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राजधानी जयपुर में जिस दल के विधायक ज्यादा चुने गए, प्रदेश में बनी उसी की सरकार

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 28, 2023, 4:51 PM IST

Updated : Nov 28, 2023, 6:12 PM IST

राजनीति में जिस सियासी हवा के रुख की बात की जाती है वो राजस्थान में राजधानी जयपुर से होकर गुजरती है. जयपुर की जनता इस हवा के रुख को भली भांती जानती है. यही वजह है बीते पांच विधानसभा चुनाव में जयपुर में जिस राजनीतिक दल के विधायक ज्यादा चुने गए हैं, प्रदेश में सरकार भी उसी पार्टी की बनी है.

Rajasthan Assembly Elections 2023
राजस्थान का रण

जयपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान हो चुका है. सभी सियासी दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. कांग्रेस इस बार रिवाज बदलने,जबकि बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही है. 1993 से हर पांच सालों में प्रदेश में सरकार बदलने का रिवाज रहा है. इसमें जयपुर हर बार बदलते समीकरणों का अहम गवाह रहा है. 1998 से लेकर अब तक जयपुर में जिस राजनीतिक दल के विधायक ज्यादा रहे हैं, प्रदेश में सत्ता पर भी वही दल काबिज हुआ है. हालांकि परिसीमन वर्ष 2008 को एक अपवाद के रूप में देखा जा सकता है.

विधानसभा चुनाव 1998: जयपुर में पांच में से चार विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीतकर आए. इनमें किशनपोल विधानसभा से महेश जोशी, सांगानेर से इंदिरा मायाराम, जोहरी बाजार से तकीउद्दीन अहमद और बनी पार्क से उदय सिंह राठौड़ विधानसभा में जीत कर आए थे और पूरे प्रदेश में कांग्रेस को बंपर 153 सीटों पर जीत मिली थी.

पढ़ें:राजस्थान के रण की वो सीटें जहां बन रहे त्रिकोणीय संघर्ष, क्या ये होंगे 'किंगमेकर' ?

विधानसभा चुनाव 2003: वहीं साल 2003 के सियासी रण में जयपुर की पांचों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को हार मिली थी. किशनपोल से बीजेपी के मोहनलाल गुप्ता, सांगानेर से घनश्याम तिवाड़ी, जोहरी बाजार से कालीचरण सराफ, हवा महल से सुरेंद्र पारीक और बनी पार्क से बीरू सिंह राठौड़ ने बाजी मारी थी.चुनाव में पूरे प्रदेश में कांग्रेस 56 सीटों पर सिमट कर रह गई, जबकि बीजेपी को 120 सीटें मिली.

विधानसभा चुनाव 2008: प्रदेश में परिसीमन हुआ और जयपुर में पांच की बजाए शहर में 8 सीट हो गई. साथ ही झोटवाड़ा और आमेर को जोड़कर 10 सीट हुईं. इन चुनाव में आमेर, हवामहल, सिविल लाइंस और बगरू में कांग्रेस के प्रत्याशी जीतकर आए, जबकि विद्याधर नगर, किशनपोल, आदर्श नगर, मालवीय नगर, सांगानेर और झोटवाड़ा में बीजेपी को जीत मिली. प्रदेश की जनता ने किसी भी सियासी दल को सपष्ट जनादेश नहीं दिया जिसकी वजह से जोड़-तोड़ की राजनीति के साथ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी.

पढ़ें:मतदान के बाद भाजपा ने की समीक्षा, सीपी जोशी बोले- प्रचंड बहुमत से बनेगी हमारी सरकार

विधानसभा चुनाव 2013: साल 2013 के चुनाव में प्रदेश में सारे रिकॉर्ड टूटे. बीजेपी ने प्रदेश में 163 विधानसभा सीटों पर परचम लहराया, जबकि कांग्रेस महज 21 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. जयपुर की जनता ने एकतरफा वोटिंग करते हुए बीजेपी के प्रत्याशियों को झोटवाड़ा, हवामहल, विद्याधर नगर, सिविल लाइंस, किशनपोल, आदर्श नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, बगरू से जिताकर विधानसभा में भेजा.

