ETV Bharat / state

Special : इम्यूनिटी, लॉयल्टी, सीखने की समझ और सुंदरता में विदेशी नस्ल से कहीं आगे हैं इंडियन डॉग्स - ETV Bharat Rajasthan News

International Dog Day 2023, डॉग लवर्स अमूमन विदेशी नस्ल के डॉग लाने में रूचि दिखाते हैं. उन्हें अपने घर में रखने को अपना स्टेटस सिंबल समझते हैं, लेकिन इंडियन डॉग्स को भारतीय लोग घरों में पालने से बचते हैं, जबकि विदेशियों को ज्यादा भाते हैं. हालांकि, समय के साथ-साथ अब ट्रेंड बदलता जा रहा है. देखिए ये रिपोर्ट...

International Dog Day 2023
विदेशी नस्ल के कहीं आगे हैं इंडियन डॉग्स
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 26, 2023, 8:42 AM IST

Updated : Aug 26, 2023, 1:02 PM IST

International Dog Day, सुनिए किसने क्या कहा...

जयपुर. भारत देश जहां हर गली में इक्का-दुक्का स्ट्रीट डॉग देखने को मिल ही जाते हैं. एक सर्वे के मुताबिक देश में करीब 30 मिलियन स्ट्रीट डॉग्स हैं, जिनकी कीमत अब जाकर कुछ भारतीय डॉग लवर्स ने समझी है. यही वजह है कि ऐसे कई सामाजिक संगठन और फैमिलीज हैं, जिन्होंने इंडियन डॉग्स को पालना भी शुरू कर दिया है. डॉग लवर नेहा ने बताया कि ये इंडियन डॉग इंडियन वेदर के लिए सूटेबल हैं. ये बहुत लॉयल और इंटेलिजेंट होते हैं और सुंदर भी बहुत दिखते हैं. उन्होंने कहा कि यदि भारत में करोड़ों की संख्या में स्ट्रीट डॉग मौजूद है तो फिर पालने के लिए विदेशी नस्ल को क्यों खरीदा जाए. जो पहले से मौजूद हैं जिन्हें घर की और सहायता की जरूरत है तो उन्हें ही क्यों न अडॉप्ट किया जाए.

वहीं, आयुष ने बताया कि उनके पास देशी-विदेशी दोनों तरह की नस्ल के डॉग्स थे. दोनों में अंतर साफ था कि इंडियन डॉग्स की हर्ड इम्यूनिटी रहती है. इन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं होती. यदि बीमार होते हैं तो एक-दो दिन खाते नहीं हैं और सेल्फ ठीक हो जाते हैं, जबकि जो जर्मन शेफर्ड उनके पास था, उसे हर महीने डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता था. इंडियन डॉग्स की सबसे अच्छी बात ये है कि जिस तरह ये आपके घर की रखवाली करते हैं. ऐसे डॉग्स की कोई ब्रीड नहीं है, जो ऐसा करती हो.

International Dog Day 2023
विदेशी नस्ल से कहीं आगे हैं इंडियन डॉग्स

वहीं, डॉग लवर सुजाता ने बताया कि पहले सभी पड़ोसी डॉग्स को अलग-अलग रोटी दिया करते थे. फिर तय किया गया कि सभी एक जगह रोटी इकट्ठी करके उन तक पहुंचा दें. वो खुद दूध मंगवाती हैं और रात को दूध के साथ रोटी भिगोकर फ्रिज में रख देती हैं. सुबह जब वॉक के लिए निकलती है तो घर के बाहर से ही क्लैप करती है और गली में जितने भी डॉग्स हैं वो दौड़ कर चले आते हैं. घरों के बाहर जो कुंडिया (डॉग्स फीडिंग पोट) रखे हुए हैं, उनमें वो अपना-अपना खाना खाते हैं. उन्होंने कहा कि सभी में भगवान है, इसलिए वो नारायण-नारायण कहते हुए ही डॉग्स की सेवा कार्य करती हैं.

