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स्वाइन फ्लू का शुरूआत में ही कराएं इलाज, बाद में मरीज का बचना मुश्किल : डॉक्टर

प्रदेश में अब तक स्वाइन फ्लू के 5 हजार से अधिक पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं वहीं इस बीमारी से प्रदेश में अब तक 206 लोगों की मौत हुई हो चुकी है. इस बीमारी को लेकर चिकित्सकों का कहना है कि सही समय पर इलाज से ही मरीज की जान बचाई जा सकती है.

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Published : Jul 27, 2019, 4:57 PM IST

जयपुर. सवाई मानसिंह अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अजीत सिंह का कहना है कि अगर शुरुआती स्तर पर स्वाइन फ्लू का उपचार ले लिया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है. डॉक्टर सिंह का कहना है कि जुकाम और खांसी होने या फिर गले में खराश तेज बुखार होने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं और अगर शुरुआती स्टेज पर ही मरीज का इलाज शुरू हो जाए तो इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है.

पढे़ं: इस साल प्रदेश में स्वाइन फ्लू से मौत का 200 पार, चिकित्सा विभाग की बढ़ी चिंता

इस स्टेज पर बचना मुश्किल

डॉ. अजीत सिंह का कहना है कि स्वाइन फ्लू को अगर नजरअंदाज कर दिया जाए और इसके बाद मरीज निमोनिया की चपेट में आ जाए तो मरीज को बचाना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में यह रोग तेजी से शरीर में फैलने लगता है और मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. ऐसे मरीजों को तुरंत आईसीयू में एडमिट करना पड़ता है या फिर मरीज की सिचुएशन क्रिटिकल हो तो उसे वेंटीलेटर पर भी लेना पड़ता है लेकिन ऐसे हालात में मरीज का बचना काफी मुश्किल हो जाता है.

स्वाइन फ्लू की शुरूआत में ही हो जाए सही इलाज, बाद में मरीज का बचना है मुश्किल- डॉक्टर

पढे़ं: जुकाम-बुखार को ना ले हल्के में, उपचार के लिए चिकित्सक की ले सलाह : डॉ. केके सोनी

सही समय पर इलाज ही बचाव

चिकित्सकों का कहना है कि सर्दी जुखाम तेज बुखार होने पर मरीज सही समय पर स्वाइन फ्लू की जांच करवाएं. अगर सही समय पर यह वायरस डिटेक्ट हो जाता है तो दवाइयों के माध्यम से मरीज हो बचाया जा सकता है.

जयपुर. सवाई मानसिंह अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अजीत सिंह का कहना है कि अगर शुरुआती स्तर पर स्वाइन फ्लू का उपचार ले लिया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है. डॉक्टर सिंह का कहना है कि जुकाम और खांसी होने या फिर गले में खराश तेज बुखार होने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं और अगर शुरुआती स्टेज पर ही मरीज का इलाज शुरू हो जाए तो इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है.

पढे़ं: इस साल प्रदेश में स्वाइन फ्लू से मौत का 200 पार, चिकित्सा विभाग की बढ़ी चिंता

इस स्टेज पर बचना मुश्किल

डॉ. अजीत सिंह का कहना है कि स्वाइन फ्लू को अगर नजरअंदाज कर दिया जाए और इसके बाद मरीज निमोनिया की चपेट में आ जाए तो मरीज को बचाना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में यह रोग तेजी से शरीर में फैलने लगता है और मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. ऐसे मरीजों को तुरंत आईसीयू में एडमिट करना पड़ता है या फिर मरीज की सिचुएशन क्रिटिकल हो तो उसे वेंटीलेटर पर भी लेना पड़ता है लेकिन ऐसे हालात में मरीज का बचना काफी मुश्किल हो जाता है.

स्वाइन फ्लू की शुरूआत में ही हो जाए सही इलाज, बाद में मरीज का बचना है मुश्किल- डॉक्टर

पढे़ं: जुकाम-बुखार को ना ले हल्के में, उपचार के लिए चिकित्सक की ले सलाह : डॉ. केके सोनी

सही समय पर इलाज ही बचाव

चिकित्सकों का कहना है कि सर्दी जुखाम तेज बुखार होने पर मरीज सही समय पर स्वाइन फ्लू की जांच करवाएं. अगर सही समय पर यह वायरस डिटेक्ट हो जाता है तो दवाइयों के माध्यम से मरीज हो बचाया जा सकता है.

Intro:जयपुर- प्रदेश में अब तक स्वाइन फ्लू के अब तक 5 हजार से अधिक पॉजिटिव की सामने आ चुके हैं वही इस बीमारी से प्रदेश में अब तक 206 लोगों की मौत हुई हो चुकी है इस बीमारी को लेकर चिकित्सकों का कहना है कि सही समय पर इलाज से ही मरीज की जान बचाई जा सकती है


Body:सवाई मानसिंह अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अजीत सिंह का कहना है कि अगर शुरुआती स्तर पर स्वाइन फ्लू का उपचार ले लिया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है डॉक्टर सिंह का कहना है कि जुकाम और खांसी होने या फिर गले में खराश तेज बुखार होने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं और अगर शुरुआती स्टेज पर ही मरीज का इलाज शुरू हो जाए तो इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है

इस स्टेज पर बचना मुश्किल

डॉ अजीत सिंह का कहना है कि स्वाइन फ्लू को अगर नजरअंदाज कर दिया जाए और इसके बाद मरीज निमोनिया की चपेट में आ जाए तो मरीज को बचाना काफी मुश्किल हो जाता है ऐसे में यह रोग तेजी से शरीर में फैलने लगता है और मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है ऐसे मरीजों को तुरंत आईसीयू में एडमिट करना पड़ता है या फिर मरीज की सिचुएशन क्रिटिकल हो तो उसे वेंटीलेटर पर भी लेना पड़ता है लेकिन ऐसे हालात में मरीज का बचना काफी मुश्किल हो जाता है



Conclusion:
सही समय पर इलाज ही बचाव

चिकित्सकों का कहना है कि सर्दी जुखाम तेज बुखार होने पर मरीज सही समय पर स्वाइन फ्लू की जांच करवाएं अगर सही समय पर यह वायरस डिटेक्ट हो जाता है तो दवाइयों के माध्यम से मरीज हो बचाया जा सकता है

बाईट- डॉ अजीत सिंह, चिकित्सक एस एम एस हॉस्पिटल
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