जयपुर. 29 जुलाई को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का मकसद दुनिया भर में सिमटते बाघों के कुनबे को बचाना और संरक्षित करना है. दुनिया के कुल बाघों की 70 फीसदी आबादी भारत में निवास करती है. राजस्थान में भी टाइगर प्रोजेक्ट के इस मकसद को साकार होता हुआ देखा जा सकता है. प्रमुख रूप से रणथम्भौर और सरिस्का में बाघों के संरक्षण का काम दुनिया की नजर में मिसाल बन चुका है, जबकि मुकुंदरा, रामगढ़ विषधारी और केवलादेव में विकसित होते टाइगर रिजर्व भी इस उद्देश्य को परवान पर पहुंचाने में जुटे हैं.
ऐसे शुरू हुआ बाघ दिवस : साल 2023 इस बीच कई मायनों में खास है, जहां 6 महीनों के दौरान ही बाघों के कुनबे में इजाफा देखने को मिला है. बता दें कि बाघ दिवस 2010 में अस्तित्व में आया था. सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा पर 13 देशों ने हस्ताक्षर किए थे और तभी से 29 जुलाई को वर्ल्ड टाइगर डे के रूप में मनाया जाने लगा है. उस वक्त दस्तखत करने वाले देशों ने साल 2022 तक बाघों की तादाद दोगुना करने का संकल्प लिया था.
पढ़ें. Watch: सुदर्शन पटनायक ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर सैंड पर उकेरी बाघ की विशाल कलाकृति
राजस्थान में बढ़ा बाघों का कुनबा : राजस्थान के लिए साल 2023 के बीते 2 महीने बाघों के संरक्षण के लिहाज से खासा अहम साबित हुए हैं. हाल ही में रणथम्भौर में 25 जुलाई को बाघिन T-84 एरोहेड तीन नए शावकों के साथ नजर आई थी. इसके पहले 21 जून को टी-124 यानी रिद्धि को भी 3 शावकों के साथ, 9 जुलाई को सरिस्का में एसटी-19 को दो शावकों के साथ और 16 जुलाई को रामगढ़ विषधारी टाइगर अभ्यारण मे RVT-2 को 3 शावकों के साथ देखा गया था.
इतने बाघ हैं मौजूद : बीते 2 महीने में राजस्थान के टाइगर रिजर्व में 11 शावकों के जन्म के बाद वन्य जीव प्रेमी खुशी हैं. साथ ही प्रोजेक्ट टाइगर साकार होता हुआ नजर आ रहा है. बहरहाल रणथम्भौर में बाघों की संख्या 79 तक पहुंच गई है, जिनमें 22 नर, 30 मादा और 27 शावक या छोटी उम्र के बाघ भी शामिल हैं. सरिस्का में 30 और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 5 हो चुकी है. वहीं, मुकुंदरा में अभी 1 बाघ मौजूद है. राज्य में जून और जुलाई माह में कुल 11 बाघ शावकों का जन्म हुआ है.