जयपुर/जोधपुर. राज्य में वेतन को लेकर जेल कार्मचारियों ने नाराजगी जाहिर किया. जेल प्रहरियों ने शुक्रवार को ब्लैक डे ऑफ द जेल मनाया. इस दौरान जेल कार्मिकों ने बताया कि राजस्थान की सवा सौ ज्यादा जेलों में 3 हजार से अधिक जेल प्रहरी कार्यरत हैं. इन लोगों की मांग है कि उन्हें जो वेतनमान या भत्ते दिए जाएं, वह राजस्थान पुलिस के अनुसार दिए जाए.
जेल प्रहरियों का कहना है कि जिस तरह से राजस्थान पुलिस के सिपाही से लेकर आईपीएस अफसर तक को वेतन और भत्ते दिए जाते हैं, उसी तरह से वेतन और भत्तें जेल स्टाफ को भी मिले. सरकार इस बारे में कई बार अपनी सहमति दे चुकी है. उन्होंने कहा कि आखिरी बार साल 2017 में सहमति बनी थी और जेल विभाग एवं सरकार के अफसरों के बीच दस्तावेज भी साइन हुए थे, लेकिन पांच साल का समय गुजर गया, अभी तक कुछ नहीं हो सका.
जेल प्रहरी किए जा रहे नजरअंदाज: जेल कार्मिकों का कहना है सरकार या अफसरों इसे हमेशा नजरअंदाज करते हैं. राजस्थान पुलिस के साथ ही आरएसी और दूरसंचार स्टाफ को भी एक सी सुविधांए दी जाती है, लेकिन जेल वालों को छोड़ दिया जाता है. हाल ही में रोडवेज बसों को लेकर राजस्थान पुलिस का पास बनाया गया. उसके बाद आरएसी और फिर दूरसंचार विभाग वालों का भी पास बना दिया गया, जबकि जेल वालों को छोड़ दिया गया.
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जेल अधीक्षक का फरमान: भरतपुर जेल के अधीक्षक अशोक वर्मा का एक फरमार चर्चा में है. बताया जा रहा है कि विरोध करने वालों के खिलाफ वर्मा ने फरमान निकाला है. इस फरमान के अनुसार अगर कोई भी कार्मिका काली पट्टी बांधकर काम करेगा तो उसे सस्पेंड कर दिया जाएगा.
काली पट्टी बांधी कर विरोध: बता दें कि जेल कार्मचारियों और राज्य सरकार के साथ हुए समझौते का पालन नहीं करने के विरोध में शुक्रवार को राज्य की सभी जेलों में तीन हजार से अधिक महिला और पुरुष कार्मिक ने ब्लैक डे मनाया. विरोध स्वरूप सभी जेल परिसर में एकत्र हुए और काली पट्टी बांधी. इस कड़ी में जोधपुर के केंद्रीय कारागृह में भी जेल कर्मियों ने भी विरोध जताया.