जयपुर. नेता बनने की चाहत में आईपीएस महेंद्र चौधरी ने अपनी नौकरी दांव पर लगा दी. बाजवजूद उन्हें टिकट नहीं मिला. ऐसे में अब डीजीपी बनने का मौका भी हाथ से चला गया. ये पहली बार नहीं जब कोई अधिकारी टिकट के लिए अपनी नौकरी छोड़ी हो. इससे पहले भी विधानसभा चुनाव में दो IPS अधिकारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी.
बता दें, पुलिस मुख्यालय में पदस्थ आईजी सीआईडी क्राइम ब्रांच महेंद्र चौधरी ने वीआरएस के लिए 14 मार्च को आवेदन किया था. आदेश में चौधरी को लिखित में भारतीय सेवा प्रावधानों के अनुसार नोटिस की अवधि में शीतलता प्रदान करते हुए 31 मार्च को वीआरएस दे दिया गया.
दरअसल, ये पहला मौका नहीं है जब कोई आईएएस या आईपीएस अफसर ने टिकट मिलने की आस में अपनी नौकरी से वीआरएस लिया हो. पिछले विधानसभा चुनाव में आईपीएस हरिप्रसाद और मदन मेघवाल ने भी ऐसा ही किया था. लेकिन, किसी भी राजनीतिक दल इन को टिकट नहीं दिया. इन दोनों अफसरों ने टिकट मिलने की आस में वीआरएस लिया था.
हालांकि, मदन मेघवाल इस मामले में ज्यादा भाग्यशाली रहे. क्योंकि कांग्रेस की तरफ से इस बार बीकानेर सीट से अर्जुन राम मेघवाल के सामने उन्हें मैदान में उतारा गया है. इसी तरह विधानसभा चुनाव के दौरान आईएएस ओम प्रकाश सैनी को भाजपा ने टिकट दिया. लेकिन, वो जीतने में नाकाम रहे.
ऐसे में बहुजन समाज पार्टी ने इस बार चुनाव में अफसरों पर दांव खेला है. सेवा से बर्खास्त आईपीएस पंकज चौधरी को बाड़मेर से अपना प्रत्याशी बनाया है. तो जयपुर शहर से रिटायर्ड आईएएस उमराव सालोदिया को अपना प्रत्याशी बनाया.