जयपुर. राजनीति में टीस ऐसी चीज है, जो कभी भी उठ सकती है. सचिन पायलट के मन में भी एक टीस रही होगी. यह टीस राजनीतिक को ऐसे ऐसे संकट से गुजार सकती है, जिसकी कल्पना करना कठिन है. राजनीतिक महत्वकांक्षा और टीस से उपजा सियासी संकट राजस्थान की राजनीति में हमेशा याद किया जाएगा.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार बार ये शक जता रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी प्रदेश सरकार को गिराने की साजिश कर रही है, आरोप थे कि उनके कुछ विधायकों को खरीदा जा रहा है. राज्यसभा चुनाव के वक्त भी मुख्यमंत्री ने ऐसी आशंका जताई थी. ऐजेंसियां भी अलर्ट रखी गईं थी. सचिन पायलट के अपने मसले थे. लेकिन बगावत का बहाना बना एसओजी का नोटिस. एसओजी ने सचिन पायलट को राष्ट्रद्रोह मामले में गवाही का एक नोटिस दिया था. यही नोटिस राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में बगावत का कारण बन गया.
10 जुलाई को सचिन को मिला एसओजी का नोटिस
10 जुलाई को एसओजी की ओर से धारा 124 ए और 120 बी आईपीसी के तहत गवाही देने के लिए तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को नोटिस दिया गया. यह राष्ट्रद्रोह का मामला था. यही मामला कांग्रेस में सचिन पायलट और 19 विधायकों की बगावत का कारण बना. तीन निर्दलीय विधायक भी जयपुर से दिल्ली पहुंच गए. जिनमें खुशवीर सिंह, ओमप्रकाश हुडला और सुरेश डांस शामिल थे. इन तीनों के खिलाफ एसीबी ने खरीद-फरोख्त के प्रयास का मामला दर्ज किया था. हालांकि सचिन पायलट को मिले नोटिस को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने बयान जारी किया कि यह नोटिस उन्हें भी मिला है ऐसे में इसे तूल देना गलत है.
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12 जुलाई को सचिन पायलट का बड़ा बयान
सचिन पायलट ने बगावती सुर अख्तियार कर लिए थे. 12 जुलाई को उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है, मेरे साथ 30 विधायक हैं. उनके इस बयान के साथ शुरू हुई राजस्थान में कांग्रेस विधायकों की बगावत और पॉलीटिकल क्राइसिस. जिसके बाद सरकार को 34 दिनों तक जयपुर और जैसलमेर में बाड़ाबंदी में रहना पड़ा. सचिन पायलट के खिलाफ राजद्रोह के मामले में गवाही से शुरू हुआ मामला बगावत तक पहुंचा और 13 जुलाई को सुबह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने निवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई. इस बैठक में सचिन और उनके साथी बागी विधायक शामिल नहीं हुए.
कांग्रेस विधायक को भेजा बाड़ाबंदी में
सचिन पायलट के बयान के बाद कांग्रेस सतर्क हो गई. उधर कांग्रेस नेता राजीव अरोड़ा और धर्मेंद्र राठौड़ पर ईडी और इनकम टैक्स की कार्रवाई ने सरकार को सकते में ला दिया. 13 जुलाई को हुई विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट समेत 19 कांग्रेस के और तीन निर्दलीय कुल 22 विधायक विधायक शामिल नहीं हुए थे. लिहाजा विधायक दल की बैठक के बाद सरकार गिरने के डर से विधायकों को राजधानी में दिल्ली रोड स्थित होटल फेयरमाउंट में शिफ्ट कर दिया गया. उधर 13 जुलाई को ही सचिन पायलट कैंप की ओर से हरियाणा के मानेसर में मौजूद विधायकों का वीडियो जारी किया गया.
14 जुलाई को मंत्री पद से बर्खास्तगी
14 जुलाई को सचिन पायलट विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री पदों से बर्खास्त कर दिया गया. सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष, मुकेश भाकर को युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राकेश पारीक को सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष पद गंवाना पड़ा. गोविंद सिंह डोटासरा को नया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया. कांग्रेस के संगठन सेवादल की कमान हेम सिंह शेखावत और यूथ कांग्रेस का नया अध्यक्ष विधायक गणेश घोगरा को बनाया गया.
15 जुलाई को राजस्थान विधानसभा के नोटिस जिला प्रशासन ने सभी बागी विधायकों के आवास पर चस्पा कर दिए. इन नोटिस में 17 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष के सामने उपस्थित होने की बात लिखी गई थी. कांग्रेस के बागी विधायक इन नोटिसों के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए. पायलट की तरफ से हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी वकील बने. उधर स्पीकर की ओर से कोर्ट में 17 जुलाई तक विधायकों पर कोई कार्यवाही नहीं करने की बात कही गई.
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चर्चाओं में रहा ओडियो टेप कांड
कांग्रेस विधायकों की बगावत के बीच केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भाजपा नेता संजय जैन, कांग्रेस विधायक भंवरलाल और विश्वेंद्र सिंह के मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा ने पैसे के लेनदेन का ऑडियो टेप जारी कर दिया. 16 जुलाई को यह दावा किया गया कि 3 ऑडियो टेप में कथित तौर पर भाजपा नेता गजेंद्र सिंह ने खरीद फरोख्त की कोशिश की.
कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने 17 जुलाई को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह, विधायक विश्वेंद्र सिंह, विधायक भंवरलाल शर्मा और भाजपा नेता संजय जैन के खिलाफ एसीपी में एफआईआर दर्ज करा दी. विधायक भंवरलाल शर्मा और विधायक विश्वेंद्र सिंह को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निलंबित भी कर दिया गया. इसी दौरान ईडी ने मुख्यमंत्री के भाई अग्रसेन गहलोत पर और सीबीआई ने विधायक कृष्णा पूनिया से पूछताछ की तो राज्य सरकार ने केंद्र पर एजेंसियों के दुरुपोग का आरोप लगा दिया.
एजेंसियों की एन्ट्री से तिलमिलाई सियासत
13 जुलाई को कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड, राजीव अरोड़ा और फेयर माउंट होटल के मालिक रतन शर्मा पर ईडी और इनकम टैक्स की कार्रवाई हुई थी. 20 और 21 जुलाई को विधायक कृष्णा पूनिया से सीबीआई ने पूछताछ की. तो वहीं 22 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत पर ईडी की कार्रवाई हुई.
विधानसभा बनाम राजभवन
सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाना चाहा लेकिन राज्यपाल नेअनुमति नहीं दी. सरकार ने राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाने के लिए पत्र 23 जुलाई को लिखा, लेकिन राज्यपाल से उसकी अनुमति नहीं मिलने पर 24 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस के सभी मंत्री, विधायक और नेता राजभवन कूच कर गए और वहां धरना दिया प्रदर्शन किया. जमकर नारेबाजी की. इसके बाद भी कोई निर्णय नहीं निकला तो कांग्रेस के नेता राजभवन से वापस होटल में चले गए. राजभवन की ओर से विधानसभा का सत्र नहीं बुलाने की इजाजत देने के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने पूरे देश में लोकतंत्र बचाओ संविधान बचाओ कार्यक्रम का आयोजन किया. 27 जुलाई को चले इस अभियान में राजस्थान को छोड़कर पूरे देश के राज भवन पर कांग्रेस पार्टी ने घेराव किया. राजस्थान में होटल में विधायकों ने किया गांधीवादी तरीके से प्रार्थना सभा का आयोजन करते दिखे. 27 जुलाई को कांग्रेस विधायकों ने राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखा.
6 बसपा विधायकों की कांग्रेस में सदस्यता पहुंची हाई कोर्ट
इस पूरे सियासी घटनाक्रम में हाईकोर्ट पहुंचने का भी एक दौर चला. बसपा अचानक से मुखर होकर कांग्रेस पर बरस पड़ी. बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों की सदस्यता को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. यह चुनौती भाजपा विधायक मदन दिलावर और बसपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से दी गई. आखिर कैबिनेट के विधान सभा बुलाने के चौथे प्रस्ताव को राज्यपाल ने स्वीकार किया लेकिन 21 दिन का समय मांगा. विधानसभा का सत्र 14 अगस्त को आहूत करने की तिथि तय हो गई. 31 जुलाई को कांग्रेस के सभी विधायकों को जयपुर के होटल फेयरमाउंट से जैसलमेर के सूर्यगढ़ रिसोर्ट में शिफ्ट कर दिया गया. इन विधायकों की ईद और राखी जैसलमेर में बाड़ा बंदी में ही मनी.
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आलाकमान के दखल से टूटा गतिरोध
कोर्ट से लगातार जिस तरीके से एक के बाद एक रिलीफ सचिन पायलट कैंप को मिल रही थी. उससे राजस्थान में कुछ धड़कनें विधायकों की बढ़ी हुई थी कि आगे क्या होगा लेकिन 10 अगस्त को अचानक यह खबर आई कि कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट के साथ मुलाकात की है और उनकी सुनवाई का आश्वासन दिया है. इसके बाद शाम को एआईसीसी मुख्यालय पर प्रियंका गांधी के साथ सचिन पायलट समेत सभी बागी विधायक प्रियंका गांधी से मिले और अपना समर्थन कांग्रेस को दे दिया. हालांकि बागी विधायकों में से एक भंवर लाल शर्मा दिन में ही जयपुर के लिए रवाना हो गए और वह शाम को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिले लेकिन जब प्रियंका गांधी से इन सब विधायकों की मुलाकात हुई उसके बाद राजस्थान में चल रहा राजनीतिक गतिरोध टूट गया और सरकार बचती हुई दिखाई दी. पायलट कैंप की जयपुर वापसी के बाद जैसलमेर में मौजूद सभी कांग्रेस विधायकों 12 अगस्त को जयपुर बुला लिया गया. लेकिन विधायकों को घर की जगह बाड़े बंदी में होटल फेयरमाउंट में ही भेजा गया जबकि सचिन पायलट कैंप के विधायक आजाद रहे.
कांग्रेस आलाकमान के सामने अपनी बात रखने के बाद 11 अगस्त को पायलट कैम्प के सभी विधायक जयपुर लौट आए, तो वही 13 अगस्त को मुख्यमंत्री आवास पर हुई विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक भी शामिल हुए और वहां विक्ट्री साइन दिखा कर यह साफ कर दिया कि अब राजस्थान में कांग्रेस सरकार को किसी तरीके का कोई डर नहीं है. 13 अगस्त को कांग्रेस विधायक विश्वेंद्र सिंह और भंवर लाल शर्मा का निलंबन वापस ले लिया गया. 14 अगस्त को राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू हुआ जिसमें पहले कांग्रेस पार्टी ने अपना बहुमत पेश किया हालांकि बहुमत पेश करने के लिए उन्हें वोटिंग की जरूरत नहीं पड़ी और ध्वनि मत से ही गहलोत सरकार ने अपना बहुमत पेश कर दिया और राजस्थान में गहलोत सरकार बच गई.