पढ़ें : Women's Equality Day : महिला समानता की बात आज भी बेमानी, राजस्थान में यह है जमीनी हकीकत

इंडियन डॉग्स को लेकर वेटरनरी ऑफिसर डॉ. श्रवण कुमार ने बताया कि इंडियन डॉग्स का इम्युनिटी पावर पेडिग्री डॉग्स की तुलना में बहुत अच्छा होता है. भारत में डॉग्स को होने वाली बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बहुत ज्यादा होती है. यही नहीं, वफादारी की बात करें तो विदेशी नस्लों के डॉग्स से ये एक कदम आगे ही है. इनकी सबसे खास बात ये है कि इन्हें यहां का एनवायरमेंट सूट करता हैं. इस वजह से इनकी केयर करना आसान होता है. इनमें स्कीन रिलेटेड प्रॉब्लम भी ना के बराबर आती है. इकोनॉमिकली भी ये सेल्फ मेंटेन रहते हैं, वो अपना ध्यान खुद रखते हैं. उन्होंने बताया कि अब इंडियन डॉग्स को लेकर अवेयरनेस बढ़ी है. लोगों ने होमलेस को होम देना प्रेफर किया है.

डॉ. श्रवण ने बताया कि इन्हें पालने में सबसे ज्यादा जरूरी है वैक्सीनेशन. कोई भी डॉग पालते हैं तो डॉग से ह्यूमन बीइंग को रेबीज का खतरा रहता है. इसलिए रेबीज का टीका बहुत जरूरी होता है, इसके साथ ही बेसिक डॉग वैक्सीन लगवाना भी जरूरी होता है. खास बात ये है कि होममेड फूड से भी आजकल डॉग्स को रखना आसान हो गया है. ट्रेंड देखा जा रहा है कि जो दूसरी कंट्री के लोग इंडिया में रह रहे हैं, वो लोग भी इंडियन डॉग को ही अडॉप्ट करते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि उनकी वफादारी ज्यादा होती है और केयर कम होती है. हालांकि, इन डॉग्स की कोई ब्रेड नहीं होती. इसलिए इन्हें एनडी डॉग्स (नॉन डिस्क्रिप्टिव ब्रीड) बोलते हैं, क्योंकि इनकी मैटिंग का पैटर्न फिक्स नहीं होता.

बहरहाल, अब तक ये स्ट्रीट डॉग सिर्फ गली-मोहल्लों और सड़कों पर गाड़ियों के पीछे दौड़ने, दिन-रात भौंकने और किसी न किसी को काटने की वजह से सुर्खियों में रहते थे. लेकिन समय के साथ-साथ अब लोगों ने इनकी वैल्यू समझी है और उनकी केयर करना भी शुरू किया है. अब लोग इन स्ट्रीट डॉग्स को अडॉप्ट भी कर रहे हैं. खास बात ये है कि इन डॉग्स में इम्यूनिटी, लॉयल्टी, सीखने की समझ और सुंदरता विदेशी नस्ल के डॉग्स से कहीं गुना ज्यादा होती है.

International Dog Day, सुनिए किसने क्या कहा...

जयपुर. भारत देश जहां हर गली में इक्का-दुक्का स्ट्रीट डॉग देखने को मिल ही जाते हैं. एक सर्वे के मुताबिक देश में करीब 30 मिलियन स्ट्रीट डॉग्स हैं, जिनकी कीमत अब जाकर कुछ भारतीय डॉग लवर्स ने समझी है. यही वजह है कि ऐसे कई सामाजिक संगठन और फैमिलीज हैं, जिन्होंने इंडियन डॉग्स को पालना भी शुरू कर दिया है. डॉग लवर नेहा ने बताया कि ये इंडियन डॉग इंडियन वेदर के लिए सूटेबल हैं. ये बहुत लॉयल और इंटेलिजेंट होते हैं और सुंदर भी बहुत दिखते हैं. उन्होंने कहा कि यदि भारत में करोड़ों की संख्या में स्ट्रीट डॉग मौजूद है तो फिर पालने के लिए विदेशी नस्ल को क्यों खरीदा जाए. जो पहले से मौजूद हैं जिन्हें घर की और सहायता की जरूरत है तो उन्हें ही क्यों न अडॉप्ट किया जाए.

वहीं, आयुष ने बताया कि उनके पास देशी-विदेशी दोनों तरह की नस्ल के डॉग्स थे. दोनों में अंतर साफ था कि इंडियन डॉग्स की हर्ड इम्यूनिटी रहती है. इन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं होती. यदि बीमार होते हैं तो एक-दो दिन खाते नहीं हैं और सेल्फ ठीक हो जाते हैं, जबकि जो जर्मन शेफर्ड उनके पास था, उसे हर महीने डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता था. इंडियन डॉग्स की सबसे अच्छी बात ये है कि जिस तरह ये आपके घर की रखवाली करते हैं. ऐसे डॉग्स की कोई ब्रीड नहीं है, जो ऐसा करती हो.

