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Reality Check: निगम प्रशासन का अमानवीय चेहरा, 10 दिन से पिंजरे में कैद सैकड़ों बंदर

जयपुर में निगम प्रशासन का अमानवीय चेहरा नजर (Inhuman Treatment From Monkeys in Jaipur) आया. शहरभर से पकड़े गए बंदरों को जंगलों में छोड़ा जाना था, लेकिन करीब 10 दिन से ये बंदर पिंजरों में ही हैं. छोटे-छोटे पिंजरे में कैद कई बंदर चोटिल भी हैं.

Inhuman Treatment From Monkeys in Jaipur
निगम प्रशासन का अमानवीय चेहरा
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Published : Jan 13, 2023, 5:05 PM IST

10 दिन से पिंजरे में कैद सैकड़ों बंदर

जयपुर. राजधानी में बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम ने अभियान चलाया है. इसके तहत बंदरों को पकड़ कर जंगल में छोड़ दिया जाएगा. हेरिटेज नगर निगम (Jaipur Heritage Municipal Corporation) ने ये काम एक प्राइवेट कंपनी को दिया है. ये कंपनी बंदरों को पकड़ तो जरुर रही है, लेकिन उन्हें जंगलों में तुरंत छोड़ने के बजाय कई दिनों तक सलाखों के पीछे रख रही है. इस दौरान निगम प्रशासन का अमानवीय चेहरा नजर (Inhuman Treatment From Monkeys in Jaipur) आया. दरअसल, पकड़े गए करीब 100 बंदरों को 10 दिन से पिंजरों में कैद रखा है. आलम ये है कि कुछ पिंजरों में 5 से 7 बंदर कैद हैं.

छोटे-छोटे पिंजरे में कैद कई बंदर चोटिल: जयपुर के दबाव खाना में छोटे-छोटे पिंजरे में कैद कई बंदर चोटिल भी हैं. उनके चेहरों पर घाव के निशान साफ तौर पर देखे जा सकते हैं. मंगलवार को ईटीवी भारत की टीम दबाव खाना पहुंची. यहां छोटे-छोटे पिंजरे में सैकड़ों बंदर कैद नजर आये. कुछ पिंजरों में तो 5 से 7 बंदर कैद हैं, जो एक पिंजरे में ठीक से बैठ तक नहीं पा रहे. साथ ही इन्हें पर्याप्त खाने-पीने को दिया जा रहा है, जिसकी वजह से बंदर भूखे, कमजोर हो गए हैं. वहीं, पिंजरों में बंद बंदरों की देखभाल नहीं होने से यहां वन्य जीव प्रेमियों और स्थानीय लोगों में भी आक्रोश दिखा.

कंपनी अपनी सेवा शर्तों का पालन नहीं कर रही: स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि कंपनी अपनी सेवा शर्तों का पालन नहीं कर रही है. बंदरों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया जा रहा है. बंदरों के लिए ये व्यवहार किसी यातना से कम नहीं है. कुछ बंदर तो यहां करीब 10 दिन से कैद हैं. कुछ सेवादार बंदरों की सेवा के मकसद से उन्हें केले और खाने की सामग्री भी देते दिखाई दिए. लोगों की मानें तो इन बंदरों की देखभाल ठीक तौर पर नहीं की जा रही है. हालांकि दबाव खाने में बंदरों को पकड़ने का टेंडर उठाने वाले ठेकेदार मौजूद नहीं थे. उनके कर्मचारियों ने बताया कि शिकायत पर इन बंदरों को पकड़ा जाता है और फिर 8 से 10 दिन में जंगलों में छोड़ दिया जाता है.

पढ़ें: अनूठा प्रदर्शन : बंदरों को छुड़ाने के लिए खुद हुए पिंजरे में कैद...

बंदरों को जंगलों में रिलीज करने के निर्देश: वहीं, इस मामले में ईटीवी भारत ने पिंजरे में कैद बंदरों पर कमिश्नर विश्राम मीणा से सवाल किया, जिस पर उन्होंने नियमों के तहत 2 से 3 दिन में पकड़े गए बंदरों को जंगलों में रिलीज करने के निर्देश दिए. साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जा रहा है तो संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

10 दिन से पिंजरे में कैद सैकड़ों बंदर

जयपुर. राजधानी में बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम ने अभियान चलाया है. इसके तहत बंदरों को पकड़ कर जंगल में छोड़ दिया जाएगा. हेरिटेज नगर निगम (Jaipur Heritage Municipal Corporation) ने ये काम एक प्राइवेट कंपनी को दिया है. ये कंपनी बंदरों को पकड़ तो जरुर रही है, लेकिन उन्हें जंगलों में तुरंत छोड़ने के बजाय कई दिनों तक सलाखों के पीछे रख रही है. इस दौरान निगम प्रशासन का अमानवीय चेहरा नजर (Inhuman Treatment From Monkeys in Jaipur) आया. दरअसल, पकड़े गए करीब 100 बंदरों को 10 दिन से पिंजरों में कैद रखा है. आलम ये है कि कुछ पिंजरों में 5 से 7 बंदर कैद हैं.

छोटे-छोटे पिंजरे में कैद कई बंदर चोटिल: जयपुर के दबाव खाना में छोटे-छोटे पिंजरे में कैद कई बंदर चोटिल भी हैं. उनके चेहरों पर घाव के निशान साफ तौर पर देखे जा सकते हैं. मंगलवार को ईटीवी भारत की टीम दबाव खाना पहुंची. यहां छोटे-छोटे पिंजरे में सैकड़ों बंदर कैद नजर आये. कुछ पिंजरों में तो 5 से 7 बंदर कैद हैं, जो एक पिंजरे में ठीक से बैठ तक नहीं पा रहे. साथ ही इन्हें पर्याप्त खाने-पीने को दिया जा रहा है, जिसकी वजह से बंदर भूखे, कमजोर हो गए हैं. वहीं, पिंजरों में बंद बंदरों की देखभाल नहीं होने से यहां वन्य जीव प्रेमियों और स्थानीय लोगों में भी आक्रोश दिखा.

कंपनी अपनी सेवा शर्तों का पालन नहीं कर रही: स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि कंपनी अपनी सेवा शर्तों का पालन नहीं कर रही है. बंदरों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया जा रहा है. बंदरों के लिए ये व्यवहार किसी यातना से कम नहीं है. कुछ बंदर तो यहां करीब 10 दिन से कैद हैं. कुछ सेवादार बंदरों की सेवा के मकसद से उन्हें केले और खाने की सामग्री भी देते दिखाई दिए. लोगों की मानें तो इन बंदरों की देखभाल ठीक तौर पर नहीं की जा रही है. हालांकि दबाव खाने में बंदरों को पकड़ने का टेंडर उठाने वाले ठेकेदार मौजूद नहीं थे. उनके कर्मचारियों ने बताया कि शिकायत पर इन बंदरों को पकड़ा जाता है और फिर 8 से 10 दिन में जंगलों में छोड़ दिया जाता है.

पढ़ें: अनूठा प्रदर्शन : बंदरों को छुड़ाने के लिए खुद हुए पिंजरे में कैद...

बंदरों को जंगलों में रिलीज करने के निर्देश: वहीं, इस मामले में ईटीवी भारत ने पिंजरे में कैद बंदरों पर कमिश्नर विश्राम मीणा से सवाल किया, जिस पर उन्होंने नियमों के तहत 2 से 3 दिन में पकड़े गए बंदरों को जंगलों में रिलीज करने के निर्देश दिए. साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जा रहा है तो संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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