ETV Bharat / state

राजस्थान हाईकोर्ट ने ओबीसी वर्ग में शामिल जातियों के वर्गीकरण पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकार्ट से ओबीसी आयोग और मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है. जिसमें ओबीसी वर्ग में शामिल जातियों के वर्गीकरण को लेकर जवाब मांगा गया है.

author img

By

Published : May 16, 2019, 12:05 AM IST

जयपुर हाईकोर्ट

जयपुर. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव और ओबीसी आयोग को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना ओबीसी सूची में शामिल जातियों का वर्गीकरण कर दिया जाए. न्यायाधीश मोहम्मद रफीके और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश यूनुस अली की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं.

हाईकोर्ट ने ओबीसी वर्ग में शामिल जातियों के वर्गीकरण पर मांगा जवाब

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि ओबीसी वर्ग में 100 से अधिक जातियां शामिल है, लेकिन इनमें से सिर्फ पांच से छह जातियां ही आरक्षण का अधिकतम लाभ ले रही हैं. जिसके चलते यह जातियां ओबीसी वर्ग में शामिल दूसरी जातियों की तुलना में अधिक सक्षम हो गई है. अगर ऐसा ही रहा तो सक्षम और कमजोर जातियों का अघोषित वर्ग बन जाएगा। वहीं पूरे वर्ग का लाभ इनमे शामिल सक्षम जातियों को ही मिलेगा. याचिका में कहा गया अगर ऐसा रहा तो कमजोर पहले के तरह कमजोर ही बना रहेगा और पिछड़ों को आरक्षण देने का प्रावधान का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा.

याचिका में यह भी कहा गया कि ओबीसी सूची में भी जातियों का वर्गीकरण उन्हें उसी अनुपात में आरक्षण का लाभ दिया जाए. वहीं ओबीसी वर्ग में शामिल होने वाली जातियों को राज्य सरकार की ओर से समय समय पर समीक्षा कर बाहर निकालना चाहिए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जेडीए सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण हटवाने की करे कार्रवाई : हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने गृह निर्माण सहकारी समितियों की कॉलोनियों से जुड़े मामले में जेडीए और नगर निगम को आदेश दिए हैं. जिसमें कहा गया है कि जेडीए और नगर निगम कॉलोनियों के आम रास्ते, पार्क और सुविधा क्षेत्र सहित अन्य सार्वजनिक जगहों पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पुलिस की सहायता से करे. अदालत ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के लिए दोनों एजेंसियों को एक दूसरे से अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए प्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए हैं.

हाईकोर्ट ने जेडीए को सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण हटवाने के दिए आदेश

मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने मामले की मॉनिटरिंग के लिए एसीएस गृह की अध्यक्षता में गठित मॉनिटरिंग कमेटी को निर्देश दिए हैं कि वह हर माह के आखिरी सप्ताह में समीक्षा बैठक कर उचित दिशा निर्देश जारी करें.
सुनवाई के दौरान न्याय मित्र अनूप ढंड ने अदालत को बताया कि खंडपीठ ने पूर्व में कॉलोनी से अतिक्रमण हटाने सहित अन्य दिशा-निर्देश जारी किए थे. नगर निगम और जेडीए में समन्वय नहीं होने के चलते अदालती आदेशों की पालना नहीं हो रही है. इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से भी कहा गया कि कॉलोनियों पर जेडीए या नगर निगम के क्षेत्राधिकार को लेकर उन्हें जानकारी नहीं है. इस पर अदालत ने जेडीए और नगर निगम को पुलिस की सहायता से अतिक्रमण हटाते हुए 22 अगस्त को पालना रिपोर्ट पेश करने को कहा है.


जयपुर. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव और ओबीसी आयोग को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना ओबीसी सूची में शामिल जातियों का वर्गीकरण कर दिया जाए. न्यायाधीश मोहम्मद रफीके और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश यूनुस अली की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं.