International Dog Day 2023
विदेशी नस्ल से कहीं आगे हैं इंडियन डॉग्स

वहीं, डॉग लवर सुजाता ने बताया कि पहले सभी पड़ोसी डॉग्स को अलग-अलग रोटी दिया करते थे. फिर तय किया गया कि सभी एक जगह रोटी इकट्ठी करके उन तक पहुंचा दें. वो खुद दूध मंगवाती हैं और रात को दूध के साथ रोटी भिगोकर फ्रिज में रख देती हैं. सुबह जब वॉक के लिए निकलती है तो घर के बाहर से ही क्लैप करती है और गली में जितने भी डॉग्स हैं वो दौड़ कर चले आते हैं. घरों के बाहर जो कुंडिया (डॉग्स फीडिंग पोट) रखे हुए हैं, उनमें वो अपना-अपना खाना खाते हैं. उन्होंने कहा कि सभी में भगवान है, इसलिए वो नारायण-नारायण कहते हुए ही डॉग्स की सेवा कार्य करती हैं.

पढ़ें : Women's Equality Day : महिला समानता की बात आज भी बेमानी, राजस्थान में यह है जमीनी हकीकत

इंडियन डॉग्स को लेकर वेटरनरी ऑफिसर डॉ. श्रवण कुमार ने बताया कि इंडियन डॉग्स का इम्युनिटी पावर पेडिग्री डॉग्स की तुलना में बहुत अच्छा होता है. भारत में डॉग्स को होने वाली बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बहुत ज्यादा होती है. यही नहीं, वफादारी की बात करें तो विदेशी नस्लों के डॉग्स से ये एक कदम आगे ही है. इनकी सबसे खास बात ये है कि इन्हें यहां का एनवायरमेंट सूट करता हैं. इस वजह से इनकी केयर करना आसान होता है. इनमें स्कीन रिलेटेड प्रॉब्लम भी ना के बराबर आती है. इकोनॉमिकली भी ये सेल्फ मेंटेन रहते हैं, वो अपना ध्यान खुद रखते हैं. उन्होंने बताया कि अब इंडियन डॉग्स को लेकर अवेयरनेस बढ़ी है. लोगों ने होमलेस को होम देना प्रेफर किया है.

डॉ. श्रवण ने बताया कि इन्हें पालने में सबसे ज्यादा जरूरी है वैक्सीनेशन. कोई भी डॉग पालते हैं तो डॉग से ह्यूमन बीइंग को रेबीज का खतरा रहता है. इसलिए रेबीज का टीका बहुत जरूरी होता है, इसके साथ ही बेसिक डॉग वैक्सीन लगवाना भी जरूरी होता है. खास बात ये है कि होममेड फूड से भी आजकल डॉग्स को रखना आसान हो गया है. ट्रेंड देखा जा रहा है कि जो दूसरी कंट्री के लोग इंडिया में रह रहे हैं, वो लोग भी इंडियन डॉग को ही अडॉप्ट करते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि उनकी वफादारी ज्यादा होती है और केयर कम होती है. हालांकि, इन डॉग्स की कोई ब्रेड नहीं होती. इसलिए इन्हें एनडी डॉग्स (नॉन डिस्क्रिप्टिव ब्रीड) बोलते हैं, क्योंकि इनकी मैटिंग का पैटर्न फिक्स नहीं होता.

बहरहाल, अब तक ये स्ट्रीट डॉग सिर्फ गली-मोहल्लों और सड़कों पर गाड़ियों के पीछे दौड़ने, दिन-रात भौंकने और किसी न किसी को काटने की वजह से सुर्खियों में रहते थे. लेकिन समय के साथ-साथ अब लोगों ने इनकी वैल्यू समझी है और उनकी केयर करना भी शुरू किया है. अब लोग इन स्ट्रीट डॉग्स को अडॉप्ट भी कर रहे हैं. खास बात ये है कि इन डॉग्स में इम्यूनिटी, लॉयल्टी, सीखने की समझ और सुंदरता विदेशी नस्ल के डॉग्स से कहीं गुना ज्यादा होती है.

Last Updated : Aug 26, 2023, 1:02 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.