जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अभियुक्त की ओर से दुष्कर्म पीड़िता से विवाह करने के बाद मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है. अदालत ने कहा है कि इस तरह की एफआईआर को रद्द तो नहीं किया जा सकता, लेकिन मामले में महिला के कल्याण और भविष्य की अनदेखी नहीं की जा सकती. इसके अलावा प्रकरण का परिणाम भी स्पष्ट है. ऐसे में याचिकाकर्ता के खिलाफ लंबित आपराधिक कार्रवाई न्याय के दुरुपयोग के समान है. इसलिए कोर्ट अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए एफआईआर को रद्द कर रहा है. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश सौरभ की ओर से दायर आपराधिक याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए एफआईआर को रद्द किया जा रहा है, लेकिन इस आदेश को अन्य मामलों में मिसाल के तौर पर नहीं लिया जा सकता. मामले के अनुसार पीड़िता ने गत वर्ष महिला थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया कि वह न्यूज चैनल में काम करती है. इस दौरान वह वर्ष 2020 में याचिकाकर्ता के संपर्क में आई. वहीं वर्ष 2021 में याचिकाकर्ता ने उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. इस दौरान उनके संबंध बने और वह गर्भवती भी हो गई.
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हालांकि बाद में याचिकाकर्ता ने विवाह से इनकार कर दिया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता और पीड़िता के बीच कोई विवाद शेष नहीं है और उन्होंने गत अक्टूबर माह में विवाह भी कर लिया है. ऐसे में पीड़िता भी प्रकरण को आगे नहीं चलाना चाहती. इसलिए प्रकरण में दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. वहीं सरकारी वकील की ओर से कहा गया कि दोनों ने विवाह कर लिया है. ऐसे में यदि एफआईआर रद्द की जाती है तो अभियोजन पक्ष को कोई आपत्ति नहीं है. इस पर अदालत ने मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है.