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International Women Day 2023: अपने दम पर खड़ा किया स्टार्टअप और लिख दी सफलता की दास्तां, महिलाओं को दे रही रोजगार

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज हम आपको जयपुर की ऐसी महिला से (Story of Hema Harchandani of Jaipur) मिलवा रहे हैं, जिन्होंने अपने दम पर न केवल स्टार्टअप खड़ा किया, बल्कि दूसरों को भी आत्मसम्मान से जीना सीखा रही हैं.

Hema Harchandani of Jaipur
जयपुर की हेमा हरचंदानी
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Published : Mar 8, 2023, 6:14 AM IST

Updated : Mar 8, 2023, 8:07 AM IST

खड़ा किया स्टार्टअप और लिख दी सफलता की दास्तां.

जयपुर. पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं ने न सिर्फ अपने लिए नए मौके तलाशे हैं, बल्कि वह दूसरों को रोजगार भी दे रही हैं. कई महिलाओं ने विपरीत हालात और सिस्टम से बिना किसी सहयोग के सफलता की कहानी लिखी है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आज हम आपको जयपुर की ऐसी महिला से मिलवा रहे हैं, जिन्होंने अपने दम पर स्टार्टअप शुरू किया और अब दूसरों को रोजगार दे रही हैं.

मध्यम वर्ग के परिवार को अच्छी शिक्षा देने के साथ ही महिलाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ये स्टार्टअप शुरू किया गया था. हेमा हरचंदानी ने 8 साल पहले मध्यम वर्ग के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए दो स्कूल के साथ स्टार्टअप खड़ा किया जो आज आधा दर्जन राज्यों में 50 से अधिक ब्रांच के रूप में काम कर रहा है. हेमा हरचंदानी को भारत सरकार ने उन सौ महिलाओं में सम्मानित किया है, जिन्होंने एमएसएमई के तहत महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काम किया है.

पढ़ें. Women Day 2023 : राजस्थान की पहली महिला सर्जन, जिसने बदली महिलाओं की सोच और घूंघट प्रथा से दिलाई मुक्ति

17 साल कॉरपोरेट में काम करने के बाद शुरू किया स्टार्टअपः हेमा हरचंदानी कहती हैं कि यह परसेप्शन बना हुआ है कि कोई भी महिला खुद के दम पर कुछ नहीं कर सकती. लेकिन अगर आप इतिहास उठा कर देखेंगे तो ऐसे सैकड़ों उदाहरण आपको मिल जाएंगे, जिसमें महिलाओं ने हर उस काम को सफलता के साथ पूरा किया है, जिसमें कभी पुरुषों का एकाधिकार रहा है. हेमा कहती हैं कि महिला शालीन भी है, सक्षम भी है और जरूरत पड़ने पर अग्रेसिव भी है. ऐसे में अगर एक महिला तय कर ले कि उसे अपने दम पर कुछ करना है तो सफलता की नई इबारत लिख सकती है.

हेमा हरचंदानी अपने बारे में बताती हैं कि 17 साल कॉरपोरेट क्षेत्र में काम करने के बाद लगा कि अब वक्त आ गया है कि अपना स्टार्टअप खड़ा किया जाए. जिसमें वह उन महिलाओं को भी आगे ला सके, जो घर की दहलीज लांघकर कुछ करना चाहती हैं. इसलिए उन्होंने कैनवास इंटरनेशनल स्कूल के नाम से एक एजुकेशन की चेन स्टार्ट की. हेमा बताती हैं कि इसके पीछे दूसरा मकसद यह भी था कि मध्यम वर्ग के बच्चों को अच्छी और सस्ती शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके.

पढ़ें. National Women Day 2023: राजस्थान में लाखों महरूम कामगार महिलाओं की आवाज बनी 'मेवा दीदी'

85 फीसदी से ज्यादा महिलाएंः हेमा हरचंदानी बताती हैं कि उनके स्टार्टअप की राजस्थान सहित आधा दर्जन राज्यों में 50 से ज्यादा ब्रांचेज है. इसमें 350 से ज्यादा एंप्लाइज काम करते हैं और इसमें 80 से 85 फीसदी महिलाओं को जोड़ा हुआ है. महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर हेमा कहती हैं अगर आप के काम का विजन तय है तो आप किसी भी बड़ी चुनौती का सफलतापूर्वक सामना कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि पारिवारिक जीवन में पुरुष की जरूरत हो सकती है, लेकिन बिजनेस में पुरुष आप के साथ हो तब ही सफलता मिलती है ये गलत मिथक है. बस खुद पर भरोसा हो कि आप जो कर रहे हो वो सही है.

