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भरण पोषण मामले पर मानवाधिकार आयोग सख्त, गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी - jaipur

भरण- पोषण और कल्याण अधिकरण न्यायालयों के मामले को लेकर राज्य मानव अधिकार आयोग ने नाराजगी जाहिर की

भरण- पोषण और कल्याण अधिकरण न्यायालयों के मामले को लेकर मानव अधिकार आयोग ने प्रदेश के गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी
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Published : Apr 17, 2019, 10:52 AM IST

जयपुर.भरण- पोषण और कल्याण अधिकरण न्यायालयों के मामले को लेकर राज्य मानव अधिकार आयोग ने नाराजगी जाहिर की है. वहीं आयोग इस मामले में प्रदेश के गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी है. वहीं आयोग ने यह आदेश एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया.

भरण- पोषण और कल्याण अधिकरण न्यायालयों के मामले को लेकर मानव अधिकार आयोग ने प्रदेश के गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी

जिसमें जयपुर कलेक्टर के पास दो साल से अपील लंबित होने पर आयोग से गुहार लगाई. राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने गृह सचिव को 26 जून तक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए. आदेश में सरकार से कई सवाल पूछा गया है कि क्या संबंधित कानून का लाभ वृद्ध जनों को मिल रहा है. ऐसे मामले में समय बाद निस्तारण की निगरानी का क्या सिस्टम है.

आपको बता दें कि यह आदेश जयपुर के रहने वाले कृष्ण स्वरूप सैनी के परिवार पर सुनवाई करते हुए दिए गए. सैनी में परिवाद भेजा था कि कानून में अपील पर छह माह में निस्तारित होने का प्रावधान है, लेकिन उनकी अपील 2 साल से जयपुर के पास पेंडिंग है. वहीं उस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

इस पूरे मामले को लेकर जब मानव अधिकार आयोग के पास परिवाद आए तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और सरकार पर नाराजगी जताते हुए गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी. वहीं आयोग ने कहा कि सरकार इस बात का दावा करती है, कि वह वरिष्ठ जनों के सम्मान में कोई कमी नहीं रखना चाहती.लेकिन इस तरह के परिवार से प्रतीत होता है कि किस तरीके से सालों साल पीड़ित परेशान होते रहते हैं.

जयपुर.भरण- पोषण और कल्याण अधिकरण न्यायालयों के मामले को लेकर राज्य मानव अधिकार आयोग ने नाराजगी जाहिर की है. वहीं आयोग इस मामले में प्रदेश के गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी है. वहीं आयोग ने यह आदेश एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया.

भरण- पोषण और कल्याण अधिकरण न्यायालयों के मामले को लेकर मानव अधिकार आयोग ने प्रदेश के गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी

जिसमें जयपुर कलेक्टर के पास दो साल से अपील लंबित होने पर आयोग से गुहार लगाई. राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने गृह सचिव को 26 जून तक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए. आदेश में सरकार से कई सवाल पूछा गया है कि क्या संबंधित कानून का लाभ वृद्ध जनों को मिल रहा है. ऐसे मामले में समय बाद निस्तारण की निगरानी का क्या सिस्टम है.

आपको बता दें कि यह आदेश जयपुर के रहने वाले कृष्ण स्वरूप सैनी के परिवार पर सुनवाई करते हुए दिए गए. सैनी में परिवाद भेजा था कि कानून में अपील पर छह माह में निस्तारित होने का प्रावधान है, लेकिन उनकी अपील 2 साल से जयपुर के पास पेंडिंग है. वहीं उस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

इस पूरे मामले को लेकर जब मानव अधिकार आयोग के पास परिवाद आए तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और सरकार पर नाराजगी जताते हुए गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी. वहीं आयोग ने कहा कि सरकार इस बात का दावा करती है, कि वह वरिष्ठ जनों के सम्मान में कोई कमी नहीं रखना चाहती.लेकिन इस तरह के परिवार से प्रतीत होता है कि किस तरीके से सालों साल पीड़ित परेशान होते रहते हैं.

Intro:भरण पोषण मामले पर मानवाधिकार आयोग सख्त , गृह सचिव से की रिपोर्ट तलब

एंकर:- भरण- पोषण और कल्याण अधिकरण न्यायालयों के मामले को लेकर राज्य मानव अधिकार आयोग ने नाराजगी जाहिर की है , आयोग ने प्रदेश के गृह सचिव से राज्य के भरण-पोषण एवं कल्याण अधिकरण न्यायालयों पर रिपोर्ट तलब की है , आयोग ने यह आदेश एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया जिसमें जयपुर कलेक्टर के पास 2 साल से अपील लंबित होने पर आयोग से गुहार लगाई गई , राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने गृह सचिव को 26 जून तक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए , आदेश के अनुसार सरकार से पूछा गया है कि क्या संबंधित कानून का लाभ वृद्ध जनों को मिल रहा है , ऐसे मामले में समय बाद निस्तारण की निगरानी का क्या सिस्टम है ? राज्य में लंबित सबसे पुराना मामला और सबसे पुरानी अब से विचाराधीन है ? यह आदेश जयपुर के रहने वाले कृष्ण स्वरूप सैनी के परिवार पर सुनवाई करते हुए दिए गए , सैनी में परिवाद भेजा था कि कानून में अपील पर छह माह में निस्तारित होने का प्रावधान है , उनकी अपील 2 साल से जयपुर के पास पेंडिंग है , लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है , इस पूरे मामले को लेकर जब मानव अधिकार आयोग के पास परिवाद आए तो , उन्होंने से गंभीरता से लिया और सरकार पर नाराजगी जताते हुए गृह सचिव से रिपोर्ट तलब करी है , साथ आयोग ने कहा कि सरकार इस बात का दावा करती है कि वह वरिष्ठ जनों के सम्मान में कोई कमी नहीं रखना चाहती , लेकिन इस तरह की परिवार से प्रतीत होता है कि किस तरीके से सालों साल पीड़ित परेशान होते रहते हैं और उनकी कानून होने के बावजूद भी को सुनने वाला नहीं है ,


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