचाया गया है. इसी तरह जोधपुर सेंट्रल जेल में 33, बीकानेर जेल में 29, उदयपुर जेल में 26 और अलवर जेल में 23 कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ गई है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.
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पहले कांस्टेबल-हेड कांस्टेबल के समान था वेतनः वेतन विसंगति दूर करने की जेलकर्मियों की मांग कई साल पुरानी है. साल 1988 से 1998 तक कारागार विभाग में प्रहरी व मुख्य प्रहरी का वेतनमान पुलिस विभाग के कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल के बराबर था. लेकिन वित्त विभाग ने 1 मार्च, 1998 को पुलिस विभाग के कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन किया गया था. इसके बाद से जेलकर्मियों के वेतनमान में असमानता उत्पन्न हुई है और जेलकर्मी इसी वेतन विसंगति को दूर करने की मांग कर रहे हैं. उनकी मांग है कि उनका वेतनमान पुलिस और आरएसी के कांस्टेबल-हेड कांस्टेबल के बराबर किया जाए.
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जेलकर्मियों के साथ सरकार ने 2017 में किया था समझौताः साल 2017 में सभी जेलकार्मिकों ने मैस का बहिष्कार किया था और भूखे रहकर ड्यूटी की थी. इस पर राज्य सरकार व विभाग के उच्च अधिकारियों के बीच 9 जुलाई, 2017 को लिखित समझौता हुआ. जिसमें जेलकर्मियों का वेतन पुलिस महकमे के समान करने पर सहमति दी गई थी. लेकिन आज तक इस समझौते की पालना नहीं हुई है. इसी मांग को लेकर अब जेलकर्मी एक बार फिर आंदोलन कर रहे हैं.
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पूरा नहीं हुआ मुख्यमंत्री का वादाः वेतन विसंगति दूर करने की अपनी मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे जेलकर्मियों ने इस साल 13 जनवरी को मैस का बहिष्कार करते हुए ड्यूटी की थी. इस पर 18 जनवरी को प्रशानिक अधिकारियों के आश्वासन के बाद मैस का बहिष्कार वापस लिया गया. जेलकर्मियों के प्रतिनिधि मंडल से सीएम अशोक गहलोत भी मिले और जेलकर्मियों की मांग पर सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दिलाया था. लेकिन उनकी मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है.