केंद्र सरकार से मिला सम्मनाः हेमा हरचंदानी को भारत सरकार ने उन 100 महिलाओं में सम्मानित किया है, जिन्होंने एमएसएमई के तहत महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काम किया है. हेमा कहती हैं कि कॉरपोरेट में काम करते वक्त जरूर कुछ चुनौतियां सामने आई. सबसे पहले तो जब उन्होंने कॉरपोरेट में काम शुरू किया, उस वक्त समाज से शुरुआत हुई. क्योंकि उस वक्त महिलाएं कॉरपोरेट में कम ही काम करती थी, लेकिन परिवार का सपोर्ट था तो प्रोफेशन में आने वाली चुनौतियों को आसानी से पार कर गई. कॉरपोरेट के अनुभव के बाद बिजनेस में ज्यादा दिक्कत नहीं आई.

खड़ा किया स्टार्टअप और लिख दी सफलता की दास्तां.

जयपुर. पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं ने न सिर्फ अपने लिए नए मौके तलाशे हैं, बल्कि वह दूसरों को रोजगार भी दे रही हैं. कई महिलाओं ने विपरीत हालात और सिस्टम से बिना किसी सहयोग के सफलता की कहानी लिखी है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आज हम आपको जयपुर की ऐसी महिला से मिलवा रहे हैं, जिन्होंने अपने दम पर स्टार्टअप शुरू किया और अब दूसरों को रोजगार दे रही हैं.

मध्यम वर्ग के परिवार को अच्छी शिक्षा देने के साथ ही महिलाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ये स्टार्टअप शुरू किया गया था. हेमा हरचंदानी ने 8 साल पहले मध्यम वर्ग के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए दो स्कूल के साथ स्टार्टअप खड़ा किया जो आज आधा दर्जन राज्यों में 50 से अधिक ब्रांच के रूप में काम कर रहा है. हेमा हरचंदानी को भारत सरकार ने उन सौ महिलाओं में सम्मानित किया है, जिन्होंने एमएसएमई के तहत महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काम किया है.

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17 साल कॉरपोरेट में काम करने के बाद शुरू किया स्टार्टअपः हेमा हरचंदानी कहती हैं कि यह परसेप्शन बना हुआ है कि कोई भी महिला खुद के दम पर कुछ नहीं कर सकती. लेकिन अगर आप इतिहास उठा कर देखेंगे तो ऐसे सैकड़ों उदाहरण आपको मिल जाएंगे, जिसमें महिलाओं ने हर उस काम को सफलता के साथ पूरा किया है, जिसमें कभी पुरुषों का एकाधिकार रहा है. हेमा कहती हैं कि महिला शालीन भी है, सक्षम भी है और जरूरत पड़ने पर अग्रेसिव भी है. ऐसे में अगर एक महिला तय कर ले कि उसे अपने दम पर कुछ करना है तो सफलता की नई इबारत लिख सकती है.

हेमा हरचंदानी अपने बारे में बताती हैं कि 17 साल कॉरपोरेट क्षेत्र में काम करने के बाद लगा कि अब वक्त आ गया है कि अपना स्टार्टअप खड़ा किया जाए. जिसमें वह उन महिलाओं को भी आगे ला सके, जो घर की दहलीज लांघकर कुछ करना चाहती हैं. इसलिए उन्होंने कैनवास इंटरनेशनल स्कूल के नाम से एक एजुकेशन की चेन स्टार्ट की. हेमा बताती हैं कि इसके पीछे दूसरा मकसद यह भी था कि मध्यम वर्ग के बच्चों को अच्छी और सस्ती शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके.

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85 फीसदी से ज्यादा महिलाएंः हेमा हरचंदानी बताती हैं कि उनके स्टार्टअप की राजस्थान सहित आधा दर्जन राज्यों में 50 से ज्यादा ब्रांचेज है. इसमें 350 से ज्यादा एंप्लाइज काम करते हैं और इसमें 80 से 85 फीसदी महिलाओं को जोड़ा हुआ है. महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर हेमा कहती हैं अगर आप के काम का विजन तय है तो आप किसी भी बड़ी चुनौती का सफलतापूर्वक सामना कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि पारिवारिक जीवन में पुरुष की जरूरत हो सकती है, लेकिन बिजनेस में पुरुष आप के साथ हो तब ही सफलता मिलती है ये गलत मिथक है. बस खुद पर भरोसा हो कि आप जो कर रहे हो वो सही है.

केंद्र सरकार से मिला सम्मनाः हेमा हरचंदानी को भारत सरकार ने उन 100 महिलाओं में सम्मानित किया है, जिन्होंने एमएसएमई के तहत महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काम किया है. हेमा कहती हैं कि कॉरपोरेट में काम करते वक्त जरूर कुछ चुनौतियां सामने आई. सबसे पहले तो जब उन्होंने कॉरपोरेट में काम शुरू किया, उस वक्त समाज से शुरुआत हुई. क्योंकि उस वक्त महिलाएं कॉरपोरेट में कम ही काम करती थी, लेकिन परिवार का सपोर्ट था तो प्रोफेशन में आने वाली चुनौतियों को आसानी से पार कर गई. कॉरपोरेट के अनुभव के बाद बिजनेस में ज्यादा दिक्कत नहीं आई.

Last Updated : Mar 8, 2023, 8:07 AM IST
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