विधानसभा चुनाव 2018 : साल 2018 विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस दोबारा सत्ता में लौटी और जयपुर में कांग्रेस के प्रत्याशियों के जीत का आंकड़ा भी बढ़ा. यहां किशनपोल, हवामहल, आदर्श नगर, झोटवाड़ा, सिविल लाइंस और बगरू विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. परिसीमन के बाद पहली मर्तबा जयपुर में कांग्रेस विधायकों का सर्वाधिक आंकड़ा रहा. चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 100 सीटों के साथ सरकार बनाई. हालांकि 90 के दशक से पहले जयपुर में कुछ ऐसे राजनीतिक चेहरे भी थे, जिन पर सत्ता परिवर्तन का कोई असर नहीं होता था. इनमें तीन बार विधायक रहे गिरधारी लाल भार्गव, छह बार विधायक रहे भंवरलाल शर्मा, पांच बार की विधायक उजला अरोड़ा और चार बार विधायक रही विद्या पाठक का नाम शामिल है.

जयपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान हो चुका है. सभी सियासी दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. कांग्रेस इस बार रिवाज बदलने,जबकि बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही है. 1993 से हर पांच सालों में प्रदेश में सरकार बदलने का रिवाज रहा है. इसमें जयपुर हर बार बदलते समीकरणों का अहम गवाह रहा है. 1998 से लेकर अब तक जयपुर में जिस राजनीतिक दल के विधायक ज्यादा रहे हैं, प्रदेश में सत्ता पर भी वही दल काबिज हुआ है. हालांकि परिसीमन वर्ष 2008 को एक अपवाद के रूप में देखा जा सकता है.

विधानसभा चुनाव 1998: जयपुर में पांच में से चार विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीतकर आए. इनमें किशनपोल विधानसभा से महेश जोशी, सांगानेर से इंदिरा मायाराम, जोहरी बाजार से तकीउद्दीन अहमद और बनी पार्क से उदय सिंह राठौड़ विधानसभा में जीत कर आए थे और पूरे प्रदेश में कांग्रेस को बंपर 153 सीटों पर जीत मिली थी.

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विधानसभा चुनाव 2003: वहीं साल 2003 के सियासी रण में जयपुर की पांचों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को हार मिली थी. किशनपोल से बीजेपी के मोहनलाल गुप्ता, सांगानेर से घनश्याम तिवाड़ी, जोहरी बाजार से कालीचरण सराफ, हवा महल से सुरेंद्र पारीक और बनी पार्क से बीरू सिंह राठौड़ ने बाजी मारी थी.चुनाव में पूरे प्रदेश में कांग्रेस 56 सीटों पर सिमट कर रह गई, जबकि बीजेपी को 120 सीटें मिली.

विधानसभा चुनाव 2008: प्रदेश में परिसीमन हुआ और जयपुर में पांच की बजाए शहर में 8 सीट हो गई. साथ ही झोटवाड़ा और आमेर को जोड़कर 10 सीट हुईं. इन चुनाव में आमेर, हवामहल, सिविल लाइंस और बगरू में कांग्रेस के प्रत्याशी जीतकर आए, जबकि विद्याधर नगर, किशनपोल, आदर्श नगर, मालवीय नगर, सांगानेर और झोटवाड़ा में बीजेपी को जीत मिली. प्रदेश की जनता ने किसी भी सियासी दल को सपष्ट जनादेश नहीं दिया जिसकी वजह से जोड़-तोड़ की राजनीति के साथ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी.

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विधानसभा चुनाव 2013: साल 2013 के चुनाव में प्रदेश में सारे रिकॉर्ड टूटे. बीजेपी ने प्रदेश में 163 विधानसभा सीटों पर परचम लहराया, जबकि कांग्रेस महज 21 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. जयपुर की जनता ने एकतरफा वोटिंग करते हुए बीजेपी के प्रत्याशियों को झोटवाड़ा, हवामहल, विद्याधर नगर, सिविल लाइंस, किशनपोल, आदर्श नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, बगरू से जिताकर विधानसभा में भेजा.

विधानसभा चुनाव 2018 : साल 2018 विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस दोबारा सत्ता में लौटी और जयपुर में कांग्रेस के प्रत्याशियों के जीत का आंकड़ा भी बढ़ा. यहां किशनपोल, हवामहल, आदर्श नगर, झोटवाड़ा, सिविल लाइंस और बगरू विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. परिसीमन के बाद पहली मर्तबा जयपुर में कांग्रेस विधायकों का सर्वाधिक आंकड़ा रहा. चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 100 सीटों के साथ सरकार बनाई. हालांकि 90 के दशक से पहले जयपुर में कुछ ऐसे राजनीतिक चेहरे भी थे, जिन पर सत्ता परिवर्तन का कोई असर नहीं होता था. इनमें तीन बार विधायक रहे गिरधारी लाल भार्गव, छह बार विधायक रहे भंवरलाल शर्मा, पांच बार की विधायक उजला अरोड़ा और चार बार विधायक रही विद्या पाठक का नाम शामिल है.

Last Updated : Nov 28, 2023, 6:12 PM IST
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