जयपुर. मोबाइल एप के जरिए झटपट लोन लेने के फेर में भोले-भाले लोग कई बार अनजाने में अपनी निजी जानकारी का सौदा कर बैठते हैं. कई बार ऐसे गिरोह के चंगुल में फंसकर रुपए और इज्जत गंवाने के लिए भी लोगों को मजबूर होना पड़ता है. ऑनलाइन लोन के जरिए साइबर फ्रॉड का एक नया तरीका इन दिनों देखने को मिल रहा है, जिसमें झटपट लोन देने के नाम पर बदमाश लोगों को अपना निशाना बनाते हैं. इसके बाद शुरू होता है ठगी और ब्लैकमेलिंग का खेल.
लोन और ब्लैकमेलिंग के लिए अलग बैंक अकाउंट : पिछले दिनों झालावाड़ पुलिस ने लोन एप से लोन देकर साइबर ठगी करने वाले दो बदमाशों को गिरफ्तार किया था. इनसे पूछताछ में सामने आया कि ये सोशल मीडिया पर लुभावने ऑफर देकर लोगों को चंगुल में फंसाते हैं. पूरी राशि चुकाने के बाद ब्लैकमेल कर मोटी रकम वसूलते थे. बैंक लोन की किस्त और ब्लैकमेलिंग की रकम जमा करवाने के लिए अलग-अलग बैंक खाते काम में लेते थे.
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कमीशन लेकर बेचते हैं बैंक खाते : झालावाड़ पुलिस की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि ऐसे शातिर बदमाश वारदात के लिए जो बैंक खाते काम में लेते हैं. वो भी उनके खुद के नहीं होते, बल्कि ऐसे खाते फर्जी तरीके से उनके गिरोह से जुड़ा कोई दूसरा ठग खुलवाता है और कमीशन लेकर बैंक अकाउंट की डिटेल और संबंधित दस्तावेज ठगी करने वाले गिरोह को मुहैया करवाया जाता है.
केस 01 : लोन की पूरी राशि चुकाने के बाद भी प्रताड़ना : झोटवाड़ा थाने में पिछले दिनों ऐसा ही एक मामला सामने आया था. एक व्यक्ति ने लोन एप के जरिए 17 हजार रुपए का लोन लिया था. पूरी रकम चुकाने के बाद उससे और रुपए मांगे गए. इसके बाद परिजनों को कॉल कर धमकाने का सिलसिला शुरू हुआ. फिर परिजनों और परिचितों को अश्लील फोटो भेजी गई और ब्लैकमेल कर 5 लाख रुपए वसूल लिए. इस मामले की जांच चल रही है.
केस 02 : पांच हजार रुपए का लोन लेकर फंसी स्टूडेंट : जयपुर में रहकर पढ़ाई कर रही एक स्टूडेंट ने लोन एप के जरिए 5 हजार रुपए का लोन लिया और तय समय में सात हजार रुपए चुका भी दिए. इसके बाद भी परिजनों को कॉल कर धमकाया और अश्लील फोटो वायरल करने की धमकी दी गई.
आर्थिक नुकसान के साथ प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग : साइबर एक्सपर्ट सचिन शर्मा का कहना है कि संचार तकनीक के बढ़ते प्रयोग, कम समय में लोन लेने के बढ़ते चलन और पर्याप्त जागरूकता के अभाव में लोग ऐसे शातिर बदमाशों के चंगुल में फंस जाते हैं. इसमें ज्यादा ब्याज भरना पड़ता है, जिससे आर्थिक नुकसान तो होता ही है, साथ ही समय पर किस्त नहीं भरने पर प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग का शिकार भी होना पड़ता है. ऐसे मामलों में ठगी का शिकार व्यक्ति कई बार तो शिकायत भी दर्ज नहीं करवा पाता है. ऐसे में जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करवाए ताकि ऐसे लोगों को सबक मिल सके.
इस तरह कर सकते हैं शिकायत : डीजी (साइबर क्राइम और तकनीकी सेवाएं) रवि प्रकाश मेहरड़ा का कहना है कि किसी भी तरह के साइबर अपराध का शिकार होने पर पीड़ित व्यक्ति हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है. इसके अलावा ब्लैकमेलिंग या प्रताड़ना का शिकार पीड़ित संबंधित थाने में भी शिकायत दर्ज करवा सकता है.