जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रिश्वत में अस्मत मांगने से जुड़े मामले में आरपीएस कैलाश बोहरा को बर्खास्त करने पर मुख्य सचिव, गृह सचिव, कार्मिक सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश कैलाश बोहरा की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि बिना सुनवाई का मौका दिए सीधे बर्खास्त करने के आदेश को क्यों न रद्द कर दिया जाए.
याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि एक महिला की ओर से दर्ज एफआईआर पर राज्य सरकार ने 2 अप्रैल, 2021 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को बर्खास्त कर दिया. जबकि याचिकाकर्ता पर कार्रवाई से पहले ना तो उन्हें नोटिस दिया गया और ना ही उन्हें पक्ष रखने का मौका दिया. यहां तक कि बर्खास्तगी आदेश देने से पहले प्रकरण की जांच भी नहीं की गई. वहीं विभाग ने मामले में जांच नहीं करने के जो कारण बताए हैं, वे विधि विरुद्ध हैं.
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वहीं दूसरी तरफ जिस महिला की एफआईआर पर याचिकाकर्ता को बर्खास्त किया गया है, उस महिला ने पूर्व में भी केस से जुडे़ पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत दी थी. इसके अलावा महिला ने झूठे मामले में दर्ज करा रखे हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने के आदेश को रद्द कर उसे पुनः बहाल किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
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गौरतलब है कि महिला ने मार्च, 2021 में एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसने जवाहर सर्किल थाने में एक युवक सहित तीन अन्य के खिलाफ दुष्कर्म व धोखाधड़ी करने के तीन मामले दर्ज कराए थे. जिसकी जांच महिला अत्याचार अनुसंधान यूनिट के एसीपी कैलाश बोहरा के पास थी. केस में कार्रवाई करने की एवज में बोहरा ने पहले उससे 50 हजार रुपए लिए और बाद में अस्मत भी मांगी. बोहरा पर आरोप है कि उसने 14 मार्च को बोहरा ने पीड़िता को ऑफिस बुलाकर कमरा बंद कर लिया. इस दौरान एसीबी ने बोहरा को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा था. इसके बाद राज्य सरकार ने बोहरा को बर्खास्त कर दिया था.