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जयपुर: रिश्वत लेते पकड़े गए 3 अधिकारियों के मामले में एसीबी का नया खुलासा...काम करने की एवज में लेते थे 10% कमीशन - भ्रष्टाचार की खबर जयपुर

पीडब्ल्यूडी के रिश्वत लेते हुए पकड़े गए तीन अधिकारियों के मामले में एसीबी ने अब एक नया खुलासा किया है. जिसमें पता चला है कि संबधित अधिकारी लंबे समय से काम करवाने के बदले में कमीशन ले रहे थे.

लंबे समय से चल रहा था विधानसभा परिसर में कमीशन का खेल
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Published : Aug 10, 2019, 12:30 PM IST

जयपुर. विधानसभा परिसर में रिश्वत राशि लेते हुए गिरफ्तार किए गए पीडब्ल्यूडी के तीन अधिकारियों के प्रकरण में एसीबी ने चौंकाने वाले खुलासे किए है. एसीबी की जांच में इस बात का पता चला है कि विधानसभा परिसर में काफी लंबे समय से कमीशन का खेल खेला जा रहा था.

पढ़ें - जयपुरः तेज रफ्तार कार पोल से टकराकर डिवाइडर पर चढ़ी, चालक और सहयोगी नशे में होने का अंदेशा

पीडब्ल्यूडी के तीनों ही अधिकारी ठेकेदारों को बिल पास करने की एवज में काफी टॉर्चर किया करते थे. भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों के बिल पास करने के बदले में कमीशन की मांग करते थे. साथ ही कमीशन का हिस्सा तीनों अधिकारी आपस में अलग-अलग अनुपात में बांट लेते थे.

विधानसभा परिसर से गिरफ्तार हुए पीडब्ल्यूडी के तीनों अधिकारी ठेकेदारों के बिल पास करने की एवज में 10% का कमीशन लेते थे. ठेकेदारों का बिल जितनी भी राशि का होता उन्हें उसका 10% कमीशन तीनों अधिकारियों को देना पड़ता. कमीशन का हिस्सा तीनों अधिकारी में अलग-अलग अनुपात में बांटते थे.

विधानसभा परिसर में बिल पास करने के बदले लिया जाता था कमीशन

पढ़ें - जयपुर: पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी विधानसभा में रिश्वत लेते गिरफ्तार

कमीशन के 10% की राशि में से 5% का हिस्सा एक्सईएन जितेंद्र ढाका अपने पास रखता. शेष 5% में से 3% एईएन दिनेश पारीक और 2% कैशियर अब्दुल करीम में बांटा जाता. तीनों ही अधिकारियों से पीड़ित कुछ अन्य ठेकेदार भी सामने आए हैं. जिन्होंने अपनी पीड़ा एसीबी अधिकारियों के सामने जाहिर की है. फिलहाल इस पूरे प्रकरण की एसीबी जांच कर रही है.

जयपुर. विधानसभा परिसर में रिश्वत राशि लेते हुए गिरफ्तार किए गए पीडब्ल्यूडी के तीन अधिकारियों के प्रकरण में एसीबी ने चौंकाने वाले खुलासे किए है. एसीबी की जांच में इस बात का पता चला है कि विधानसभा परिसर में काफी लंबे समय से कमीशन का खेल खेला जा रहा था.

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पीडब्ल्यूडी के तीनों ही अधिकारी ठेकेदारों को बिल पास करने की एवज में काफी टॉर्चर किया करते थे. भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों के बिल पास करने के बदले में कमीशन की मांग करते थे. साथ ही कमीशन का हिस्सा तीनों अधिकारी आपस में अलग-अलग अनुपात में बांट लेते थे.

विधानसभा परिसर से गिरफ्तार हुए पीडब्ल्यूडी के तीनों अधिकारी ठेकेदारों के बिल पास करने की एवज में 10% का कमीशन लेते थे. ठेकेदारों का बिल जितनी भी राशि का होता उन्हें उसका 10% कमीशन तीनों अधिकारियों को देना पड़ता. कमीशन का हिस्सा तीनों अधिकारी में अलग-अलग अनुपात में बांटते थे.

विधानसभा परिसर में बिल पास करने के बदले लिया जाता था कमीशन

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कमीशन के 10% की राशि में से 5% का हिस्सा एक्सईएन जितेंद्र ढाका अपने पास रखता. शेष 5% में से 3% एईएन दिनेश पारीक और 2% कैशियर अब्दुल करीम में बांटा जाता. तीनों ही अधिकारियों से पीड़ित कुछ अन्य ठेकेदार भी सामने आए हैं. जिन्होंने अपनी पीड़ा एसीबी अधिकारियों के सामने जाहिर की है. फिलहाल इस पूरे प्रकरण की एसीबी जांच कर रही है.

Intro:जयपुर
एंकर- एसीबी द्वारा विधानसभा परिसर में रिश्वत राशि लेते हुए गिरफ्तार किए गए पीडब्ल्यूडी के तीन अधिकारियों के प्रकरण में अनेक चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। एसीबी की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि विधानसभा परिसर में काफी लंबे समय से कमीशन का खेल खेला जा रहा था और पीडब्ल्यूडी के तीनों ही अधिकारी ठेकेदारों को बिल पास करने की एवज में काफी टॉर्चर किया करते थे। ठेकेदारों के बिल पास करने के एवज में कमीशन मांगा जाता और कमीशन का हिस्सा तीनों अधिकारियों में अलग अलग अनुपात में बांटा जाता।Body:वीओ- विधानसभा परिसर से गिरफ्तार हुए पीडब्ल्यूडी के तीनों अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों के बिल पास करने की एवज में 10% का कमीशन मांगा जाता। ठेकेदार का बिल जितनी भी राशि का होता उसे उसका 10% कमीशन के रूप में तीनों अधिकारियों को देना पड़ता। कमीशन का हिस्सा तीनों अधिकारियों में अलग-अलग अनुपात में बांटा जाता। कमीशन के 10% की राशि में से 5% का हिस्सा एक्सईएन जितेंद्र ढाका अपने पास रखता। शेष 5% में से 3% एईएन दिनेश पारीक और 2% कैशियर अब्दुल करीम में बांटा जाता। तीनों ही अधिकारियों से पीड़ित कुछ अन्य ठेकेदार भी सामने आए हैं जिन्होंने अपनी पीड़ा एसीबी अधिकारियों के सामने जाहिर की है। फिलहाल इस पूरे प्रकरण में एसीबी की जांच लगातार जारी है।Conclusion:null
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