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Right To Health Bill: निजी चिकित्सकों की हड़ताल के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई 31 मार्च को - rajasthan hindi news

गहलोत सरकार की ओर से लाए गए राइट टू हेल्थ बिल को लेकर प्रदेश में निजी डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर दायर जनहित याचिका पर 31 मार्च को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.

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Published : Mar 30, 2023, 9:24 PM IST

जयपुर. प्रदेशभर में राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ चल रही निजी डॉक्टर्स की हड़ताल के खिलाफ और सरकारी अस्पतालों में जरूरी संसाधन मुहैया कराने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. प्रमोद सिंह नाम के व्यक्ति की ओर से दायर इस जनहित याचिका पर एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ 31 मार्च को सुनवाई करेगी. खंडपीठ में प्रकरण पूरक वाद सूची में सूचीबद्ध हुआ है. जनहित याचिका में मुख्य सचिव, चिकित्सा सचिव, चिकित्सा शिक्षा सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन के चेयरमैन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष, राजस्थान मेडिकल कौंसिल के रजिस्ट्रार और आंदोलन कर रहे एक दर्जन से अधिक डॉक्टर्स को पक्षकार बनाया है.

वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों की हड़ताल के खिलाफ हाईकोर्ट में एक और जनहित याचिका पेश की गई है. बलराम जाखड़ की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि चिकित्सकों की हड़ताल के चलते प्रदेश की 7 करोड़ 50 लाख से अधिक जनसंख्या प्रभावित हो रही है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवन्दा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में चिकित्सा सेवाओं को जीवन जीने के अधिकार का ही भाग माना है.

पढ़ें. जोधपुर के डॉक्टर की वायरल हुई कविता, CM को गांधी बताकर कहा- फिर कोई गोडसे आएगा...बाद में मांगी माफी

याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से कई संस्थानों को नाममात्र की राशि लेकर कीमती जमीन आवंटित की गई है और सरकार उन्हें कई तरह की छूट भी देती है. ऐसे में वे सरकार के नियंत्रण में आते हैं. निजी चिकित्सकों के साथ-साथ सरकारी डॉक्टर भी नियमों के खिलाफ जाकर इनके पक्ष में आ गए हैं. इसके बावजूद सरकार इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. याचिका में गुहार की गई है कि प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था को सुचारू करने के लिए राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए जाए.

जयपुर. प्रदेशभर में राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ चल रही निजी डॉक्टर्स की हड़ताल के खिलाफ और सरकारी अस्पतालों में जरूरी संसाधन मुहैया कराने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. प्रमोद सिंह नाम के व्यक्ति की ओर से दायर इस जनहित याचिका पर एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ 31 मार्च को सुनवाई करेगी. खंडपीठ में प्रकरण पूरक वाद सूची में सूचीबद्ध हुआ है. जनहित याचिका में मुख्य सचिव, चिकित्सा सचिव, चिकित्सा शिक्षा सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन के चेयरमैन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष, राजस्थान मेडिकल कौंसिल के रजिस्ट्रार और आंदोलन कर रहे एक दर्जन से अधिक डॉक्टर्स को पक्षकार बनाया है.

वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों की हड़ताल के खिलाफ हाईकोर्ट में एक और जनहित याचिका पेश की गई है. बलराम जाखड़ की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि चिकित्सकों की हड़ताल के चलते प्रदेश की 7 करोड़ 50 लाख से अधिक जनसंख्या प्रभावित हो रही है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवन्दा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में चिकित्सा सेवाओं को जीवन जीने के अधिकार का ही भाग माना है.

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याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से कई संस्थानों को नाममात्र की राशि लेकर कीमती जमीन आवंटित की गई है और सरकार उन्हें कई तरह की छूट भी देती है. ऐसे में वे सरकार के नियंत्रण में आते हैं. निजी चिकित्सकों के साथ-साथ सरकारी डॉक्टर भी नियमों के खिलाफ जाकर इनके पक्ष में आ गए हैं. इसके बावजूद सरकार इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. याचिका में गुहार की गई है कि प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था को सुचारू करने के लिए राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए जाए.

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