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राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के सामने पेश की रिपोर्ट...कहा- बांध में पानी पहुंचाने वाली नदियों में भारी रेत, हटाने में लगेंगे हजारों करोड़

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Published : Sep 2, 2019, 8:35 PM IST

राजस्थान हाई कोर्ट में सोमवार को राज्य सरकार ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि रामगढ़ बांध में पानी लाने वाली 111 किलोमीटर लंबाई नदियों में भारी रेत जमा है. जिसमें 33 किलोमीटर से शिल्ट हटाने का खर्चा करीब दो हजार करोड़ रुपए होगा.

Rajasthan High Court News, रामगढ़ बांध न्यूज

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट में सोमवार को राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि रामगढ़ बांध में पानी लाने वाली तीन नदियों की कुल लंबाई 111 किलोमीटर है. नदियों में चार मीटर की गहराई तक शिल्ट जमा है. करीब 33 किलोमीटर से शिल्ट हटाने का खर्चा करीब दो हजार करोड़ रुपए होगा. रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मॉनिटरिंग कमेटी को 25 सितंबर को रिपोर्ट पर अपना जवाब पेश करने को कहा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

Rajasthan High Court News, रामगढ़ बांध न्यूज
सरकार ने हाई कोर्ट को बताया, बांध में पानी पहुंचाने वाली नदियों में भारी रेत


सुनवाई के दौरान नोडल अधिकारी एसीएस रोहित कुमार सिंह अदालत में पेश हुए. राज्य सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट में कहा गया कि रामगढ़ बांध क्षेत्र में 93 एनिकट और 405 जल इकाईयां हैं, जिन्हें सरकार हटाना नहीं चाहती है. वन विभाग, पंचायती राज और जल संसाधन विभाग के अधीन आने वाली इन एनीकटों और जल इकाईयों से भूजल रिचार्ज होता है. इसके अलावा नदी की शिल्ट का उपयोग निर्माण में नहीं लिया जा सकता. इस शिल्ट के उपयोग की जानकारी को लेकर सेन्ट्रल रिसर्च इन्ट्टीट्यूट को पत्र लिखा गया है.

पढ़ें- अजमेर: सीआरपीएफ सिपाही भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा, 3 गिरफ्तार

वहीं अदालत के पूछने पर राज्य सरकार ने कहा कि सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में पौधारोपण कराया गया है. वहीं मॉनिटरिंग कमेटी की ओर से कहा गया कि सरकार कोई प्रभावी काम नहीं कर रही है. इस पर अदालत ने मॉनिटरिंग कमेटी को रिपोर्ट पर जवाब पेश करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट में सोमवार को राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि रामगढ़ बांध में पानी लाने वाली तीन नदियों की कुल लंबाई 111 किलोमीटर है. नदियों में चार मीटर की गहराई तक शिल्ट जमा है. करीब 33 किलोमीटर से शिल्ट हटाने का खर्चा करीब दो हजार करोड़ रुपए होगा. रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मॉनिटरिंग कमेटी को 25 सितंबर को रिपोर्ट पर अपना जवाब पेश करने को कहा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

Rajasthan High Court News, रामगढ़ बांध न्यूज
सरकार ने हाई कोर्ट को बताया, बांध में पानी पहुंचाने वाली नदियों में भारी रेत


सुनवाई के दौरान नोडल अधिकारी एसीएस रोहित कुमार सिंह अदालत में पेश हुए. राज्य सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट में कहा गया कि रामगढ़ बांध क्षेत्र में 93 एनिकट और 405 जल इकाईयां हैं, जिन्हें सरकार हटाना नहीं चाहती है. वन विभाग, पंचायती राज और जल संसाधन विभाग के अधीन आने वाली इन एनीकटों और जल इकाईयों से भूजल रिचार्ज होता है. इसके अलावा नदी की शिल्ट का उपयोग निर्माण में नहीं लिया जा सकता. इस शिल्ट के उपयोग की जानकारी को लेकर सेन्ट्रल रिसर्च इन्ट्टीट्यूट को पत्र लिखा गया है.

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वहीं अदालत के पूछने पर राज्य सरकार ने कहा कि सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में पौधारोपण कराया गया है. वहीं मॉनिटरिंग कमेटी की ओर से कहा गया कि सरकार कोई प्रभावी काम नहीं कर रही है. इस पर अदालत ने मॉनिटरिंग कमेटी को रिपोर्ट पर जवाब पेश करने को कहा है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट में सोमवार को राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि रामगढ़ बांध में पानी लाने वाली तीन नदियों की कुल लंबाई 111 किलोमीटर है। नदियों में चार मीटर की गहराई तक शिल्ट जमा है। करीब 33 किलोमीटर से शिल्ट हटाने का खर्चा करीब दो हजार करोड़ रुपए होगा। रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मॉनिटरिंग कमेटी को 25 सितंबर को रिपोर्ट पर अपना जवाब पेश करने को कहा है। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।Body:सुनवाई के दौरान नोडल अधिकारी एसीएस रोहित कुमार सिंह अदालत में पेश हुए। राज्य सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट में कहा गया कि रामगढ़ बांध क्षेत्र में 93 एनिकट और 405 जल इकाईयां हैं, जिन्हें सरकार हटाना नहीं चाहती है। वन विभाग, पंचायती राज और जल संसाधन विभाग के अधीन आने वाली इन एनिकटों और जल इकाईयों से भूजल रिचार्ज होता है। इसके अलावा नदी की शिल्ट का उपयोग निर्माण में नहीं लिया जा सकता। इस शिल्ट के उपयोग की जानकारी को लेकर सेन्ट्रल रिसर्च इन्ट्टीट्यूट को पत्र लिखा गया है। वहीं अदालत के पूछने पर राज्य सरकार ने कहा कि सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में पौधारोपण कराया गया है। वहीं मॉनिटरिंग कमेटी की ओर से कहा गया कि सरकार कोई प्रभावी काम नहीं कर रही है। इस पर अदालत ने मॉनिटरिंग कमेटी को रिपोर्ट पर जवाब पेश करने को कहा है।Conclusion:
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