जयपुर. राजस्थान होम्योपैथिक चिकित्सा संघर्ष समिति ने विधानसभा घेराव करने की तैयारी कर ली है. संघर्ष समिति का कहना है कि लंबे समय से होम्योपैथिक चिकित्सकों के पद सृजित करने की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार उसकी अनदेखी कर रही है. पिछले वर्ष भी बजट सत्र के दौरान तकरीबन 127 दिनों तक राजस्थान होम्योपैथिक चिकित्सा संघर्ष समिति की ओर से आंदोलन किया गया था. एक बार फिर संघर्ष समिति ने आंदोलन की चेतावनी दी है.
आयुष मंत्री के आश्वासन पर हुआ था खत्म : राजस्थान होम्योपैथिक चिकित्सा संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक डॉ राजेश कुमार ने बताया कि गत बजट सत्र के दौरान 127 दिनों तक होम्योपैथिक चिकित्सक होम्योपैथिक निदेशालय के सामने धरना दिया था. इस धरने को आयुष मंत्री सुभाष गर्ग के आश्वासन पर खत्म किया था, लेकिन अभी तक हमारी मांगे पूरी नहीं हुई हैं.
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संघर्ष समिति का कहना है कि तत्कालिक मुख्य सचिव व आयुष सचिव विनीता श्रीवास्तव के निर्देश पर होम्योपैथिक निदेशालय की ओर से प्रदेश के सभी 656 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर होम्योपैथिक चिकित्सकों के पद सृजित करने का प्रस्ताव भेजा गया था. इस प्रस्ताव के समर्थन में प्रदेश के 161 विधायकों व मंत्रियों ने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखे थे, लेकिन अभी तक इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है.
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के साथ भेदभाव : उनका कहना है कि होम्योपैथिक विश्व की दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा पद्धति है. राजस्थान में 10,000 से ज्यादा रजिस्टर्ड चिकित्सक हैं, लेकिन विभाग में मात्र 303 पद स्वीकृत हैं. साथ ही आयुर्वेद के 11000 के लगभग रजिस्टर्ड चिकित्सक हैं और विभाग में आज 5000 के लगभग स्वीकृत पद हैं. प्रदेश में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के साथ भेदभाव हो रहा है. इससे होम्योपैथी चिकित्सक आक्रोशित हैं. ऐसे में सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए जल्द ही विधानसभा पर धरना शुरू किया जाएगा.
संघर्ष समिति का कहना है कि हमारी सरकार के मांग है कि सरकार की ओर से बनाए गए 656 पदों के प्रस्ताव को बजट में शामिल किया जाए, जिससे आम जनता को होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति का लाभ मिले. संघर्ष समिति का कहना है कि जब तक 656 पदों के प्रस्ताव को बजट में शामिल नहीं किया जाएगा तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा और मांगे पूरी नहीं होने पर आमरण अनशन शुरू करेंगे.