हाईकोर्ट ने ओबीसी वर्ग में शामिल जातियों के वर्गीकरण पर मांगा जवाब

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि ओबीसी वर्ग में 100 से अधिक जातियां शामिल है, लेकिन इनमें से सिर्फ पांच से छह जातियां ही आरक्षण का अधिकतम लाभ ले रही हैं. जिसके चलते यह जातियां ओबीसी वर्ग में शामिल दूसरी जातियों की तुलना में अधिक सक्षम हो गई है. अगर ऐसा ही रहा तो सक्षम और कमजोर जातियों का अघोषित वर्ग बन जाएगा। वहीं पूरे वर्ग का लाभ इनमे शामिल सक्षम जातियों को ही मिलेगा. याचिका में कहा गया अगर ऐसा रहा तो कमजोर पहले के तरह कमजोर ही बना रहेगा और पिछड़ों को आरक्षण देने का प्रावधान का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा.

याचिका में यह भी कहा गया कि ओबीसी सूची में भी जातियों का वर्गीकरण उन्हें उसी अनुपात में आरक्षण का लाभ दिया जाए. वहीं ओबीसी वर्ग में शामिल होने वाली जातियों को राज्य सरकार की ओर से समय समय पर समीक्षा कर बाहर निकालना चाहिए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जेडीए सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण हटवाने की करे कार्रवाई : हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने गृह निर्माण सहकारी समितियों की कॉलोनियों से जुड़े मामले में जेडीए और नगर निगम को आदेश दिए हैं. जिसमें कहा गया है कि जेडीए और नगर निगम कॉलोनियों के आम रास्ते, पार्क और सुविधा क्षेत्र सहित अन्य सार्वजनिक जगहों पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पुलिस की सहायता से करे. अदालत ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के लिए दोनों एजेंसियों को एक दूसरे से अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए प्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए हैं.

हाईकोर्ट ने जेडीए को सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण हटवाने के दिए आदेश

मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने मामले की मॉनिटरिंग के लिए एसीएस गृह की अध्यक्षता में गठित मॉनिटरिंग कमेटी को निर्देश दिए हैं कि वह हर माह के आखिरी सप्ताह में समीक्षा बैठक कर उचित दिशा निर्देश जारी करें.
सुनवाई के दौरान न्याय मित्र अनूप ढंड ने अदालत को बताया कि खंडपीठ ने पूर्व में कॉलोनी से अतिक्रमण हटाने सहित अन्य दिशा-निर्देश जारी किए थे. नगर निगम और जेडीए में समन्वय नहीं होने के चलते अदालती आदेशों की पालना नहीं हो रही है. इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से भी कहा गया कि कॉलोनियों पर जेडीए या नगर निगम के क्षेत्राधिकार को लेकर उन्हें जानकारी नहीं है. इस पर अदालत ने जेडीए और नगर निगम को पुलिस की सहायता से अतिक्रमण हटाते हुए 22 अगस्त को पालना रिपोर्ट पेश करने को कहा है.


Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव और ओबीसी आयोग को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना ओबीसी सूची में शामिल जातियों का वर्गीकरण कर दिया जाए। न्यायाधीश मोहम्मद रफीके और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश यूनुस अली की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।


Body:याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि ओबीसी वर्ग में 100 से अधिक जातियां शामिल है, लेकिन इनमें से सिर्फ पांच से छह जातियां ही आरक्षण का अधिकतम लाभ ले रही है। जिसके चलते यह जातियां ओबीसी वर्ग में शामिल दूसरी जातियों की तुलना में अधिक सक्षम हो गई है। यदि ऐसा ही रहा तो सक्षम और कमजोर जातियों का अघोषित वर्ग बन जाएगा। वहीं पूरे वर्ग का लाभ इनमे शामिल सक्षम जातियों को ही मिलेगा। जिसके चलते कमजोर पहले के तरह कमजोर ही बना रहेगा। ऐसे में पिछड़ों को आरक्षण देने का प्रावधान का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा।
याचिका में यह भी कहा गया कि ओबीसी सूची में भी जातियों का वर्गीकरण उन्हें उसी अनुपात में आरक्षण का लाभ दिया जाए। वहीं ओबीसी वर्ग में शामिल होने वाली जातियों को राज्य सरकार की ओर से समय समय पर समीक्षा कर बाहर निकालना चाहिए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.